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5 मिनट ज्ञान || एपिसोड 01 || औषधीय वनस्पति || तुलसी

5 मिनट ज्ञान की इस पहली सीरिस में हम जानकारी दे रहे हैं, औषधीय वनस्पतियों के बारे, इसकी पहली कड़ी में सुनिए तुलसी के औषधीय गुणों के बारे में  5 Minute Gyaan is an attempt to provide the right information and knowledge to our children in Hindi laungauge, Program head Sunita Yadav, is organizing this show with her team of young little podcasters, even the script too is written by children themselves. आप हमारे इस पॉडकास्ट को इन पॉडकास्ट साईटस पर भी सुन सकते हैं  Spotify Amazon music   Google Podcasts Apple Podcasts Gaana JioSaavn हम से जुड़ सकते हैं - facebook  instagram  YouTube  To Join 5 Minute Gyaan team, please write to  sunitay4u@gmail.com . Hope you like this initiative, give us your feedback on radioplaybackdotin@gmail.com  

खेमा (बोलती कहानियाँ सीज़न 1) पॉडकास्ट # 9

रेडियो प्लेबैक इंडिया के साप्ताहिक स्तम्भ ' बोलती कहानियाँ ' के अंतर्गत हम आपको सुनवाते हैं हिन्दी की नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। बोलती कहानियाँ (सीज़न 1) केे पॉडकास्ट # 9 में आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं दीपक शर्मा की एक कथा " खेमा ", अनुराग शर्मा के स्वर में। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ द्वारा साहित्य भूषण सम्मान से सम्मानित लेखिका दीपक शर्मा की रचनाओं का परिवेश जितना व्यापक है, उतना ही प्रामाणिक भी। उनके जैसी प्रामाणिकता हिंदी में कहीं और नहीं दिखती है, और न ही वैसा विस्तार। बीसियों पत्रिकाओं व अनेक संकलनों में अब तक सैकड़ों कहानियाँ आ चुकी हैं। हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी कहानी पाँच साल पहले तपेदिक से हुई माँ की मृत्यु के बाद ही से क्वार्टर में अब केवल बाबा और मैं ही रहते हैं। ( दीपक शर्मा की "खेमा" से एक अंश ) यूट्यूब पर सुनिये एंकर पर सुनिये गूगल पॉडकास्ट पर सुनिये स्पॉटिफ़ाइ पर सुनिये कहानी " खेमा " का कुल प्रसारण समय 12 मिनट 12 सेकंड है। सुनें और बतायें

स्वरगोष्ठी – 510: "बार-बार हाँ, बोलो यार हाँ ..." : राग जोग :: SWARGOSHTHI – 510 : RAG JOG

               स्वरगोष्ठी – 510 में आज   देशभक्ति गीतों में शास्त्रीय राग – 14   "बार-बार हाँ, बोलो यार हाँ...", जीत के लिए उत्साहवर्धन ,राग जोग के सुरों में ढल कर “रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ "स्वरगोष्ठी" के मंच पर मैं सुजॉय चटर्जी,  साथी सलाहकर शिलाद चटर्जी के साथ, आप सब संगीत प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। उन्नीसवीं सदी में देशभक्ति गीतों के लिखने-गाने का रिवाज हमारे देश में काफ़ी ज़ोर पकड़ चुका था। पराधीनता की बेड़ियों में जकड़ा देश गीतों, कविताओं, लेखों के माध्यम से जनता में राष्ट्रीयता की भावना जगाने का काम करने लगा। जहाँ एक तरफ़ कवियों और शाइरों ने देशप्रेम की भावना से ओतप्रोत रचनाएँ लिखे, वहीं उन कविताओं और गीतों को अर्थपूर्ण संगीत में ढाल कर हमारे संगीतकारों ने उन्हें और भी अधिक प्रभावशाली बनाया। ये देशभक्ति की धुनें ऐसी हैं कि जो कभी हमें जोश से भर देती हैं तो कभी इनके करुण स्वर हमारी आँखें नम कर जाते हैं। कभी ये हमारा सर गर्व से ऊँचा कर देते हैं तो कभी इन्हें सुनते हुए हमारे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इन देशभक्ति की रचनाओं में बहुत सी रचनाएँ

असंतुष्ट (बोलती कहानियाँ सीज़न 1) पॉडकास्ट # 8

रेडियो प्लेबैक इंडिया के साप्ताहिक स्तम्भ ' बोलती कहानियाँ ' के अंतर्गत हम आपको सुनवाते हैं हिन्दी की नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। बोलती कहानियाँ (सीज़न 1) केे पॉडकास्ट # 8 में आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं अनुराग शर्मा की एक लघुकथा " असंतुष्ट ", अनुराग शर्मा ही के स्वर में। मरेंगे हम किताबों में वरक होंगे कफ़न अपना किसी ने न हमें जाना न पहचाना सुखन अपना ~ अनुराग शर्मा हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी कहानी पब्लिसिटी है, अखबार में फ़ोटो छपाने को किया है। ( अनुराग शर्मा की "असंतुष्ट" से एक अंश ) यूट्यूब पर सुनिये गाना पर सुनिये जियो सावन एंकर पर सुनिये गूगल पॉडकास्ट पर सुनिये स्पॉटिफ़ाइ पर सुनिये ऐपल पॉडकास्ट एमेज़ॉन म्यूज़िक प्राइम कहानी " असंतुष्ट " का कुल प्रसारण समय 3 मिनट 20 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिकों, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ द

स्वरगोष्ठी – 509: "पुरवा सुहानी आयी रे ..." : राग - तिलंग :: SWARGOSHTHI – 509 : RAG - TILANG

              स्वरगोष्ठी – 509 में आज   देशभक्ति गीतों में शास्त्रीय राग – 13   "आत्मा और परमात्मा मिले जहाँ, यही है वो स्थान...", तिलंग के सुरों  से होती है "पुरवा सुहानी आयी रे" की शुरुआत “रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ "स्वरगोष्ठी" के मंच पर मैं सुजॉय चटर्जी,  साथी सलाहकर शिलाद चटर्जी के साथ, आप सब संगीत प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। उन्नीसवीं सदी में देशभक्ति गीतों के लिखने-गाने का रिवाज हमारे देश में काफ़ी ज़ोर पकड़ चुका था। पराधीनता की बेड़ियों में जकड़ा देश गीतों, कविताओं, लेखों के माध्यम से जनता में राष्ट्रीयता की भावना जगाने का काम करने लगा। जहाँ एक तरफ़ कवियों और शाइरों ने देशप्रेम की भावना से ओतप्रोत रचनाएँ लिखे, वहीं उन कविताओं और गीतों को अर्थपूर्ण संगीत में ढाल कर हमारे संगीतकारों ने उन्हें और भी अधिक प्रभावशाली बनाया। ये देशभक्ति की धुनें ऐसी हैं कि जो कभी हमें जोश से भर देती हैं तो कभी इनके करुण स्वर हमारी आँखें नम कर जाते हैं। कभी ये हमारा सर गर्व से ऊँचा कर देते हैं तो कभी इन्हें सुनते हुए हमारे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इन द

हास्य बालकथा (बोलती कहानियाँ सीज़न 1) पॉडकास्ट # 7

रेडियो प्लेबैक इंडिया के साप्ताहिक स्तम्भ ' बोलती कहानियाँ ' के अंतर्गत हम आपको सुनवाते हैं हिन्दी की नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। बोलती कहानियाँ (सीज़न 1) केे पॉडकास्ट # 7  में आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं प्रभाशंकर उपाध्याय लिखित " हास्य बालकथा ", पूजा अनिल के स्वर में। हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी कहानी "मिस्टर जॉन स्वभाव से बड़े हँसोड़ हैं।” (प्रभाशंकर उपाध्याय कृत "हास्य बालकथा" से एक अंश) यूट्यूब पर सुनिये एंकर पर सुनिये गूगल पॉडकास्ट पर सुनिये स्पॉटिफ़ाइ पर सुनिये कहानी " हास्य  बालकथा " का कुल प्रसारण समय 5 मिनट 50 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिकों, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया boltikahaniyan.rpi@gmail.com पर सम्पर्क करें। Season 1; Podcast #7, Hasya Baalkatha: Prabhashankar Upadhyay/2021/7. Voice:

स्वरगोष्ठी – 508: "चलो झूमते सर से बांधे कफ़न ..." : राग - कोमल ऋषभ आसावरी :: SWARGOSHTHI – 508 : RAG - KOMAL RISHABH ASAVARI

             स्वरगोष्ठी – 508 में आज   देशभक्ति गीतों में शास्त्रीय राग – 12   "चलो झूमते सर से बांधे कफ़न...", कोमल ऋषभ आसावरी के सुरों  के द्वारा सैनिकों का उत्साहवर्धन “रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ "स्वरगोष्ठी" के मंच पर मैं सुजॉय चटर्जी,  साथी सलाहकर शिलाद चटर्जी के साथ, आप सब संगीत प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। उन्नीसवीं सदी में देशभक्ति गीतों के लिखने-गाने का रिवाज हमारे देश में काफ़ी ज़ोर पकड़ चुका था। पराधीनता की बेड़ियों में जकड़ा देश गीतों, कविताओं, लेखों के माध्यम से जनता में राष्ट्रीयता की भावना जगाने का काम करने लगा। जहाँ एक तरफ़ कवियों और शाइरों ने देशप्रेम की भावना से ओतप्रोत रचनाएँ लिखे, वहीं उन कविताओं और गीतों को अर्थपूर्ण संगीत में ढाल कर हमारे संगीतकारों ने उन्हें और भी अधिक प्रभावशाली बनाया। ये देशभक्ति की धुनें ऐसी हैं कि जो कभी हमें जोश से भर देती हैं तो कभी इनके करुण स्वर हमारी आँखें नम कर जाते हैं। कभी ये हमारा सर गर्व से ऊँचा कर देते हैं तो कभी इन्हें सुनते हुए हमारे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इन देशभक्ति की रचनाओं में बहुत सी