स्वरगोष्ठी – 466 में आज
काफी थाट के राग – 10 : राग पटदीप
उस्ताद राशिद खाँ से राग पटदीप की बन्दिश और लता मंगेशकर से फिल्म का एक गीत सुनिए
उस्ताद राशिद खाँ
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लता मंगेशकर
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राग पटदीप काफी थाट का राग माना जाता है। इसके आरोह के स्वर हैं; नि, सा ग(कोमल), म, प, नि, सां और अवरोह के स्वर है; सां, नि, ध, प, म, ग(कोमल), रे सा। सुप्रसिद्ध संगीतज्ञ पण्डित श्रीकुमार मिश्र के अनुसार यदि व्यक्ति प्रयास करते करते निराश हो गया हो, डिप्रेशन की स्थिति में आ गया हो और अपने जीवन से निराश हो गया हो तो राग पटदीप के संवेदनापूर्ण स्वरों से उसे सहानुभूति प्रदान करते हुए प्रयास और कर्म के क्षेत्र में पूर्ण मनोयोग से संलग्न होने के लिए प्रेरणा देते हैं। राग पटदीप के उत्तरांग के स्वरों के द्वारा अन्तरात्मा की पुकार बलवती होगी और यह स्वर निराशा तथा क्लेश को हर लेती है और नवऊर्जा का संचार करेंगे। म, प, कोमल ग, म, प, नि, ध, प, कोमल ग, म, प, सां, ध, प, म, प, कोमल ग आदि सभी स्वर मथ–मथ कर आन्तरिक सभी गुबार, पीड़ा, निराशा, डिप्रेशन को बाहर का रास्ता दिखा देंगे। इन विकृतियों के बाहर हो जाने पर व्यक्ति सरल, सात्विक और संवेदनशील मनःस्थिति के साथ परोपकार और समस्याओं के समाधान के लिए प्रयासरत होगा। राग पटदीप में कोमल गान्धार स्वर मन को पिघलाता है। मध्यम और पंचम स्वर मनोबल में वृद्धि करता है। शुद्ध निषाद पुकार का भाव कायम करता है। अवरोह के स्वरों से सफलता प्राप्ति के पश्चात संवेदनपूर्ण शान्ति का दर्शन होता है। डिप्रेशन और चिन्ताविकृति से पीड़ित व्यक्ति को राग पटदीप का श्रवण 15 दिनों तक लगातार करना चाहिए।
राग पटदीप : “रंग रँगीला बनरा मोरा...” : उस्ताद राशिद खाँ
राग पटदीप का सम्बन्ध काफी थाट से माना जाता है। इसके आरोह में ऋषभ और धैवत वर्जित है और अवरोह में सातो स्वर प्रयोग किये जाते हैं। अतः यह औड़व- सम्पूर्णजाति का राग है। राग का वादी स्वर पंचम और संवादी स्वर षडज होता है। इसमें केवल गान्धार स्वर कोमल और अन्य स्वर शुद्ध प्रयोग किये जाते हैं। राग पटदीप के गायन और वादन का उपयुक्त समय दिन का तीसरा प्रहर होता है। विद्वानों के अनुसार यह राग काफी थाट का राग माना गया है, किन्तु वास्तव में यह राग दस थाट में से किसी भी थाट के अनुकूल नहीं है। क्योंकि वर्णित दस थाट में कोई भी ऐसा थाट नहीं है, जिसमें केवल गान्धार स्वर कोमल और शेष स्वर शुद्ध प्रयोग किये जाते हों। इस राग की रचना राग भीमपलासी के कोमल निषाद को शुद्ध स्वर में परिवर्तन करने से हुई है। मध्य सप्तक में बढ़त करते समय बीच-बीच में शुद्ध निषाद की झलक दिखाना आवश्यक होता है। अन्यथा राग भीमपलासी की छाया दृष्टिगोचर होने लगती है। अब हम आपको राग पटदीप पर आधारित एक मधुर गीत सुनवाते हैं। यह गीत 1971 में प्रदर्शित फिल्म “शर्मीली” से लिया गया है। इसके गीतकार गोपालदास नीरज, संगीतकार सचिनदेव बर्मन और गायिका लता मंगेशकर हैं। यह गीत रूपकताल में निबद्ध है। आप यह गीत सुनिए और मुझे आज की इस कड़ी को यहीं विराम देने की अनुमति दीजिए।
राग पटदीप : “मेघा छाए आधी रात बैरन बन गई...” : लता मंगेशकर : फिल्म – शर्मीली
संगीत पहेली
‘स्वरगोष्ठी’ के 466वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको वर्ष 1961 में प्रदर्शित एक फिल्म के राग आधारित लोकप्रिय गीत का अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर आपको दो अंक अर्जित करने के लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो प्रश्नों के सही उत्तर देना आवश्यक हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा तीनों प्रश्नों का उत्तर ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। श्रृंखला के दूसरे सत्र अर्थात 470वें अंक की पहेली का उत्तर प्राप्त होने के बाद तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे उन्हें वर्ष के द्वितीय सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही पूरे वर्ष के प्राप्तांकों की गणना के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की घोषणा की जाएगी और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा।
1 - इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इसमें किस राग का स्पर्श है?
2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल को पहचानिए और उसका नाम बताइए।
3 – इस गीत में किस पार्श्वगायिका के स्वर है?
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia9@gmail.com पर ही शनिवार 20 जून, 2020 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको यदि उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। फेसबुक पर पहेली का उत्तर स्वीकार नहीं किया जाएगा। विजेताओं के नाम हम उनके शहर/ग्राम, प्रदेश और देश के नाम के साथ “स्वरगोष्ठी” के अंक संख्या 468 में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रस्तुत गीत, संगीत या कलाकार के बारे में यदि आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia9@gmail.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के सही उत्तर और विजेता
“स्वरगोष्ठी” के 464 वें अंक में हमने आपको 1975 में प्रदर्शित फिल्म “कागज की नाव” के एक गीत का अंश सुनवा कर आपसे तीन में से कम से कम दो सही उत्तरों की अपेक्षा की थी। पहेली के पहले प्रश्न का सही उत्तर है; राग – आभोगी कान्हड़ा+बागेश्री, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – दीपचन्दी तथा तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – आशा भोसले।
‘स्वरगोष्ठी’ की इस पहेली का सही उत्तर देने वाले हमारे विजेता हैं; वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया,चेरीहिल न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी, अहमदाबाद, गुजरात से मुकेश लाडिया और हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी। उपरोक्त सभी प्रतिभागियों में से प्रत्येक को दो अंक मिलते हैं। ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से आप सभी को हार्दिक बधाई। सभी प्रतिभागियों से अनुरोध है कि अपने पते के साथ कृपया अपना उत्तर ईमेल से ही भेजा करें। इस पहेली प्रतियोगिता में हमारे नए प्रतिभागी भी हिस्सा ले सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आपको पहेली के तीनों प्रश्नों के सही उत्तर ज्ञात हो। यदि आपको पहेली का कोई एक उत्तर भी ज्ञात हो तो भी आप इसमें भाग ले सकते हैं।
संवाद
मित्रों, इन दिनों हम सब भारतवासी, प्रत्येक नागरिक को कोरोना वायरस से मुक्त करने के लिए प्रयत्नशील हैं। अन्य समर्थ देशों की तुलना में हमारे प्रयास सराहनीय रहे हैं। अभी भी हमें पर्याप्त सतर्कता बरतनी है। विश्वास कीजिए, हमारे इस अभियान से कोरोना वायरस पराजित होगा। आप सब से अनुरोध है कि प्रत्येक स्थिति में चिकित्सकीय और शासकीय निर्देशों का पालन करें और अपने घर में सुरक्षित रहें। इस बीच शास्त्रीय संगीत का श्रवण करें और अनेक प्रकार के मानसिक और शारीरिक व्याधियों से स्वयं को मुक्त रखें। विद्वानों ने इसे “नाद योग पद्धति” कहा है। “ स्वरगोष्ठी” की नई-पुरानी श्रृंखलाएँ सुने और पढ़ें। साथ ही अपनी प्रतिक्रिया से हमें अवगत भी कराएँ।
अपनी बात
मित्रों, ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी हमारी नई श्रृंखला “काफी थाट के राग” की दसवीं कड़ी में आज आपने काफी थाट के जन्य राग पटदीप का परिचय प्राप्त किया। राग के शास्त्रीय स्वरूप को समझने के लिए सुविख्यात संगीतज्ञ उस्ताद राशिद खान के स्वर में राग पटदीप में एक द्रुत खयाल हमने प्रस्तुत किया। इसके साथ ही वर्ष 1971 में प्रदर्शित फिल्म “शर्मीली” से राग पटदीप पर आधारित एक गीत पार्श्वगायिका लता मंगेशकर के स्वर में प्रस्तुत किया। इस गीत के गीतकार गोपालदास नीरज और संगीतकार सचिनदेव बर्मन हैं। कुछ तकनीकी समस्या के कारण हम अपने फेसबुक के मित्र समूह पर “स्वरगोष्ठी” का लिंक साझा नहीं कर पा रहे हैं। सभी संगीत अनुरागियों से अनुरोध है कि हमारी वेबसाइट http://radioplaybackindia.com अथवा http://radioplaybackindia.blogspot.com पर क्लिक करके हमारे सभी साप्ताहिक स्तम्भों का अवलोकन करते रहें। “स्वरगोष्ठी” के वेब पेज के दाहिनी ओर निर्धारित स्थान पर अपना ई-मेल आईडी अंकित कर आप हमारे सभी पोस्ट को नियमित रूप से अपने ई-मेल पर प्राप्त कर सकते है। “स्वरगोष्ठी” की पिछली कड़ियों के बारे में हमें अनेक पाठकों की प्रतिक्रिया लगातार मिल रही है। हमें विश्वास है कि हमारे अन्य पाठक भी “स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का अवलोकन करते रहेंगे और अपनी प्रतिक्रिया हमें भेजते रहेंगे। आज के इस अंक अथवा श्रृंखला के बारे में यदि आपको कुछ कहना हो तो हमें अवश्य लिखें। यदि आपका कोई सुझाव या अनुरोध हो तो हमें swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia9@gmail.com पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः सात बजे “स्वरगोष्ठी” के इसी मंच पर हम एक बार फिर संगीत के सभी अनुरागियों का स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
राग पटदीप : SWARGOSHTHI – 466 : RAG PATADEEP : 14 जून, 2018
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