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सुमन सिन्हा की पसंद लेकर आयीं हैं रश्मि जी आज अपनी महफ़िल में

जिं दगी  ख्वाब है और सुमन सिन्हा जी,. सोचते जो हैं वो कहते नहीं, लिखते जो हैं वो भूल जाते हैं,  पर ये गीत कभी नहीं खोते उनकी जुबां से - किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार  - जीना इसी का नाम है    ज़िन्दगी ख्वाब है   ख्वाब में सच है क्या और भला झूट ..... जागते रहो मुझसे पहली सी मुहब्बत   मेरे महबूब ना मांग - फैज़   यारों मुझे मुआफ करो   मैं नशे में हूँ - C H Atma आग लगी हमरी झोपडिया में हम गाएँ मल्हार - सगीना महतो    

सिने-पहेली # 19 (जीतिये 5000 रुपये के इनाम)

सिने-पहेली # 19 (7 मई, 2012)  नमस्कार दोस्तों, 'सिने पहेली' की 19-वीं कड़ी में मैं, सुजॉय चटर्जी, आप सभी का फिर एक बार स्वागत करता हूँ। दोस्तों, 'सिने-पहेली' में पिछले कुछ सप्ताहों से कई नए नए प्रतियोगी जुड़े हैं और इस सप्ताह भी यह सिलसिला जारी रहा। इस सप्ताह हमारे साथ जुड़ने वाले दो नाम हैं बरेली, उत्तर प्रदेश के दयानिधि वत्स और बीकानेर, राजस्थान के गौतम केवलिया। गौतम जी ने जवाबों के साथ-साथ अपने ईमेल में यह भी लिखा है कि पेशे से वो एक दवा-प्रतिनिधि हैं और साहित्य से गहरा जुड़ाव रखने वाले परिवार से ताल्लुख़ रखते हैं। वर्ष १९८२ में, जब वो दसवीं कक्षा में पढ़ते थे, उनका एक लघु-व्यंग 'धर्मयुग' के कॉलम 'व्यंग परिहास: अपने आसपास' में प्रकाशित हुआ था। तब से वर्ष १९९२ तक देश की अनेक पत्र-पत्रिकाओं में उनके व्यअंग, कवितायें, कहानियाँ, रेखांकन, कार्टून आदि छपते रहे हैं। उस दौरान आकाशवाणी से भी नियमित जुड़ाव गौतम जी का बना रहा। १९९२ के बाद इस निरंतरता में एक ठहराव-सा आ गया। लिखना तो कमोबेश जारी रहा मगर छपना बहुत कम हो गया। पिछले कुछ अरसे से सोयी हुई

सुर-गन्धर्व मन्ना डे को स्वरांजलि भाग-२

स्वरगोष्ठी – ६९ में आज स्वर-साधक मन्ना डे से सुनिए- बागेश्री, छायानट और खमाज हि न्दी फिल्मों के पार्श्वगायकों में मन्ना डे ऐसे गायक हैं जो गीतों की संख्या से नहीं बल्कि गीतों की गुणबत्ता और संगीत-शैलियों की विविधता से पहचाने जाते हैं। पूरे छः दशक तक फिल्मों में हर प्रकार के गीतों के साथ-साथ राग आधारित गीतों के गायन में मन्ना डे का कोई विकल्प नहीं था। ‘स्वरगोष्ठी’ के पिछले अंक में हमने राग दरबारी पर आधारित उनके गाये तीन अलग-अलग रसों के गीत प्रस्तुत किये थे। आज के अंक में हम आपको तीन भिन्न रागों के रंग, मन्ना डे के स्वरों के माध्यम प्रस्तुत कर रहे हैं। ‘स्व रगोष्ठी’ के एक नए अंक के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों की गोष्ठी में पुनः उपस्थित हूँ। अपने पिछले अंक में हमने फिल्मों के पार्श्वगायक मन्ना डे के ९४वें जन्म-दिवस के उपलक्ष्य में उनके गाये राग दरबारी पर आधारित कुछ गीतों का सिलसिला आरम्भ किया था। आज के अंक में हम इस श्रृंखला को आगे बढ़ाएँगे और आपको मन्ना डे के स्वरों में तीन और रागों- बागेश्री, छायानट और खमाज पर आधारित गीत सुनवाएँगे। पिछले अंक में हम यह चर्चा