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प्लेबैक वाणी - सन ऑफ़ सरदार

प्लेबैक वाणी - संगीत समीक्षा - सन ऑफ़ सरदार  दिवाली करीब है और बड़ी फ़िल्में तैयार है दर्शकों के मनोरजन के लिए. इस दिवाली पर देवगन प्रोडक्शन की बहुप्रतीक्षित ‘सन ऑफ सरदार’ प्रदर्शित हो रही है, यश राज फिल्म्स की ‘जब तक है जान’ के साथ. आईये आज चर्चा करते हैं ‘सन ऑफ सरदार’ के संगीत की. देवगन ने अपनी इस बड़ी फिल्म के लिए विश्वास के साथ जिम्मा सौंपा है हिमेश रेशमिया के कन्धों पर. फिल्म कोमेडी और एक्शन का संगम है जाहिर है गीत संगीत में भी भरपूर मस्ती की गुन्जायिश है. आईये देखें कि कैसा है ‘एस ओ एस’ का संगीत. ‘कभी कभी मेरे दिल में ख़याल (सवाल) आता है...’ को मजाकिया अंदाज़ में उठाते हैं खुद अजय देवगन जिसके बाद अमन तिरखा और हिमेश मायिक सँभालते हैं. ये एक पैप्पी गीत है हालाँकि रिदम उतना कदम थिरकाने वाला नहीं है फिर भी देसी ठाठ के इस गीत में मनोरजन भरपूर है. मिका और भव्या पंडित की दमदार आवाजों में अगला गीत अल्बम की जान है “रानी तू मैं राजा” की धुन सुनते ही मन में बस जाने वाली है. संगीत संयोजन धडकनों में थिरकन पैदा करने वाला है. शब्द भी जानदार चुने हैं समीर ने. और गीत का नृत्य संय

फिल्मों के आँगन में ठुमकती पारम्परिक ठुमरी – ६

स्वरगोष्ठी – ९५ में आज श्रृंगार रस से अभिसिंचित ठुमरी- ‘बाजूबन्द खुल खुल जाय...’ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी लघु श्रृंखला ‘फिल्मों के आँगन में ठुमकती पारम्परिक ठुमरी’ की कड़ियों में आप सुन रहे हैं, कुछ ऐसी पारम्परिक ठुमरियाँ, जिन्हें फिल्मों में पूरे आन, बान और शान के साथ शामिल किया गया। इस श्रृंखला में आप कुछ ऐसी ही पारम्परिक ठुमरियाँ उनके फिल्मी रूप के साथ सुन रहे हैं। आज के अंक में हम प्रस्तुत करने जा रहे हैं, भैरवी की एक बेहद लोकप्रिय ठुमरी- ‘बाजूबन्द खुल खुल जाय...’। आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करते हुए, मैं कृष्णमोहन मिश्र, आरम्भ करता हूँ, ‘फिल्मों के आँगन में ठुमकती पारम्परिक ठुमरी’ श्रृंखला का नया अंक। ठु मरी भारतीय संगीत की वह रसपूर्ण शैली है, जिसमें स्वर और साहित्य का समान महत्त्व होता है। यह भावप्रधान और चपल चाल वाला गीत है। मुख्यतः यह श्रृंगार प्रधान गीत होता है; जिसमें लौकिक और आध्यात्मिक दोनों प्रकार का श्रृंगार उपस्थित होता है। इसीलिए ठुमरी में लोकगीत जैसी कोमल शब्दावली और अपेक्षाकृत हलके रागों का ही प्रयोग होता है। अधिकतर ठुमरियों क

नये खिलाड़ियों के लिए भी मौका है महाविजेता बनने का सिने पहेली में...

(3 नवम्बर, 2012) सिने-पहेली # 44 ' रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी पाठकों और श्रोताओं को सुजॉय चटर्जी का सप्रेम नमस्कार। दोस्तों, आज सबसे पहले इस अंक में हम दो नये खिलाड़ियों का स्वागत करना चाहेंगे। पिछले सप्ताह इस प्रतियोगिता में जुड़े हैं बीकानेर के गणेश एस. पालीवाल और इस सप्ताह हमारे साथ जुड़े हैं जयपुर के पुनीत झा। वाकई आश्चर्य की बात है कि 'सिने पहेली' के लगभग 50% प्रतियोगी राजस्थान के रहने वाले हैं। बीकानेर, जयपुर, कोटा और चित्तौड़गढ़ को मिलाकर कुल 8 प्रतियोगी रंगीले राजस्थान से ताल्लुख रखते हैं। आप सब भी अपने मित्रों को इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए कह कर अपने राज्य के प्रतियोगियों की संख्या को बढ़ा सकते हैं। क्या पता हम प्रतियोगिता के अंत में सर्वाधिक प्रतियोगी वाले राज्य के नाम भी कोई इनाम घोषित कर दें!!! ख़ैर, आइए आगे बढ़ते हैं हमारे नये खिलाड़ियों के आह्वान के साथ... नये प्रतियोगियों का आह्वान नये प्रतियोगी, जो इस मज़ेदार खेल से जुड़ना चाहते हैं, उनके लिए हम यह बता दें कि अभी भी देर नहीं हुई है। इस प्रतियोगिता के नियम क