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रबीन्द्र नाथ ठाकुर की कहानी भिखारिन

'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने  अर्चना चावजी  की आवाज़ में हिंदी साहित्यकार प्रेमचंद की कहानी " बड़े भाई साहब " का पॉडकास्ट सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं रबीन्द्र नाथ ठाकुर की एक कहानी " भिखारिन ", जिसको स्वर दिया है अर्चना चावजी ने। कहानी का कुल प्रसारण समय 16 मिनट 12 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें।  पक्षी समझते हैं कि मछलियों को पानी से ऊपर उठाकर वे उनपर उपकार करते हैं।  ~ रबीन्द्र नाथ ठाकुर (1861-1941)  हर सप्ताह यहाँ सुनें एक नयी कहानी  उसके पास काफ़ी रुपये हो गये थे।  ( रबीन्द्र नाथ ठाकुर की "भिखारिन" से एक अंश ) नीचे के प्लेयर से सुनें। (प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले

राग पूरियाधनाश्री : SWARGOSHTHI – 320 : RAG PURIYADHANASHRI

स्वरगोष्ठी – 320 में आज संगीतकार रोशन के गीतों में राग-दर्शन – 6 : राग पूरियाधनाश्री राग पूरियाधनाश्री में पण्डित भीमसेन जोशी से खयाल और आशा भोसले से गीत सुनिए ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के मंच पर ‘स्वरगोष्ठी’ की जारी श्रृंखला “संगीतकार रोशन के गीतों में राग-दर्शन” की छठी कड़ी के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। मित्रों, इस श्रृंखला में हम फिल्म जगत में 1948 से लेकर 1967 तक सक्रिय रहे संगीतकार रोशन के राग आधारित गीत प्रस्तुत कर रहे हैं। रोशन ने भारतीय फिल्मों में हर प्रकार का संगीत दिया है, किन्तु राग आधारित गीत और कव्वालियों को स्वरबद्ध करने में उन्हें विशिष्टता प्राप्त थी। भारतीय फिल्मों में राग आधारित गीतों को स्वरबद्ध करने में संगीतकार नौशाद और मदन मोहन के साथ रोशन का नाम भी चर्चित है। इस श्रृंखला में हम आपको संगीतकार रोशन के स्वरबद्ध किये राग आधारित गीतों में से कुछ गीतों को चुन कर सुनवा रहे हैं और इनके रागों पर चर्चा भी कर रहे हैं। इस परिश्रमी संगीतकार का पूरा नाम रोशन लाल नागरथ था। 14 जुलाई 1917 को तत्क

चित्रकथा - 21: "माइ नेम इज़ बॉन्ड...जेम्स बॉन्ड!!!"

अंक - 21 रॉजर मूर को श्रद्धांजलि माइ नेम इज़ बॉन्ड...जेम्स बॉन्ड!!!  ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। समूचे विश्व में मनोरंजन का सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम सिनेमा रहा है और भारत कोई व्यतिक्रम नहीं। बीसवीं सदी के चौथे दशक से सवाक् फ़िल्मों की जो परम्परा शुरु हुई थी, वह आज तक जारी है और इसकी लोकप्रियता निरन्तर बढ़ती ही चली जा रही है। और हमारे यहाँ सिनेमा के साथ-साथ सिने-संगीत भी ताल से ताल मिला कर फलती-फूलती चली आई है। सिनेमा और सिने-संगीत, दोनो ही आज हमारी ज़िन्दगी के अभिन्न अंग बन चुके हैं। ’चित्रकथा’ एक ऐसा स्तंभ है जिसमें बातें होंगी चित्रपट की और चित्रपट-संगीत की। फ़िल्म और फ़िल्म-संगीत से जुड़े विषयों से सुसज्जित इस पाठ्य स्तंभ में आपका हार्दिक स्वागत है।  23 मई 2017 को ब्रिटिश अभिनेता सर रॉजर जॉर्ज मूर का निधन हो गया। यूं तो उन्होंने बहुत सी फ़िल्मों में अभिनय किया, पर वो ज़्यादा जाने गए जेम्स बॉन्ड का किरदार निभाने के लिए। 1973 से 1985 के बीच उन्होंने कुल सात जेम्स बॉन्ड फ़िल्मों में ऐसा सशक्त अभिनय किया कि

गीत अतीत 15 || हर गीत की एक कहानी होती है || कारे कारे बदरा || ब्लू माउंटेन्स || सुनील सिरवैया

Geet Ateet 15 Har Geet Kii Ek Kahaani Hoti Hai... Kaarey Kaarey Badra Blue Mountains (Monty Sharma, Shreya Ghoshal, Yatharth Ratnum) Sunil Sirvaiya- Lyricist " गीत के आरंभ में जो सरगम है, वो मोंटी जी ने वहीँ स्टूडियो में रिकॉर्डिंग के दौरान ही स्वरबद्ध किया.. ." - सुनील सिरवैया  जानिये फिल्म ब्लू माउंटेन्स के गीत "कारे कारे बदरा" के बनने की कहानी गीतकार सुनील सिरवैया से, संगीत है मोंटी शर्मा का और आवाजें हैं श्रेया घोषाल और यथार्थ रत्नम की... प्ले पर क्लिक करे और सुनें .... डाउनलोड कर के सुनें  यहाँ  से.... सुनिए इन गीतों की कहानियां भी - ओ रे रंगरेज़ा (जॉली एल एल बी) मैनरलैस मजनूं (रंनिंग शादी डॉट कॉम) रंग (अरविन्द तिवारी, गैर फ़िल्मी सिंगल) हमसफ़र (बदरी की दुल्हनिया) सनशाईन (गैर फ़िल्मी सिंगल) हौले हौले (गैर फ़िल्मी सिंगल) कागज़ सी है ज़िन्दगी (जीना इसी का नाम है)  बेखुद (गैर फ़िल्मी सिंगल) इतना तुम्हें (मशीन)  आ गया हीरो (आ गया हीरो) ये मैकदा (गैर फ़िल्मी ग़ज़ल) पूरी कायनात (पूर्णा) दम दम (फिल्लौरी) धीमी (

महफ़िल ए कहकशां -23, "सातों बार बोले बंसी" जैसे नगीनों से सजी है आज की "गुलज़ार-आशा-पंचम"-मयी महफ़िल

महफ़िल ए कहकशाँ 23 पंचम, आशा ताई और गुलज़ार  दो स्तों सुजोय और विश्व दीपक द्वारा संचालित "कहकशां" और "महफिले ग़ज़ल" का ऑडियो स्वरुप लेकर हम हाज़िर हैं, "महफिल ए कहकशां" के रूप में पूजा अनिल और रीतेश खरे  के साथ।  अदब और शायरी की इस महफ़िल में आज पेश है गुलज़ार, राहुल देव बर्मन और आशा भोसले की तिकड़ी के सुरीले संगम से निकला एक नगमा 'दिल पडोसी है' एल्बम से|  मुख्य स्वर - पूजा अनिल, रीतेश खरे एवं सजीव सारथी  स्क्रिप्ट - विश्व दीपक एवं सुजॉय चटर्जी

राग खमाज : SWARGOSHTHI – 319 : RAG KHAMAJ

स्वरगोष्ठी – 319 में आज संगीतकार रोशन के गीतों में राग-दर्शन – 5 : राग खमाज का रंग राग खमाज में उस्ताद उस्ताद निसार हुसैन खाँ से खयाल और मुहम्मद रफी से गीत सुनिए ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के मंच पर ‘स्वरगोष्ठी’ की जारी श्रृंखला “संगीतकार रोशन के गीतों में राग-दर्शन” की पाँचवीं कड़ी के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। मित्रों, इस श्रृंखला में हम फिल्म जगत में 1948 से लेकर 1967 तक सक्रिय रहे संगीतकार रोशन के राग आधारित गीत प्रस्तुत कर रहे हैं। रोशन ने भारतीय फिल्मों में हर प्रकार का संगीत दिया है, किन्तु राग आधारित गीत और कव्वालियों को स्वरबद्ध करने में उन्हें विशिष्टता प्राप्त थी। भारतीय फिल्मों में राग आधारित गीतों को स्वरबद्ध करने में संगीतकार नौशाद और मदन मोहन के साथ रोशन का नाम भी चर्चित है। इस श्रृंखला में हम आपको संगीतकार रोशन के स्वरबद्ध किये राग आधारित गीतों में से कुछ गीतों को चुन कर सुनवा रहे हैं और इनके रागों पर चर्चा भी कर रहे हैं। इस परिश्रमी संगीतकार का पूरा नाम रोशन लाल नागरथ था। 14 जुलाई 1917

चित्रकथा - 20: रीमा लागू की शुरुआती फ़िल्मी भूमिकाएँ

अंक - 20 रीमा लागू को श्रद्धांजलि रीमा लागू की शुरुआती फ़िल्मी भूमिकाएँ  ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। समूचे विश्व में मनोरंजन का सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम सिनेमा रहा है और भारत कोई व्यतिक्रम नहीं। बीसवीं सदी के चौथे दशक से सवाक् फ़िल्मों की जो परम्परा शुरु हुई थी, वह आज तक जारी है और इसकी लोकप्रियता निरन्तर बढ़ती ही चली जा रही है। और हमारे यहाँ सिनेमा के साथ-साथ सिने-संगीत भी ताल से ताल मिला कर फलती-फूलती चली आई है। सिनेमा और सिने-संगीत, दोनो ही आज हमारी ज़िन्दगी के अभिन्न अंग बन चुके हैं। ’चित्रकथा’ एक ऐसा स्तंभ है जिसमें बातें होंगी चित्रपट की और चित्रपट-संगीत की। फ़िल्म और फ़िल्म-संगीत से जुड़े विषयों से सुसज्जित इस पाठ्य स्तंभ में आपका हार्दिक स्वागत है।  18 मई 2017 को सुप्रसिद्ध अभिनेत्री रीमा लागू का मात्र 59 वर्ष की आयु में निधन हो गया। इतनी जल्दी उनके दुनिया-ए-फ़ानी से चले जाने से अभिनय जगत को जो क्षति पहुँची है उसकी भरपाई हो पाना असंभव है। 35 सालों से उपर के अभिनय सफ़र में रीमा जी ने दर्शकों के दिल