स्वरगोष्ठी – 467 में आज
काफी थाट के राग – 11 : राग मालगुंजी
उस्ताद अलाउद्दीन खाँ की वायलिन पर राग मालगुंजी और लता मंगेशकर से फिल्म का एक गीत सुनिए
उस्ताद अलाउद्दीन खान |
लता मंगेशकर |
राग मालगुंजी के मुख्य स्वर हैं; रे, नि॒, सा, रे, ग, म। इनसे इस राग का प्रारम्भिक दर्शन हो जाता है। इस राग को राग रागेश्वरी और राग बागेश्री का मिश्रण माना जाता है। आरोह में कहीं-कहीं रागेश्वरी तो अवरोह में कहीं-कहीं बागेश्री का आभास होता है। संगीत मार्तण्ड पण्डित ओंकारनाथ ठाकुर के मतानुसार इस राग की प्रकृति न गम्भीर है और न तरल है। वैचारिक अन्तर्द्वन्द्व, उलझन की स्थितियों में इस राग के स्वर संवेदनात्मक रूप में प्रेरणा तथा मनोबल को सुदृढ़ करने के साथ-साथ उन कष्टदायक स्थितियों का समाधान करने में सहयोगी सिद्ध हो सकते हैं। उलझनों तथा मानसिक अन्तर्द्वन्द्व की स्थितियों के साथ-साथ इनके प्रभावानुसार उत्पन्न मनोभौतिक समस्याओं; उच्चरक्तचाप का बढ़ना, भूंख न लगना, अनिद्रा आदि का उपचार इस राग से सम्भव हो सकता है। राग मालगुंजी के शास्त्रीय स्वरूप को समझने के लिए अब हम आपके लिए मैहर घराने के संस्थापक उस्ताद अलाउद्दीन खाँ का वायलिन वादन प्रस्तुत कर रहे हैं। यू-ट्यूब के सौजन्य से प्रस्तुत इस दुर्लभ वीडियो का अब आप रसास्वादन करें।
राग मालगुंजी : वायलिन वादन : उस्ताद अलाउद्दीन खाँ
राग मालगुंजी का सम्बन्ध काफी थाट से माना जाता है। इसमें दोनों गान्धार और दोनों निषाद प्रयोग किये जाते हैं। शुद्ध निषाद का प्रयोग अति अल्प किया जाता है। अन्य स्वर शुद्ध प्रयोग होते हैं। आरोह में पंचम स्वर वर्जित होता है और अवरोह में सातो स्वर प्रयोग किये जाते हैं। इसलिए यह षाडव-सम्पूर्ण जाति का राग है। राग का वादी स्वर मध्यम और संवादी स्वर षडज होता है। इस राग के गायन-वादन का अनुकूल समय रात्रि का दूसरा प्रहर है। सामान्यतः आरोह में शुद्ध गान्धार और शुद्ध निषाद तथा अवरोह में कोमल गान्धार और कोमल निषाद का प्रयोग किया जाता है। शुद्ध निषाद का अति अल्प प्रयोग केवल तार सप्तक के साथ आरोह में किया जाता है। मन्द्र सप्तक के आरोहात्मक और अवरोहात्मक दोनों प्रकार के स्वरों में कोमल निषाद का प्रयोग किया जाता है। कुछ विद्वान केवल कोमल निषाद प्रयोग करते हैं, शुद्ध निषाद लगाते ही नहीं। पंचम स्वर आरोह में वर्जित है और अवरोह में अल्प है। धैवत से मध्यम को आते समय पंचम का कण लिया जाता है। शुद्ध निषाद का अल्पत्व, कोमल निषाद की अधिकता, मध्यम स्वर का बहुत्व और पंचम स्वर का अल्पत्व तथा लगभग राग बागेश्री के समान चलन होने के कारण इसे बागेश्री अंग का राग कहा जाता है। राग मालगुंजी का वादी-संवादी क्रमशः मध्यम और षडज होने के कारण इसे रात्रि 12 बजे के बाद गाना-बजाना चाहिए, किन्तु इसे रात्रि 12 बजे से पूर्व गाया-बजाया जाता है। अब हम प्रस्तुत कर रहे हैं; राग मालगुंजी पर आधारित एक फिल्मी गीत। इसे हमने वर्ष 1961 में प्रदर्शित फिल्म “छोटे नवाब” से लिया है। लता मंगेशकर के स्वर में प्रस्तुत उस गीत के संगीतकार राहुलदेव बर्मन हैं। “हिन्दी सिने राग इनसाइक्लोपीडिया” के ग्रन्थकार के.एल. पाण्डेय के अनुसार इस गीत में राग मालगुंजी के साथ राग खमाज का स्पर्श भी हुआ है। आप यह गीत सुनिए और मुझे आज के इस अंक को यहीं विराम देने की अनुमति दीजिए।
राग मालगुंजी : “घर आ जा घिर आई बदरा...” : लता मंगेशकर : फिल्म – छोटे नवाब
संगीत पहेली
‘स्वरगोष्ठी’ के 467वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको वर्ष 1966 में प्रदर्शित एक फिल्म के राग आधारित लोकप्रिय गीत का अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर आपको दो अंक अर्जित करने के लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो प्रश्नों के सही उत्तर देना आवश्यक हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा तीनों प्रश्नों का उत्तर ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। श्रृंखला के दूसरे सत्र अर्थात 470वें अंक की पहेली का उत्तर प्राप्त होने के बाद तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे उन्हें वर्ष के द्वितीय सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही पूरे वर्ष के प्राप्तांकों की गणना के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की घोषणा की जाएगी और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा।
1 - इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इसमें किस राग की छाया है?
2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल को पहचानिए और उसका नाम बताइए।
3 – इस युगलगीत में किन गायको के स्वर है?
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia9@gmail.com पर ही शनिवार 27 जून, 2020 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको यदि उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। फेसबुक पर पहेली का उत्तर स्वीकार नहीं किया जाएगा। विजेताओं के नाम हम उनके शहर/ग्राम, प्रदेश और देश के नाम के साथ “स्वरगोष्ठी” के अंक संख्या 469 में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रस्तुत गीत, संगीत या कलाकार के बारे में यदि आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia9@gmail.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के सही उत्तर और विजेता
“स्वरगोष्ठी” के 465 वें अंक में हमने आपको 1971 में प्रदर्शित फिल्म “शर्मीली” के एक गीत का अंश सुनवा कर आपसे तीन में से कम से कम दो सही उत्तरों की अपेक्षा की थी। पहेली के पहले प्रश्न का सही उत्तर है; राग – पटदीप, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – रूपक तथा तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – लता मंगेशकर।
‘स्वरगोष्ठी’ की इस पहेली का सही उत्तर देने वाले हमारे विजेता हैं; वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, खण्डवा, मध्यप्रदेश से रविचन्द्र जोशी, अहमदाबाद, गुजरात से मुकेश लाडिया, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी और हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी। उपरोक्त सभी प्रतिभागियों में से प्रत्येक को दो अंक मिलते हैं। ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से आप सभी को हार्दिक बधाई। सभी प्रतिभागियों से अनुरोध है कि अपने पते के साथ कृपया अपना उत्तर ईमेल से ही भेजा करें। इस पहेली प्रतियोगिता में हमारे नए प्रतिभागी भी हिस्सा ले सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आपको पहेली के तीनों प्रश्नों के सही उत्तर ज्ञात हो। यदि आपको पहेली का कोई एक उत्तर भी ज्ञात हो तो भी आप इसमें भाग ले सकते हैं।
संवाद
मित्रों, इन दिनों हम सब भारतवासी, प्रत्येक नागरिक को कोरोना वायरस से मुक्त करने के लिए प्रयत्नशील हैं। अन्य समर्थ देशों की तुलना में हमारे प्रयास सराहनीय रहे हैं। अभी भी हमें पर्याप्त सतर्कता बरतनी है। विश्वास कीजिए, हमारे इस अभियान से कोरोना वायरस पराजित होगा। आप सब से अनुरोध है कि प्रत्येक स्थिति में चिकित्सकीय और शासकीय निर्देशों का पालन करें और अपने घर में सुरक्षित रहें। इस बीच शास्त्रीय संगीत का श्रवण करें और अनेक प्रकार के मानसिक और शारीरिक व्याधियों से स्वयं को मुक्त रखें। विद्वानों ने इसे “नाद योग पद्धति” कहा है। “ स्वरगोष्ठी” की नई-पुरानी श्रृंखलाएँ सुने और पढ़ें। साथ ही अपनी प्रतिक्रिया से हमें अवगत भी कराएँ।
अपनी बात
मित्रों, ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी हमारी नई श्रृंखला “काफी थाट के राग” की ग्यारहवीं कड़ी में आज आपने काफी थाट के जन्य राग मालगुंजी का परिचय प्राप्त किया। राग के शास्त्रीय स्वरूप को समझने के लिए सुविख्यात संगीतज्ञ उस्ताद अलाउद्दीन खाँ का वायलिन पर बजाया राग मालगुंजी सुना। इसके साथ ही “स्वरगोष्ठी” की परम्परा के अनुसार 1961 में प्रदर्शित फिल्म “छोटे नवाब” से इसी राग में पिरोया एक मधुर गीत लता मंगेशकर के स्वर में हमने प्रस्तुत किया। इस गीत के गीतकार शैलेंद्र और संगीतकार राहुलदेव बर्मन हैं। कुछ तकनीकी समस्या के कारण हम अपने फेसबुक के मित्र समूह पर “स्वरगोष्ठी” का लिंक साझा नहीं कर पा रहे हैं। सभी संगीत अनुरागियों से अनुरोध है कि हमारी वेबसाइट http://radioplaybackindia.com अथवा http://radioplaybackindia.blogspot.com पर क्लिक करके हमारे सभी साप्ताहिक स्तम्भों का अवलोकन करते रहें। “स्वरगोष्ठी” के वेब पेज के दाहिनी ओर निर्धारित स्थान पर अपना ई-मेल आईडी अंकित कर आप हमारे सभी पोस्ट को नियमित रूप से अपने ई-मेल पर प्राप्त कर सकते है। “स्वरगोष्ठी” की पिछली कड़ियों के बारे में हमें अनेक पाठकों की प्रतिक्रिया लगातार मिल रही है। हमें विश्वास है कि हमारे अन्य पाठक भी “स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का अवलोकन करते रहेंगे और अपनी प्रतिक्रिया हमें भेजते रहेंगे। आज के इस अंक अथवा श्रृंखला के बारे में यदि आपको कुछ कहना हो तो हमें अवश्य लिखें। यदि आपका कोई सुझाव या अनुरोध हो तो हमें swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia9@gmail.com पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः सात बजे “स्वरगोष्ठी” के इसी मंच पर हम एक बार फिर संगीत के सभी अनुरागियों का स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
राग मालगुंजी : SWARGOSHTHI – 467 : RAG MALGUNJI : 21 जून, 2018
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