स्वरगोष्ठी - 452 में आज
मारवा थाट के राग - 1 : राग मारवा
उस्ताद राशिद खाँ से मारवा का खयाल और लता मंगेशकर से फिल्म “साज और आवाज़” का गीत सुनिए
उस्ताद राशिद खाँ |
लता मंगेशकर |
राग मारवा
इसी नाम से प्रचलित मारवा थाट का आश्रय राग है। मारवा थाट में प्रयोग होने
वाले स्वर हैं- सा, रे॒(कोमल), ग, म॑(तीव्र), प, ध, नि । अर्थात मारवा थाट
में ऋषभ कोमल, मध्यम तीव्र तथा शेष स्वर शुद्ध प्रयोग किये जाते हैं। राग
मारवा, ‘मारवा’ थाट का आश्रय राग है, जिसमे ऋषभ कोमल और मध्यम तीव्र होता
है, किन्तु पंचम स्वर वर्जित होता है। यह षाडव- षाडव जाति का राग है।
अर्थात आरोह और अवरोह में छह स्वरों के प्रयोग होते हैं। राग मारवा के आरोह
स्वर हैं; सा, रे ग, म॑(तीव्र), ध, नि, ध, सां तथा अवरोह के स्वर हैं,
सां, नि, ध, म॑(तीव्र), ग, रे(कोमल), सा होता है। इसका वादी स्वर ऋषभ तथा
संवादी स्वर धैवत होता है। इस राग का गायन-वादन दिन के चौथे प्रहर में
उपयुक्त माना जाता है। अब हम आपको राग मारवा में निबद्ध एक खयाल सुनवा रहे
हैं। इसे प्रस्तुत कर रहे हैं, रामपुर सहसवान घराने की गायकी के संवाहक
उस्ताद राशिद खाँ। राग मारवा उदासी भाव का राग होता है। द्रुत खयाल की
बन्दिश के बोल हैं- ‘गुरु बिन ज्ञान न पावे...’।
राग मारवा : “गुरु बिन ज्ञान न पावे...” : उस्ताद राशिद खाँ
भारतीय
संगीत में रागों के गायन-वादन का समय निर्धारण करने के लिए शास्त्रकारों
ने अनेक सिद्धान्तों प्रतिपादन किया है। आज हम आपसे दिन के चौथे प्रहर के
राग मारवा के बारे में चर्चा कर रहे हैं। इस प्रहर के अन्त में ही
सायंकालीन सन्धिप्रकाश रागों का समय आता है। अध्वदर्शक स्वर सिद्धान्त के
अनुसार मध्यम स्वर के प्रकार से सन्धिप्रकाश रागों का निर्धारण भी किया जा
सकता है। सन्धिप्रकाश काल उस समय को कहा जाता है, जब अन्धकार और प्रकाश का
मिलन होता है। यह स्थिति चौबीस घण्टे की अवधि में दो बार उत्पन्न होती है।
प्रातःकालीन सन्धिप्रकाश और सायंकालीन सन्धिप्रकाश; जिसे गोधूलि बेला भी
कहते हैं। प्रातःकालीन सन्धिप्रकाश रागों में शुद्ध मध्यम स्वर की तथा
सायंकालीन सन्धिप्रकाश रागों में रागों में तीव्र मध्यम की प्रधानता होती
है। भैरव, कलिंगड़ा, जोगिया आदि प्रातःकालीन सन्धिप्रकाश रागों में शुद्ध
मध्यम और मारवा, श्री, पूरिया आदि सायंकालीन सन्धिप्रकाश रागों में तीव्र
मध्यम स्वर का प्रयोग होता है। दिन के चौथे प्रहर के एक ऐसे ही राग मारवा
का उदाहरण आज के अंक में हम प्रस्तुत कर रहे हैं। अन्य रागों की तुलना में
राग मारवा शुष्क और चंचल प्रकृति का राग है। इस राग में विलम्बित खयाल और
मसीतखानी गतें कम प्रचलित हैं। इस राग का प्रयोग करते समय तानपूरे का प्रथम
तार मन्द्र निषाद में मिलाया जाता है, क्योंकि इस राग में शुद्ध मध्यम और
पंचम दोनों स्वर वर्जित होते हैं। अब हम आपको राग मारवा पर आधारित एक
फिल्मी गीत सुनवाते हैं। वर्ष 1966 में प्रदर्शित एक फिल्म है- ‘साज और
आवाज़’, जिसके गीतों को नौशाद ने संगीतबद्ध किया था। इस फिल्म का जो गीत हम
आपको सुनवा रहे हैं, उसे लता मंगेशकर व साथियों ने स्वर दिया था। इसके
गीतकार हैं, खुमार बाराबंकवी। फिल्म में यह गीत सायरा बानो और साथियों के
नृत्य पर फिल्माया गया था। आइए, सुनते हैं यह गीत और राग मारवा के स्वरों
को पहचानने का प्रयास करते हैं। आप यह गीत सुनिए और हमें आज के इस अंक को
यहीं विराम देने की अनुमति दीजिए।
राग मारवा : “पायलिया बाँवरी बाजे...” : लता मंगेशकर और साथी : फिल्म – साज और आवाज़
संगीत पहेली
‘स्वरगोष्ठी’
के 452वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको वर्ष 1960 में प्रदर्शित एक
ऐतिहासिक फिल्म के गीत का अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर आपको
दो अंक अर्जित करने के लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो प्रश्नों के
सही उत्तर देना आवश्यक हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा तीनों
प्रश्नों का उत्तर ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं।
460वें अंक की पहेली तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे उन्हें वर्ष
के प्रथम सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही पूरे वर्ष के
प्राप्तांकों की गणना के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की घोषणा की
जाएगी और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा।
1- इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इसमें किस राग की झलक है?
2- इस गीत में प्रयोग किये गए ताल को पहचानिए और उसका नाम बताइए।
3- इस गीत में किस पार्श्वगायक का स्वर है?
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia9@gmail.com
पर ही शनिवार, 25 जनवरी, 2020 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको यदि
उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली
प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS
में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। “फेसबुक” पर पहेली का उत्तर
स्वीकार नहीं किया जाएगा। विजेता का नाम हम उनके शहर, प्रदेश और देश के नाम
के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के अंक संख्या 454 में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में
प्रस्तुत गीत, संगीत या कलाकार के बारे में यदि आप कोई जानकारी या अपने
किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी में
स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia9@gmail.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के सही उत्तर और विजेता
“स्वरगोष्ठी”
के 450वें अंक में हमने आपसे पहेली का कोई भी प्रश्न नहीं पूछा था, अतः इस
अंक में हम सही उत्तर और विजेताओं के नाम प्रकाशित नहीं कर रहे हैं। अगले
अंक में हम पहेली क्रमांक 451 का सही उत्तर और विजेताओं के नाम प्रकाशित
करेंगे। सभी प्रतिभागियों से अनुरोध है कि अपने पते के साथ कृपया अपना
उत्तर ई-मेल से ही भेजा करें। इस पहेली प्रतियोगिता में हमारे नये
प्रतिभागी भी हिस्सा ले सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आपको पहेली के
तीनों प्रश्नों के सही उत्तर ज्ञात हो। यदि आपको पहेली का कोई एक भी उत्तर
ज्ञात हो तो भी आप इसमें भाग ले सकते हैं।
अपनी बात
मित्रों,
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी हमारी
श्रृंखला “मारवा थाट के राग” की पहली कड़ी में आज आपने मारवा थाट के आश्रय
अथवा जनक राग मारवा का परिचय प्राप्त किया। साथ ही इस शैली के शास्त्रीय
स्वरूप को समझने के लिए आपने सुविख्यात संगीतज्ञ उस्ताद राशिद खाँ इस राग
में निबद्ध एक खयाल का रसास्वादन किया। राग मारवा के आधार पर रचे गए फिल्मी
गीत के उदाहरण के लिए हमने आपके लिए सुप्रसिद्ध गायिका लता मंगेशकर और
साथियों के स्वर में फिल्म “साज और आवाज़” एक गीत प्रस्तुत किया। अगले अंक
में हम मारवा थाट के एक जन्य राग का परिचय प्रस्तुत करेंगे। कुछ तकनीकी
समस्या के कारण अपने फेसबुक के मित्र समूह पर अपना लिंक साझा नहीं कर पा
रहे हैं। संगीत अनुरागियों से अनुरोध है कि हमारी वेबसाइट http://radioplaybackindia.com अथवा http://radioplaybackindia.blogspot.com
पर क्लिक करके हमारे सभी साप्ताहिक स्तम्भों का अवलोकन करते रहें।
“स्वरगोष्ठी” पर हमारी पिछली कड़ियों के बारे में हमें अनेक पाठकों की
प्रतिक्रिया लगातार मिल रही है। हमें विश्वास है कि हमारे अन्य पाठक भी
“स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का अवलोकन करते रहेंगे और अपनी प्रतिक्रिया
हमें भेजते रहेगे। आज के अंक और श्रृंखला के बारे में यदि आपको कुछ कहना हो
तो हमें अवश्य लिखें। हमारी वर्तमान अथवा अगली श्रृंखला के लिए यदि आपका
कोई सुझाव या अनुरोध हो तो हमें swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia9@gmail.com
पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः सात बजे “स्वरगोष्ठी” के
इसी मंच पर एक बार फिर संगीत के सभी अनुरागियों का स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
राग व थाट मारवा : SWARGOSHTHI 452 : RAG & THAT MARVA : 19 जनवरी, 2019
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