लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। पिछली बार आपने शीतल माहेश्वरी के स्वर में शरद जोशी लिखित व्यंग्य "आलोचना" का पाठ सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं, प्रसिद्ध साहित्यकार और भारतीय सैन्य अधिकारी कर्नल गौतम राजऋषि की फ़ौजी की डायरी का एक अंश 'करुणा में हमेशा एक निजी इतिहास होता है', स्पेन से पूजा अनिल के स्वर में।
राष्ट्रीय पहचान वाली पत्रिका कथादेश में प्रकाशित हो चुकी इस रचना का गद्य पाल ले इक रोग नादां पर उपलब्ध है। कुल प्रसारण समय 19 मिनट 20 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।
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हवा जब किसी की कहानी कहे है
नये मौसमों की जुबानी कहे है
फ़साना लहर का जुड़ा है ज़मीं से
समुन्दर मगर आसमानी कहे है
~ गौतम राजऋषि
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"...और इन लम्बी-लम्बी रातों में आकार बदलते चाँद से ही गुफ्तगू होती है अक्सर! मगर ये कमीना चाँद इतनी जल्दी-जल्दी क्यों अमावस की तरफ भागता है?”
(कर्नल गौतम राजऋषि की रचना "करुणा में हमेशा एक निजी इतिहास होता है" से एक अंश)
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करुणा में हमेशा एक निजी इतिहास होता है MP3
#Twenty Third, Ek Fauji Ki Diary: Gautam Rajrishi/Hindi Audio Book/2019/23. Voice: Pooja Anil
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