स्वरगोष्ठी – 497 में आज
देशभक्ति गीतों में शास्त्रीय राग – 2
"वतन पे जो फ़िदा होगा, अमर वो नौजवाँ होगा"... देशभक्ति के करुण स्वर, राग गुजरी तोड़ी में
“रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ "स्वरगोष्ठी" के मंच पर मैं सुजॉय चटर्जी, आप सब संगीत प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। जब देशभक्ति गीतों की बात चलती है, तब सबसे पहले ऐसे जोशीले गाने याद आते हैं जो हमारे अन्दर देशभक्ति का जस्बा पैदा करते हैं, जिन्हें सुनते हुए हमारा ख़ून गर्म हो जाता है। पर बहुत से देशभक्ति गीत ऐसे भी हैं जो तीव्र लय वाले जोशीले रंग के नहीं, बल्कि ऐसे दिल को छू लेने वाली धुनों से सजे हैं कि जिन्हें सुनते हुए ना केवल देशभक्ति की लहर हमारी रगों में उमड़ने लगती हैं बल्कि इन गीतों के करुण पक्ष की वजह से ये हमारी आँखें भी नम कर जाती हैं। देशभक्ति के सुमधुर सुरों में ढले ऐसे कई गीत हैं जो शास्त्रीय रागों पर आधारित हैं। और ऐसे ही राग आधारित देशभक्ति गीतों से सजी है ’स्वरगोष्ठी’ की वर्तमान श्रृंखला - ’देशभक्ति गीतों में शास्त्रीय राग’। इस श्रृंखला की पहली कड़ी में हमने चर्चा की थी राग आसावरी पर आधारित गीत "ऐ मेरे वतन के लोगों" की। आज इसकी दूसरी कड़ी में प्रस्तुत है फ़िल्म ’फूल बने अंगारे’ के गीत "वतन पे जो फ़िदा होगा, अमर वो नौजवाँ होगा" से सम्बन्धित जानकारी। यह गीत आधारित है राग गुजरी तोड़ी पर। साथ ही सुनिए राग गुजरी तोड़ी में सारंगी पर उस्ताद सुल्तान ख़ाँ की बजायी हुई एक सुमधुर रचना।
कल्याणजी-आनन्दजी के साथ मोहम्मद रफ़ी |
1963 में ’फूल बने अंगारे’ के बाद दो वर्ष के ही अन्दर, 1965 की फ़िल्म ’हिमालय की गोद में’ में भी कल्याणजी-आनन्दजी ने राग गुजरी तोड़ी पर आधारित एक गीत की रचना की थी जिसे ख़ूब सुना गया और आज भी रेडियो पर अक्सर सुनने को मिल जाता है। मुकेश की दर्द भरी आवाज़ में यह गीत है "मैं तो इक ख़्वाब हूँ, इस ख़्वाब से तू प्यार ना कर"। जैसा कि हमने ऊपर कहा है कि गुजरी तोड़ी एक गम्भीर प्रकृति का राग है, इसलिए इस राग में दर्द और भक्ति रस के गाने अधिक निखर कर सामने आते हैं। "मैं तो इक ख़्वाब हूँ" में जहाँ दर्द छुपा हुआ है, वहीं दूसरी तरफ़ इसी राग पर आधारित अनुप जलोटा के गाये प्रसिद्ध भजन "वो काला एक बांसुरी वाला" भक्ति रस से ओतप्रोत है। और जब दर्द और भक्ति, दोनों को एक साथ पिरोने की बात आती है, तब कल्याणजी-आनन्दजी की रचनात्मकता जन्म देती है "वतन पे जो फ़िदा होगा" जैसे गीत को, जिसमें शहादत का "दर्द" भी है और देश के प्रति "भक्ति" भी। निस्संदेह इस फ़िल्म के सिचुएशन में इस गीत के माध्यम से जिस भाव को उजागर करने की कोशिश की गई है, वह भाव गुजरी तोड़ी में ढल कर और भी सशक्त हो गया है। लीजिए नीचे दिए हुए लिंक पर क्लिक करके इस गीत को सुनिए और फ़िल्मांकन को देखते हुए महसूस कीजिए कि किस तरह से राग गुजरी तोड़ी के सुरों ने गीत में छुपे देशभक्ति और दर्द के भावों को उजागर किया है। एक तरफ़ फ़ौजी युद्ध पर जाने को तैयार है, उसके अन्दर देशभक्ति मचल रही है, और दूसरी तरफ़ उसकी पत्नी उसे विदा कर रही हैं। फ़ौजी की देशभक्ति और उसकी पत्नी का दर्द, ये ही दो भाव यह गीत उजागर कर रहा है। यह गीत आज के दौर के गायकों को भी प्रेरित करता है। जानेमाने गायक जावेद अली कहते हैं, "मुझे अगर कहा जाए कि देशभक्ति गाना गाओ, तो सबसे पहले यह गाना गाता हूँ। यह गाना मुझे इतना पसन्द है। और इतनी ख़ूबसूरते के साथ इसे गाया है रफ़ी साहबने कि तारीफ़ के लायक शब्द नहीं है मेरे पास, और उतना ही ख़ूबसूरत म्युज़िक है कल्याणजी-आनन्दजी भाई का इसमें।"
गीत : “वतन पे जो फ़िदा होगा...” : फ़िल्म: फूल बने अंगारे, गायक : मोहम्मद रफ़ी
उस्ताद सुल्तान ख़ाँ |
राग गुजरी तोड़ी : सारंगी : उस्ताद सुल्तान ख़ाँ
संगीत पहेली के महाविजेताओं से क्षमा याचना
"स्वरगोष्ठी" के 495 और 496 वें अंक में वर्ष 2020 के महाविजेताओं के नामों की घोषणा के साथ-साथ महाविजेताओं की प्रस्तुतियाँ सम्मिलित की जानी थीं। अंक 495 में चौथे और पाँचवें महाविजेताओं की घोषणा भी हो चुकी थी। परन्तु कृष्णमोहन मिश्र जी के अचानक निधन की वजह से पहले, दूसरे और तीसरे महाविजेताओं के नाम अज्ञात् ही रह गए। पूरे वर्ष में पूछी गईं पहेलियों के सही उत्तर देने वाले प्रतिभागियों की तालिका और आंकड़ें कृष्णमोहन जी के कम्प्युटर पर होने की वजह से ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ टीम इन्हें प्राप्त नहीं कर पायी है। अत: हमें खेद है कि हम वर्ष 2020 के प्रथम तीन महाविजेताओं के नामों की घोषणा कर पाने में असमर्थ हैं। आशा है आप सभी हमारी विवशता को समझेंगे और हमें इस बात के लिए क्षमा करेंगे।
संवाद
मित्रों, इन दिनों हम सब भारतवासी, प्रत्येक नागरिक को कोरोना वायरस से मुक्त करने के लिए प्रयत्नशील हैं। देश के कुछ स्थानों पर अचानक इस वायरस का प्रकोप इन दिनों बढ़ गया है। अप सब सतर्कता बरतें। संक्रमित होने वालों के स्वस्थ होने का प्रतिशत निरन्तर बढ़ रहा है। परन्तु अभी भी हमें पर्याप्त सतर्कता बरतनी है। विश्वास कीजिए, हमारे इस सतर्कता अभियान से कोरोना वायरस पराजित होगा। आप सब से अनुरोध है कि प्रत्येक स्थिति में चिकित्सकीय और शासकीय निर्देशों का पालन करें और अपने घर में सुरक्षित रहें। इस बीच शास्त्रीय संगीत का श्रवण करें और अनेक प्रकार के मानसिक और शारीरिक व्याधियों से स्वयं को मुक्त रखें। विद्वानों ने इसे “नाद योग पद्धति” कहा है। “स्वरगोष्ठी” की नई-पुरानी श्रृंखलाएँ सुने और पढ़ें। साथ ही अपनी प्रतिक्रिया से हमें अवगत भी कराएँ।
अपनी बात
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कृष्णमोहन मिश्र जी की पुण्य स्मृति को समर्पित
प्रस्तुति : सुजॉय चटर्जी
राग गुजरी तोड़ी : SWARGOSHTHI – 49े7 : RAG GUJARI TODI : 17 जनवरी, 2021
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