स्वरगोष्ठी – 353 में आज
पाँच स्वर के राग – 1
भूपाली की बन्दिश 'तू करीम करतार जगत को...' और फिल्म गीत 'ज्योतिकलश छलके...' सुनिए
उस्ताद राशिद खाँ |
लता मंगेशकर |
संगीतकार सुधीर फडके |
राग भूपाली : “ज्योतिकलश छलके...” : लता मंगेशकर : फिल्म – भाभी की चूड़ियाँ
थाट कल्याण म नी वर्जित, मानत ग स्वर वादी,
प्रथम प्रहर निशि गाइए, धैवत स्वर संवादी।
रात्रि
के प्रथम प्रहर में गाने-बजाने के लिए उपयुक्त राग भूपाली, कल्याण थाट का
राग माना जाता है। इसके आरोह और अवरोह में मध्यम और निषाद स्वर वर्जित होता
है। अर्थात यह औड़व-औड़व जाति का राग है। राग भूपाली का वादी स्वर गान्धार
और संवादी स्वर धैवत होता है। यह राग पूर्वांग प्रधान है, अर्थात इसका चलन
अधिकतर मन्द्र और मध्य सप्तकों के पहले भाग में होता है। इन्हीं स्वरों को
यदि उत्तरांग प्रधान कर दिया जाय तो यह राग देशकार का स्वरूप बन जाता है।
राग भूपाली और देशकार में एक सा ही स्वर प्रयोग किया जाता है, परन्तु
वादी-संवादी स्वरों के बदल जाने से राग बदल जाता है। भूपाली में
वादी-संवादी क्रमशः गान्धार और धैवत होता जबकि देशकार में धैवत और गान्धार
हो जाता है। राग भूपाली में गान्धार और पंचम स्वर पर न्यास होता है, किन्तु
धैवत पर कभी भी न्यास नहीं होता, जबकि राग देशकार में पंचम, धैवत और तार
सप्तक के षडज पर न्यास होता है, किन्तु गान्धार स्वर पर कभी भी न्यास नहीं
होता। दोनों रागों में समान स्वर लगने के बावजूद पूर्वांग और उत्तरांग
प्रधान होने के कारण दोनों रागों में अन्तर हो जाता है। राग भूपाली के
शास्त्रीय स्वरूप का अनुभव करने के लिए आइए, अब हम इस राग की एक बन्दिश
सुप्रसिद्ध संगीतज्ञ उस्ताद राशिद खाँ से सुनते हैं। तीनताल में निबद्ध इस
खयाल रचना के बोल हैं, “तू करीम करतार जगत को...”। आप यह बन्दिश सुनिए और हमें आज के इस अंक को यहीं विराम लेने की अनुमति दीजिए।
राग भूपाली : “तू करीम करतार जगत को...” : उस्ताद राशिद खाँ
संगीत पहेली
‘स्वरगोष्ठी’
के 353वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको एक रागबद्ध फिल्मी गीत का
अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर आपको निम्नलिखित तीन में से
किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर देने हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा
दो प्रश्न का उत्तर भी ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं।
360वें अंक की ‘स्वरगोष्ठी’ तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे,
उन्हें वर्ष 2018 के प्रथम सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही
पूरे वर्ष के प्राप्तांकों की गणना के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की
घोषणा के साथ ही उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा।
1 – इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इसमें किस राग की छाया है?
2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल का नाम बताइए।
3 – इस गीत में किस सुपरिचित पार्श्वगायिका की आवाज़ है?
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com पर ही शनिवार, 27 जनवरी, 2018 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको यदि उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS
में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। विजेता का नाम हम उनके शहर,
प्रदेश और देश के नाम के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के 355वें अंक में
प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के
बारे में यदि आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना
चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे
दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के विजेता
‘स्वरगोष्ठी’
की 351वीं कड़ी में हमने आपके लिए कोई भी पहेली नहीं दी थी। इस अंक में
पहेली न पूछे जाने के कारण हम पहेली का सही हल और विजेताओं के नाम की घोषणा
नहीं कर रहे हैं। 354वें अंक से हम पिछली पहेली का हल और विजेताओं के नाम
पूर्ववत प्रकाशित करेंगे।
अपनी बात
मित्रों,
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर आज से
आरम्भ हो चुकी नई श्रृंखला “पाँच स्वर के राग” के इस अंक में आपने राग
भूपाली का परिचय प्राप्त किया। इसके साथ ही राग के शास्त्रीय स्वरूप को
समझने लिए उस्ताद राशिद खाँ के स्वर में इस राग की एक बन्दिश का रसास्वादन
किया। राग भूपाली के स्वरों का उपयोग करते हुए अनेक फिल्मी गीत भी रचे गए
हैं। आज आपने फिल्म “भाभी की चूड़ियाँ” से राग भूपली पर आधारित गीत भी सुना।
अगले अंक में पाँच स्वर के किसी अन्य राग पर आपसे चर्चा करेंगे। इस नई
श्रृंखला “पाँच स्वर के राग” अथवा आगामी श्रृंखलाओं के लिए यदि आपका कोई
सुझाव या फरमाइश हो तो हमें swargoshthi@gmail.com पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः 7 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के इसी मंच पर सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
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