हमने पॉडकास्ट ब्लॉग 'आवाज़' की शुरूआत सूरज प्रकाश की कहानी 'एक जीवन समांतर' से की थी। आज कहानी सुनाने के क्रम में हम लाये हैं राजीव रंजन प्रसाद के स्वर में इन्हीं की कहानी 'ज़िंदा हो गया है'। यह कहानी कहानी-कलश पर २६ सितम्बर २००७ को प्रकाशित है।
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1 टिप्पणी:
aराजीव जी आपकी कहानी पढने का लाभ तो मैं नहीं पा पाया पर आज आपकी ही आवाज मी सुनकर ऐसा लगा मानो कहानी का हर एक पत्र मन मष्तिस्क में जिंदा हो गया है.
बहुत बहुत साधुवाद
साथ ही साथ पोडकास्ट से जुड़े सभी मित्रों को मेरे तरफ़ से धन्यवाद
उनके प्रयासों के कारण ही आज यह सब सम्भव हो पाया है
शुभकामनाओं समेत
आलोक सिंह "साहिल"
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