स्वरगोष्ठी – 383 में आज
राग से रोगोपचार – 12 : ऋतु प्रधान राग बसन्त 
गहरी निद्रा दिलाने में राग सोहनी का पूरक है राग बसन्त 
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| पण्डित भीमसेन जोशी | 
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| आशा भोसले और महेन्द्र कपूर | 
राग बसन्त
 का वादी स्वर षडज और संवादी स्वर पंचम है। इस राग के गायन-वादन का सटीक 
समय रात्रि के चतुर्थ प्रहर में 3 बजे से साढ़े 4 बजे के मध्य है। परन्तु 
बसन्त ऋतु में इसे किसी भी समय गाया-बजाया जा सकता है। इस राग के बाद ललित,
 भैरव आदि रागों का समय आरम्भ होता है। विरह या चिन्ताविकृति से ग्रस्त 
व्यक्ति, तनाव, कुंठा, फोबिया, पैनिकडिसार्डर, हिस्टीरिया, विषाद एवं अनेक 
मनोदैहिक विकृतियों का उपचार राग सोहनी से करने के बाद मन की शान्ति और 
निद्रा का अनुभव हो तो राग बसन्त का उपचार सर्वथा उपयोगी हो सकता है। 
रात्रि के चतुर्थ प्रहर में शान्त, शीतल और सुखदायी वातावरण में राग बसन्त 
का प्रभाव मन और शरीर पर अवश्य पड़ता है। ऐसा विश्वास है कि उपरोक्त 
समस्याओं के निदान में राग बसन्त का श्रवण करने पर काफी शान्ति व सुख की 
प्राप्ति हो सकती है। ‘नान रैपिड आई मूवमेंट स्लीप’ का आनन्द मरीज को 
प्राप्त हो सकता है। एक महीने तक रागात्मक प्रक्रिया के अन्तर्गत यदि उपचार
 किया जाए तो पीड़ितको इन समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है। अब हम आपको राग 
बसन्त की एक रचना सुनवाते हैं। सात दशक तक भारतीय संगीताकाश पर छाए रहने 
वाले पण्डित भीमसेन जोशी का भारतीय संगीत की विविध विधाओं; ध्रुवपद, खयाल, 
तराना, ठुमरी, भजन, अभंग आदि सभी पर समान अधिकार था। उनकी खरज भरी आवाज़ का 
श्रोताओं पर जादुई असर होता था। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बढ़त देते 
थे, उसे केवल अनुभव ही किया जा सकता है। तानें तो उनके कण्ठ में दासी बन कर
 विचरती थी। संगीत-जगत के सर्वोच्च स्थान पर प्रतिष्ठित होने के बावजूद 
स्वयं अपने बारे में बातचीत करने के मामले में वे संकोची रहे। आइए भारत के 
इस अनमोल रत्न के स्वर में एक रचना सुनते हैं। अब आप सुनिए; पण्डित भीमसेन 
जोशी के स्वर में राग बसन्त की तीनताल में निबद्ध यह मनोहारी प्रस्तुति। 
तबला पर पण्डित नाना मुले और हारमोनियम पर पुरुषोत्तम तलवलकर ने संगति की 
है। 
राग बसन्त : ‘फगवा ब्रज देखन को चलो री...’ : स्वर – पण्डित भीमसेन जोशी 
राग बसन्त ऋतु प्रधान राग है। बसन्त ऋतु में इसे किसी भी समय गाया-बजाया जा सकता है। अन्य अवसरों पर इस राग को रात्रि के तीसरे प्रहर में गाने-बजाने की परम्परा है। पूर्वी थाट के अन्तर्गत आने वाले इस राग की जाति औडव-सम्पूर्ण होती है, आरोह में पाँच स्वर और अवरोह में सात स्वर प्रयोग किये जाते हैं। आरोह के स्वर हैं- स, ग, म॑, ध(कोमल), नि, सं, तथा अवरोह के स्वर हैं- सं, नि, ध(कोमल), प, म॑, ग, रे, स। इस राग में ललित अंग से दोनों मध्यम का प्रयोग होता है। आरोह में ऋषभ और पंचम स्वर वर्जित है। राग बसन्त का वादी स्वर षडज और संवादी स्वर पंचम होता है। कभी-कभी संवादी स्वर के रूप में मध्यम का प्रयोग भी होता है। यह एक प्राचीन राग है। ‘रागमाला’ में इसे हिंडोल का पुत्र कहा गया है। अब आप राग बसन्त पर आधारित एक फिल्मी गीत सुनिए। वर्ष 1961 में वी. शान्ताराम की फिल्म “स्त्री” का प्रदर्शन हुआ था। इस फिल्म का एक गीत; “बसन्त है आया रंगीला...” राग बसन्त पर आधारित है। गीत को स्वर दिया है आशा भोसले, महेन्द्र कपूर और साथियों और संगीतकार सी. रामचन्द्र हैं। आप यह गीत सुनिए और हमें आज के इस अंक को यहीं विराम देने की अनुमति दीजिए।
राग बसन्त : “बसन्त है आया रंगीला...” : आशा भोसले, महेन्द्र कपूर और साथी 
संगीत पहेली 
 
‘स्वरगोष्ठी’
 के 383वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको वर्ष 1959 में प्रदर्शित एक 
फिल्म से रागबद्ध गीत का अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर आपको 
दो अंक अर्जित करने के लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो प्रश्नों के 
उत्तर देने आवश्यक हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा तीनों प्रश्नों 
का उत्तर ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। 390वें अंक 
की ‘स्वरगोष्ठी’ तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें वर्ष 2018
 के चौथे सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही पूरे वर्ष के 
प्राप्तांकों की गणना के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की घोषणा की 
जाएगी और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा।  
1 – इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इसमें किस राग का स्पर्श है? 
2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल को पहचानिए और उसका नाम बताइए। 
3 – इस गीत को किन युगल गायकों ने स्वर दिया है? 
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com
 पर ही शनिवार, 8 सितम्बर, 2018 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको यदि
 उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली 
प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS
 में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
 देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। “फेसबुक” पर पहेली का उत्तर 
स्वीकार नहीं किया जाएगा। विजेता का नाम हम उनके शहर, प्रदेश और देश के नाम
 के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के 385वें अंक में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में 
प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या 
अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी 
में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं। 
पिछली पहेली के विजेता 
 
‘स्वरगोष्ठी’
 की 381वें अंक की संगीत पहेली में हमने आपको वर्ष 1960 में प्रदर्शित 
फिल्म “मुगल-ए-आजम” के एक रागबद्ध गीत का अंश सुनवा कर आपसे तीन में से 
किसी दो प्रश्न के उत्तर पूछा था। पहले प्रश्न का सही उत्तर है; राग – सोहनी, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – दीपचन्दी  और तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – उस्ताद बड़े गुलाम अली खाँ।   
“स्वरगोष्ठी”
 की इस पहेली प्रतियोगिता में तीनों अथवा तीन में से दो प्रश्नो के सही 
उत्तर देकर विजेता बने हैं; चेरीहिल न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, मैरिलैण्ड, अमेरिका से विजया राजकोटिया, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी, फिनिक्स, अमेरिका से मुकेश लढ़िया और हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी।
 उपरोक्त सभी प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक 
बधाई। सभी प्रतिभागियों से अनुरोध है कि अपने पते के साथ कृपया अपना उत्तर 
ई-मेल से ही भेजा करें। इस पहेली प्रतियोगिता में हमारे नये प्रतिभागी भी 
हिस्सा ले सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आपको पहेली के तीनों प्रश्नों के
 सही उत्तर ज्ञात हो। यदि आपको पहेली का कोई एक भी उत्तर ज्ञात हो तो भी आप
 इसमें भाग ले सकते हैं। 
अपनी बात 
मित्रों,
 ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी हमारी
 महत्त्वाकांक्षी श्रृंखला “राग से रोगोपचार” की बारहवीं कड़ी में आपने कुछ 
शारीरिक और मनोशारीरिक रोगों के उपचार में सहयोगी राग बसन्त का परिचय 
प्राप्त किया। आपने पण्डित भीमसेन जोशी द्वारा प्रस्तुत राग बसन्त की एक 
रचना का रसास्वादन किया। साथ ही आपने आशा भोसले, महेन्द्र कपूर और साथियों 
के स्वर में इस राग पर केन्द्रित एक फिल्मी गीत फिल्म “स्त्री” से सुना। 
हमें विश्वास है कि हमारे अन्य पाठक भी “स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का 
अवलोकन करते रहेंगे और अपनी प्रतिक्रिया हमें भेजते रहेगे। आज के अंक के 
बारे में यदि आपको कुछ कहना हो तो हमें अवश्य लिखें। हमारी वर्तमान अथवा 
अगली श्रृंखला के लिए यदि आपका कोई सुझाव या अनुरोध हो तो हमें  swargoshthi@gmail.com
 पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः 7 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के 
इसी मंच पर एक बार फिर सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करेंगे। 
शोध व आलेख : पं. श्रीकुमार मिश्र    
सम्पादन व प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
 सम्पादन व प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
 
 
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