संगीत समीक्षा - कॉकटेल संगीतकार प्रीतम और गीतकार इरशाद कामिल की जोड़ी आज के दौर की एक कामयाब जोड़ी मानी जा सकती है. इस जोड़ी की नयी पेशकश है कॉकटेल. जैसा कि नाम से ही विदित है कि संगीत का एक मिश्रित रूप यहाँ श्रोताओं को मिलेगा, इस उम्मीद पर अल्बम निश्चित ही खरी उतरती है. इरशाद ने “ तुम्ही हो माता पिता तुम्हीं हो ” में से माता पिता का नाम हटा कर खुदा को बस बंधू और सखा का नाम देकर और भी आत्मीय बना दिया है और इस तेज रिदम के गीत में भी उनके बोल दिल को गहराईयों से छू जाते हैं, “ जग मुझे पे लगाये पाबंदी, मैं हूँ ही नहीं इस दुनिया की ” ...वाह...और उस पर कविता सेठ की आवाज़ एक अलग ही मुकाम दे देती है गीत को, नीरज श्रीधर ने अच्छा साथ निभाया है, तुम्हीं हो बंधू से अल्बम की शानदार शुरुआत होती है और इसी सिलसिले को आगे बढ़ाता है अगला गीत “ दारु देसी ” , इश्कजादे में “ परेशान ” गाकर अपनी शानदार उपस्थिती दर्ज कराने वाली शामली खोलगादे हैं बेन्नी दयाल के साथ जिनकी मदभरी आवाजों में ये गीत भी खूब जमा है. बेस गिटार और रिदम का शानदार प्रयोग “ यारियाँ ” गीत को गजब की ऊंचाईयां प्रदान क