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राग धानी : SWARGOSHTHI – 475 : RAG DHANI







स्वरगोष्ठी – 475 में आज 

काफी थाट के राग – 19 : राग धानी 

पण्डित जीतेन्द्र अभिषेकी से राग धानी में एक शास्त्रीय रचना और लता मंगेशकर से फिल्म का गीत सुनिए 







जितेन्द्र अभिषेकी 


लता मंगेशकर 
“रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला “काफी थाट के राग” की उन्नीसवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। भारतीय संगीत के अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट व्यवस्था है। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र अर्थात कुल बारह स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए इन बारह स्वरों में से कम से कम पाँच का होना आवश्यक होता है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के बारह में से मुख्य सात स्वरों के क्रमानुसार समुदाय को थाट कहते हैं, जिससे राग उत्पन्न होते हों। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रचलन पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे जी ने प्रारम्भ किया था। वर्तमान समय में रागों के वर्गीकरण के लिए यही पद्धति प्रचलित है। भातखण्डे जी द्वारा प्रचलित ये दस थाट हैं; कल्याण, बिलावल, खमाज, भैरव, पूर्वी, मारवा, काफी, आसावरी, तोड़ी और भैरवी। इन सभी प्रचलित और अप्रचलित रागों को इन्हीं दस थाट के अन्तर्गत सम्मिलित किया गया है। भारतीय संगीत में थाट स्वरों के उस समूह को कहते हैं जिससे रागों का वर्गीकरण किया जा सकता है। पन्द्रहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में 'राग तरंगिणी’ ग्रन्थ के लेखक लोचन कवि ने रागों के वर्गीकरण की परम्परागत 'ग्राम और मूर्छना प्रणाली’ का परिमार्जन कर मेल अथवा थाट प्रणाली की स्थापना की। लोचन कवि के अनुसार उस समय सोलह हज़ार राग प्रचलित थे। इनमें 36 मुख्य राग थे। सत्रहवीं शताब्दी में थाट के अन्तर्गत रागों का वर्गीकरण प्रचलित हो चुका था। थाट प्रणाली का उल्लेख सत्रहवीं शताब्दी के ‘संगीत पारिजात’ और ‘राग विबोध’ नामक ग्रन्थों में भी किया गया है। लोचन द्वारा प्रतिपादित थाट प्रणाली का प्रयोग लगभग तीन सौ वर्षों तक होता रहा। उन्नीसवीं शताब्दी के अन्तिम और बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भिक दशकों में पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे ने भारतीय संगीत के बिखरे सूत्रों को न केवल संकलित किया बल्कि संगीत के कई सिद्धान्तों का परिमार्जन भी किया। भातखण्डे जी द्वारा निर्धारित दस थाट में से सातवाँ थाट काफी है। इस श्रृंखला में हम काफी थाट के रागों पर क्रमशः चर्चा कर रहे हैं। प्रत्येक थाट का एक आश्रय अथवा जनक राग होता है और शेष जन्य राग कहलाते हैं। आपके लिए इस श्रृंखला में हम काफी थाट के जनक और जन्य रागों पर चर्चा कर रहे हैं। श्रृंखला की उन्नीसवीं कड़ी में आज हमने काफी थाट के राग धानी का चयन किया है। श्रृंखला की इस कड़ी में आज हम आपके लिए औड़व-औड़व जाति के राग धानी का परिचय प्रस्तुत करेंगे। इसके साथ ही सुविख्यात संगीतज्ञ पण्डित जीतेन्द्र अभिषेकी के स्वरों में धानी की एक रचना के माध्यम से राग के शास्त्रीय स्वरूप का दर्शन करा रहे हैं। इस राग के स्वरों का फिल्मी गीतों में काफी उपयोग किया गया है। राग धानी के स्वरों पर आधारित एक फिल्मी गीत का हमने चयन किया है। आज की कड़ी में हम आपको 1961 में प्रदर्शित फिल्म "हम दोनो" से साहिर लुधियानवी का लिखा और जयदेव का स्वरबद्ध किया एक गीत "प्रभु तेरो नाम जो ध्याए फल पाए..." सुनवा रहे हैं, जिसे लता मंगेशकर ने स्वर दिया है। 



राग धानी को काफी थाट का जन्य राग माना जाता है। इस राग में गान्धार और निषाद स्वर कोमल रूप में प्रयोग किया जाता है। राग में ऋषभ और धैवत स्वर वर्जित होता है। राग धानी औड़व-औड़व जाति का राग होता है, अर्थात इसके आरोह और अवरोह में पाँच-पाँच स्वर प्रयोग किये जाते हैं। आरोह के स्वर हैं; सा, ग(कोमल), म, प, नि(कोमल), सां तथा अवरोह के स्वर है; सां, नि(कोमल), प, म, ग(कोमल), सा। राग का वादी स्वर गान्धार और संवादी स्वर निषाद होता है। राग के गायन अथवा वादन का सर्वाधिक उपयुक्त समय दिन का तीसरा प्रहर माना जाता है। कुछ विद्वानों के मतानुसार राग धानी सार्वकालिक राग है। अब हम आपको सुप्रसिद्ध संगीतज्ञ पण्डित जीतेन्द्र अभिषेकी से राग धानी, द्रुत तीनताल में निबद्ध एक शास्त्रीय रचना सुनवा रहे हैं। 

राग धानी : तराना युक्त द्रुत तीनताल की रचना : पण्डित जीतेन्द्र अभिषेकी 


औड़व-औड़व जाति के राग धानी में कई फिल्मी गीत को आधार दिया जा चुका है। आज हम आपको साहिर लुधियानवी का लिखा, जयदेव का संगीतबद्ध किया, 1961 में प्रदर्शित फिल्म "हम दोनों" से राग धानी पर आधारित गीत; "प्रभु तेरो नाम जो ध्याये फल पाए..." प्रस्तुत कर रहे हैं। इस फिल्म और गीत के विषय में फिल्म संगीत के सुप्रसिद्ध इतिहासकार और मेरे सहयोगी सुजॉय चटर्जी लिखते है; 

"फ़िल्म ’हम दोनो’ में दो भजन हैं – “अल्लाह तेरो नाम, ईश्वर तेरो नाम” और “प्रभु तेरो नाम”। “अल्लाह तेरो नाम” भजन अगर गम्भीर, स्थिर और शान्त प्रकृति का है, तो “प्रभु तेरो नाम” में भावनाओं की तीव्रता है। मुखड़े के बोलों से दोनो भजन एक जैसा लग सकता है, पर सुनने पर पता चलता है कि जयदेव जी ने दोनों के संगीत को एक दूसरे से किस प्रकार अलग रखा है। “प्रभु तेरो नाम” में जयदेव जी ने सुरों की जो जटिल गुंथाई की है, वो हर संगीतकार के बस की बात नहीं है। "जीवन धन मिल जाए, मिल जाए”, इस पंक्ति में जब लता जी दूसरी बार “मिल जाए” गाती हैं, उसके गाने के तरीके को सुन कर ही अंदज़ा लग जाता है कि जयदेव जी किस स्तर के संगीतकार रहे हैं। अगर किसी ने यह फ़िल्म नहीं देख रखी हो तो गीत की पंक्तियों के बीच में होने वाली शोर को सुन कर उन्हें यह ग़लतफ़हमी हो सकती है कि रिकॉर्डिंग् में कोई गड़बड़ी हुई होगी, पर हक़ीक़त में उन दृश्यों में आकाश में उड़ते युद्ध विमानों को दिखाया जाता है और ये उसी का शोर है।" 

गीतकार और संगीतकार के इसी दल ने 1963 में प्रदर्शित फिल्म "मुझे जीने दो" में राग धानी पर ही आधारित गीत; "रात भी है कुछ भीगी भीगी..." तैयार किया था। इसके अलावा शंकर जयकिशन का स्वरबद्ध किया 1969 में प्रदर्शित फिल्म "प्रिंस" का गीत; "बदन पे सितारे लपेटे हुए..." और सरदार मालिक का स्वरबद्ध किया 1963 में प्रदर्शित फिल्म "बचपन" का गीत; "तेरे हम ओ सनम..." भी राग धानी पर आधारित हैं। अब आप फिल्म "हम दोनों" से राग धानी में निबद्ध गीत सुनिए और मुझे आज की इस कड़ी को यहीं विराम देने की अनुमति दीजिए। 

राग धानी : "प्रभु तेरो नाम..." : लता मंगेशकर : फिल्म - हम दोनों 




संगीत पहेली

"स्वरगोष्ठी" के 475वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको वर्ष 1959 में प्रदर्शित एक फिल्म के राग आधारित गीत का अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर आपको दो अंक अर्जित करने के लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो प्रश्नों के सही उत्तर देना आवश्यक हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा तीनों प्रश्नों का उत्तर ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। श्रृंखला के तीसरे सत्र अर्थात 480वें अंक की पहेली का उत्तर प्राप्त होने के बाद तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे उन्हें वर्ष के तृतीय सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही पूरे वर्ष के प्राप्तांकों की गणना के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की घोषणा की जाएगी और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा। 





1 - इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इसमें किस राग का आधार है? 

2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल को पहचानिए और उसका नाम बताइए। 

3 – इस गीत में किस विख्यात पार्श्वगायक के स्वर है? 

आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia9@gmail.com पर ही शनिवार 22 अगस्त, 2020 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको यदि उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। फेसबुक पर पहेली का उत्तर स्वीकार नहीं किया जाएगा। विजेताओं के नाम हम उनके शहर/ग्राम, प्रदेश और देश के नाम के साथ “स्वरगोष्ठी” के अंक संख्या 477 में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रस्तुत गीत, संगीत या कलाकार के बारे में यदि आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia9@gmail.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं। 


पिछली पहेली के सही उत्तर और विजेता

“स्वरगोष्ठी” के 473वें अंक में हमने आपको 1979 में प्रदर्शित फिल्म "मीरा" के एक गीत का अंश सुनवा कर आपसे तीन में से कम से कम दो सही उत्तरों की अपेक्षा की थी। पहेली के पहले प्रश्न का सही उत्तर है; राग - मीरा मल्हार (श्री कन्हैयालाल पाण्डेय के अनुसार मियाँ मल्हार), दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – तीनताल तथा तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – वाणी जयराम। 

‘स्वरगोष्ठी’ की इस पहेली का सही उत्तर देने वाले हमारे विजेता हैं; वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, चेरीहिल, न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल और जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी। उपरोक्त सभी प्रतिभागियों में से प्रत्येक को दो-दो अंक मिलते हैं। ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से आप सभी को हार्दिक बधाई। इस सप्ताह एक दुःखद सूचना है। हमारी नियमित पाठक और नियमित रूप से पहेली का उत्तर देने वाली हैदराबाद की डी. हरिणा माधवी एक दुर्घटना में घायल हो गईं हैं। उनकी हैदराबाद के एक चिकित्सालय में उपचार जारी है। हम ईश्वर से उनके शीघ्र स्वास्थ्यलाभ की प्रार्थना करते हैं। सभी प्रतिभागियों से अनुरोध है कि अपने पते के साथ कृपया अपना उत्तर ईमेल से ही भेजा करें। इस पहेली प्रतियोगिता में हमारे नए प्रतिभागी भी हिस्सा ले सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आपको पहेली के तीनों प्रश्नों के सही उत्तर ज्ञात हो। यदि आपको पहेली का कोई एक उत्तर भी ज्ञात हो तो भी आप इसमें भाग ले सकते हैं। 


संवाद

मित्रों, इन दिनों हम सब भारतवासी, प्रत्येक नागरिक को कोरोना वायरस से मुक्त करने के लिए प्रयत्नशील हैं। अब हम काफी हद तक हम सफल भी हुए हैं। परन्तु अभी भी हमें पर्याप्त सतर्कता बरतनी है। विश्वास कीजिए, हमारे इस सतर्कता अभियान से कोरोना वायरस पराजित होगा। आप सब से अनुरोध है कि प्रत्येक स्थिति में चिकित्सकीय और शासकीय निर्देशों का पालन करें और अपने घर में सुरक्षित रहें। इस बीच शास्त्रीय संगीत का श्रवण करें और अनेक प्रकार के मानसिक और शारीरिक व्याधियों से स्वयं को मुक्त रखें। विद्वानों ने इसे “नाद योग पद्धति” कहा है। “स्वरगोष्ठी” की नई-पुरानी श्रृंखलाएँ सुने और पढ़ें। साथ ही अपनी प्रतिक्रिया से हमें अवगत भी कराएँ। 


अपनी बात

मित्रों, ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी हमारी नई श्रृंखला “काफी थाट के राग” की उन्नीसवीं कड़ी में आज आपने काफी थाट के जन्य राग धानी का परिचय प्राप्त किया। राग के शास्त्रीय स्वरूप को समझने के लिए सुविख्यात संगीतज्ञ पण्डित जितेन्द्र अभिषेकी के स्वरों में राग मीरा मल्हार की एक शास्त्रीय रचना के माध्यम से राग के शास्त्रीय स्वरूप का दर्शन कराया। इसके साथ ही “स्वरगोष्ठी” की परम्परा के अनुसार आज की कड़ी में हमने आपको 1961 में प्रदर्शित फिल्म "हम दोनों" से जयदेव का संगीतबद्ध किया एक गीत "प्रभु तेरो नाम..." प्रस्तुत किया। गीत के स्वर लता मंगेशकर के हैं। 

आपके प्रिय स्तम्भ "स्वरगोष्ठी" के सम्पादक और प्रस्तुतकर्त्ता से गत सप्ताह आकाशवाणी और दूरदर्शन, लखनऊ में स्क्रिप्ट राइटर और प्रस्तुतकर्त्ता के रूप में कार्य कर चुकी तथा दूरदर्शन मुख्यालय से उपनिदेशक के रूप में सेवानिवृत्त सुश्री नीलम चतुर्वेदी ने बातचीत की थी। इसमें 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' और सम्पादन कार्य के बारे में बातचीत की है। कृपया इसे सुनें और अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराएँ। इस लिंक को क्लिक करके आप इसे सुन सकते हैं। 

 

कुछ तकनीकी समस्या के कारण हम अपने फेसबुक के मित्र समूह पर “स्वरगोष्ठी” का लिंक साझा नहीं कर पा रहे हैं। सभी संगीत अनुरागियों से अनुरोध है कि हमारी वेबसाइट http://radioplaybackindia.com अथवा http://radioplaybackindia.blogspot.com पर क्लिक करके हमारे सभी साप्ताहिक स्तम्भों का अवलोकन करते रहें। “स्वरगोष्ठी” के वेब पेज के दाहिनी ओर निर्धारित स्थान पर अपना ई-मेल आईडी अंकित कर आप हमारे सभी पोस्ट को नियमित रूप से अपने ई-मेल पर प्राप्त कर सकते है। “स्वरगोष्ठी” की पिछली कड़ियों के बारे में हमें अनेक पाठकों की प्रतिक्रिया लगातार मिल रही है। हमें विश्वास है कि हमारे अन्य पाठक भी “स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का अवलोकन करते रहेंगे और अपनी प्रतिक्रिया हमें भेजते रहेंगे। आज के इस अंक अथवा श्रृंखला के बारे में यदि आपको कुछ कहना हो तो हमें अवश्य लिखें। यदि आपका कोई सुझाव या अनुरोध हो तो हमें swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia9@gmail.com पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः सात बजे “स्वरगोष्ठी” के इसी मंच पर हम एक बार फिर संगीत के सभी अनुरागियों का स्वागत करेंगे। 

प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र  

रेडियो प्लेबैक इण्डिया 
राग धानी : SWARGOSHTHI – 475 : RAG DHANI : 16 अगस्त, 2020 




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