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विदुषी मीता पण्डित से सुनिए राम-सिया की होली

स्वरगोष्ठी – 126 में आज भूले-बिसरे संगीतकार की कालजयी कृति – 6 राग काफी पर आधारित गीत- ‘कासे कहूँ मन की बात...’     ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी लघु श्रृंखला ‘भूले-बिसरे संगीतकार की कालजयी कृति’ की इस छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम आपको राग-आधारित कुछ ऐसे फिल्मी गीत सुनवा रहे हैं, जो आधी शताब्दी से भी अधिक अवधि बीत जाने के बावजूद सदाबहार गीत के रूप में हमारे बीच प्रतिष्ठित हैं। ये गीत सदाबहार तो हैं, परन्तु इनके संगीतकार हमारी स्मृतियों में धूमिल हो गए हैं। इस श्रृंखला को प्रस्तुत करने का उद्देश्य ही यही है कि इन कालजयी, राग आधारित गीतों के माध्यम से हम कुछ भूले-बिसरे संगीतकारों को स्मरण करें। आज के अंक में हम आपको राग काफी पर आधारित एक मधुर फिल्मी गीत सुनवाएँगे और इस गीत के संगीतकार एन. दत्ता का स्मरण करेंगे। इसके साथ ही सुप्रसिद्ध युवा गायिका विदुषी मीता पण्डित से इसी राग में निबद्ध रस से भरी एक होरी भी सुनेगे। एन. दत्ता 195

सिने पहेली में बूझिए आठवें दशक के फिल्म संगीत को

सिने पहेली – 70 सत्तर के दशक की फिल्मों पर केन्द्रित आज की पहेली     सि ने पहेली के 70वें अंक के प्रश्नों को लेकर मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आपके समक्ष उपस्थित हुआ हूँ। आज की पहेली के प्रश्न सत्तर के दशक के पूर्वार्द्ध अर्थात 1970 से 1975 के बीच में प्रदर्शित फिल्मों से जुड़े हुए हैं। इस अंक से प्रतियोगिता में जुड़ने वाले नये खिलाड़ियों का स्वागत करते हुए हम उन्हें यह भी बताना चाहेंगे कि अभी भी कुछ देर नहीं हुई है। आज से इस प्रतियोगिता में जुड़ कर भी आप महाविजेता बन सकते हैं। यही इस प्रतियोगिता की विशेषता है। इस प्रतियोगिता के नियमों का उल्लेख नीचे किया गया है, ध्यान दीजियेगा। आज की पहेली परम्परागत सवाल-जवाब के रूप में नहीं है। नीचे दो वर्गों- A और B में फिल्म संगीत से जुड़े 5-5 सूत्र दिये गए हैं। पहले वर्ग के सूत्र को दूसरे वर्ग के सूत्र के साथ जोड़ना है। अर्थात पहले वर्ग में फिल्म संगीत से जुड़ा हुआ कोई विवरण या आडियो क्लिप दूसरे वर्ग में दिये विवरण या आडियो क्लिप से सम्बन्धित है। आपको इस परस्पर सम्बन्ध का कारण खोजना है। वर्ग A में दिये गए सभी सूत्र 70

सुरीला जादू चला कर दिल लूट गया "लुटेरा"

अ पने पूरे शबाब पर चल रहे संगीतकार अमित त्रिवेदी एक बार फिर हाज़िर हैं, एक के बाद एक अपने स्वाभाविक और विशिष्ट शैली के संगीत की बहार लेकर. पिछले सप्ताह हमने जिक्र किया घनचक्कर  का, आज भी अमित हैं अपनी नई एल्बम लूटेरा  के साथ, इस बार उनके जोडीदार हैं उनके सबसे पुराने साथ अमिताभ भट्टाचार्य. अमिताभ बेशक इन दिनों सभी बड़े संगीतकारों के साथ सफल जुगलबंदी कर रहे हैं पर जब भी उनका साथ अमित के साथ जुड़ता है तो उनमें भी एक नया जोश, एक नई रवानगी आ जाती है.  लूटेरा  की कहानी ५० के दशक की है, और यहाँ संगीत में भी वही पुराने दिनों की महक आपको मिलेगी. पहले गीत संवार लूँ  को ही लें. गीत के शब्द, धुन और गायिकी सभी सुनहरे पुराने दिनों की तरह श्रोताओं के बहा ले जाते हैं. गीत के संयोजन को भी पुराने दिनों की तरह लाईव ओर्केस्ट्रा के साथ हुआ है. मोनाली की आवाज़ का सुरीलापन भी गीत को और निखार देता है. आपको याद होगा मोनाली इंडियन आईडल में एक जबरदस्त प्रतिभागी बनकर उभरी थी, वो जीत तो नहीं पायी थी मगर प्रीतम के लिए ख्वाब देखे (रेस) गाकर उन्होंने पार्श्वगायन की दुनिया में कदम रखा. अमित ने इससे पहले उन्हें अगा