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बड़ी बेटी संगीता गुप्ता की यादों में पिता संगीतकार मदन मोहन

संगीता गुप्ता  मुझसे मेरे पिता के बारे में कुछ लिखने को कहा गया था। हालाँकि वो मेरे ख़यालों में और मेरे दिल में हमेशा रहते हैं, मैं उस बीते हुए ज़माने को याद करते हुए यादों की उन गलियारों से आज आपको ले चलती हूँ....

सुनो कहानी: एक विचित्र कहानी

'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में अनुराग शर्मा उन्हीं की सम-सामयिक कहानी "क़ौमी एकता" का पॉडकास्ट सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं प्रसिद्ध अमेरिकी कथाकार ओ हेनरी की "अ स्ट्रेंज स्टोरी" का हिन्दी अनुवाद " एक विचित्र कहानी ", जिसको स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने।

वो सुबह कभी तो आएगी...उम्मीद के दीयों को जला के रखें, खय्याम के सुरों में

लता मंगेशकर ने एक बार राज कपूर को एक तानपूरा भेंट किया था। ख़ैयाम के साथ हुई बैठक में राज कपूर ने वही तानपूरा ख़ैयाम की ओर बढ़ाते हुए कुछ सुनाने का आग्रह किया। ख़ैयाम ने उस नये तानपूरा के तारों को छेड़ते हुए राग पूरिया धनाश्री की एक बन्दिश सुनाई। राज कपूर ख़ैयाम की गायकी से प्रभावित हुए और उन्हें फिल्म के शीर्षक गीत की धुन बनाने को कहा। ख़ैयाम इस फिल्म का संगीत तैयार करने के लिए अत्यन्त उत्सुक थे। राज कपूर की सहमति मिल जाने के बाद उन्होने फिल्म के शीर्षक गीत की पाँच अलग- अलग धुनें बनाईं।

ये चमन हमारा अपना है....राज कपूर की जयंती पर सुनें शैलेन्द्र -दत्ताराम रचित ये गीत

इस कथानक पर फिल्म बनवाने के पीछे नेहरू जी के दो उद्देश्य थे। मात्र एक दशक पहले स्वतंत्र देश के सरकार की न्याय व्यवस्था पर विश्वास जगाना और नेहरू जी का बच्चों के प्रति अनुराग को अभव्यक्ति देना। फिल्म के अन्तिम दृश्यों में नेहरू जी ने स्वयं काम करने की सहमति भी राज कपूर को दी थी। पूरी फिल्म बन जाने के बाद जब नेहरू जी की बारी आई तो मोरार जी देसाई ने उन्हें फिल्म में काम करने से रोका। नेहरू जी की राजनैतिक छवि के कारण अन्य लोगों ने भी उन्हें मना किया।

चाहे ज़िन्दगी से कितना भी भाग रे...सी रामचंद्र ने रचा ये गीत राज कपूर के लिए

आज हम आपको राज कपूर द्वारा अभिनीत, सी. रामचन्द्र का संगीतबद्ध और मन्ना डे का गाया यही गीत सुनवाएँगे। सी. रामचन्द्र, मुकेश की गायकी को पसन्द नहीं करते थे, इसके बावजूद राज कपूर के कारण उन्होने मुकेश को फिल्म में शामिल किया। परन्तु उन्होने मुकेश से फिल्म के हल्के-फुल्के गीत गवाये और गम्भीर गीत मन्ना डे के हिस्से में आए।

ते की मैं झूठ बोलेया...पूछा राज कपूर ने समाज से, सलिल चौधरी की धुन में

पूरी फिल्म में नायक कुछ नहीं बोलता। केवल अन्त में वह कहता है- ‘मैं थका-हारा-प्यासा पानी पीने यहाँ चला आया, और सब लोग मुझे चोर समझ कर मेरे पीछे भागे, जैसे मैं कोई पागल कुत्ता हूँ। मैंने यहाँ हर तरह के लोग और चेहरे देखे। मुझ गँवार को तुमसे यही शिक्षा दी कि चोरी किये बिना कोई बड़ा आदमी नहीं बन सकता... क्या सचमुच चोरी किये बिना कोई बड़ा आदमी नहीं बन सकता?’

हम प्यार करेंगे....कहा राज कपूर के लिए साथ आये हेमंत कुमार और मदन मोहन साहब ने

यह एकमात्र गीत है, जिसमें हेमन्त कुमार ने राज कपूर के लिए स्वर दिया और ‘धुन’ राज कपूर द्वारा अभिनीत एकमात्र वह फिल्म है जिसका संगीत मदनमोहन ने दिया। इस फिल्म के बाद फिल्म संगीत के इन दोनों दिग्गजों ने राज कपूर के साथ कभी कार्य नहीं किया।