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१३ अप्रेल- आज का गाना

गाना: जीवन के दिन छोटे सही हम भी बड़े दिल वाले चित्रपट: बड़े दिल वाला संगीतकार: राहुलदेव बर्मन गीतकार: मजरूह सुलतान पुरी स्वर: किशोर कुमार (जीवन के दिन छोटे सही, हम भी बड़े दिल वाले कल की हमें फ़ुर्सत कहाँ, सोचें जो हम मतवाले) \-२ जीने का रँगीन मौसम, ये खूबसूरत ज़माना \-२ अपने यही चार पल हैं, आगे है क्या किसने जाना जीना जिसे आता है वो इनमें ही मौज मना ले जीवन के दिन ... ये ज़िंदगी दर्द भी है, ये ज़िंदगी है दवा भी \-२ दिल तोड़ना ही न जाना, जाने ये दिल जोड़ना भी इस ज़िंदगी का शुक्रिया, सदके मैं ऊपर वाले कल की हमें फ़ुर्सत कहाँ, सोचें जो हम दिल वाले जीवन के दिन ...

जासूस बॉलीवुड के

गोलियों की बरसात उसे छू भी नहीं पाती, उसका दिमाग चाचा चौधरी से भी तेज चलता है, वो भेष बदल कर किसी को भी चकमा दे देता है, देश और दुनिया को बचाने के लिए वो जान पर भी खेल जाता है. ये हैं फ़िल्मी जासूस. जासूसी फिल्मों का ये जोनर हमारी हिंदी फिल्मों में बेहद कंजूसी से इस्तेमाल हुआ है जबकि होलीवुड में इनकी भरमार है जहाँ बोंड, होक और हिच्कोक दर्शकों को सालों से मनोरजन दे रहे हैं. कुछ दिनों पहले प्रदर्शित एजेंट विनोद ने नए सिरे से हमारे लिए इस जोनर को परिभाषित किया, चलिए जरा गुजरे ज़माने में झाके और देखें की किन किन जासूसो ने इससे पहले हमारे दिलों पर राज़ किया है.

१२ अप्रेल- आज का गाना

गाना: मेरे साजन हैं उस पार चित्रपट: बंदिनी संगीतकार: सचिन देव बर्मन गीतकार: शैलेन्द्र स्वर: सचिन देव बर्मन ओ रे माझी ओ रे माझी ओ ओ मेरे माझी मेरे साजन हैं उस पार, मैं मन मार, हूँ इस पार ओ मेरे माझी, अबकी बार, ले चल पार, ले चल पार मेरे साजन हैं उस पार... हो मन की किताब से तू, मेरा नाम ही मिटा देना गुन तो न था कोई भी, अवगुन मेरे भुला देना मुझको तेरी बिदा का... मुझको तेरी बिदा का मर के भी रहता इंतज़ार मेरे साजन... मत खेल जल जाएगी, कहती है आग मेरे मन की मत खेल... मत खेल जल जाएगी, कहती है आग मेरे मन की मैं बंदिनी पिया की चिर संगिनी हूँ साजन की मेरा खींचती है आँचल... मेरा खींचती है आँचल मन मीत तेरी हर पुकार मेरे साजन हैं उस पार ओ रे माझी ओ रे माझी ओ ओ मेरे माझी मेरे साजन हैं उस पार...

"बाबुल मोरा नैहर छूट ही जाए" - कुंदनलाल सहगल की जयन्ती पर इस ठुमरी से संबंधित कुछ रोचक तथ्य

कई बार कुछ उक्तियाँ लोककंठ में इस प्रकार समा जाते हैं कि कभी-कभी तो उनका आगा-पीछा ही समझ में नहीं आता, कभी उसके अर्थ का अनर्थ होता रहता है और पीढी-दर-पीढी हम उस भ्रान्ति को ढोते रहते हैं। "देहरी भई बिदेस" भी ऐसा ही उदाहरण है जो कभी था नहीं, किन्तु कुन्दनलाल सहगल द्वारा गाई गई कालजयी ठुमरी में भ्रमवश इस प्रकार गा दिये जाने के कारण ऐसा फैला कि इसे गलत बतलाने वाला पागल समझे जाने के खतरे से शायद ही बच पाये। आज, ११ अप्रैल, सहगल साहब की जयन्ती पर इसी विषय पर चर्चा 'एक गीत सौ कहानियाँ' की १५-वीं कड़ी में सुजॉय चटर्जी के साथ... एक गीत सौ कहानियाँ # 15 १९३८ में 'न्यू थिएटर्स' की फ़िल्म ‘स्ट्रीट सिंगर’ ने एक बार फिर से १९३७ की फ़िल्म ‘विद्यापति’ जैसी विजयगाथा दोहराई। दोनों ही फ़िल्मों में रायचन्द बोराल का संगीत था। 'स्ट्रीट सिंगर' में कुंदनलाल सहगल और कानन देवी की जोड़ी पहली बार पर्दे पर नज़र आई और फ़िल्म सुपर-डुपर हिट हुई। बतौर निर्देशक यह फणि मजुमदार की भी पहली फ़िल्म थी। ‘स्ट्रीट सिंगर’ की कहानी दो बाल्यकाल के मित्रों – भुलवा (सहगल) और मंजू (कानन

११ अप्रेल- आज का गाना

गाना: दीवानों से ये मत पूछो चित्रपट: उपकार संगीतकार: कल्याणजी - आनंदजी गीतकार: कमर जलालाबादी स्वर: मुकेश दीवानों से ये मत पूछो दीवानों पे क्या गुज़री है हाँ उनके दिलों से ये पूछो, अरमानों पे क्या गुज़री है दीवानों से ये मत पूछो ... औरों को पिलाते रहते हैं और ख़ुद प्यासे रह जाते हैं ये पीने वाले क्या जाने पैमानों पे क्या गुज़री है दीवानों से ये मत पूछो ... मालिक ने बनाया इनसाँ को इनसान मुहब्बत कर बैठा वो ऊपर बैठा क्या जाने इनसानों पे क्या गुज़री है दीवानों से ये मत पूछो ...

एम् वर्मा के जज्बाती गीतों के रंग रश्मि जी के संग

गीतों से परे हो मन, भला कहाँ संभव है.... तो आज के ब्लौगर हैं एम् वर्मा जी... जिनके जज़्बात ब्लॉग से सभी परिचित हैं, (अगर नहीं हैं तो आज हो जाईये, ये रहे छायाकार ब्लोग्गर एम् वर्मा के जज़्बात ) आज उनकी पसंद के मुश्किल से निकाले गए ५ गानों से परिचित हों रश्मि जी, सादर, मेरे पसंद के पांच गीत - इन गीतों का मेरे जीवन से सम्बन्ध है या नहीं पर इंसान के / इंसानियत के / वतन के और मानावीय संवेदनाओ के अत्यंत निकट प्रतीत होते हैं. इसके अलावा ये कर्णप्रिय और सुमधुर संगीत से भी सुसज्जित हैं. मेरी दृष्टि में ये अमर गीत हैं. ऐ मेरे वतन के लोगो.... आज इंसान को ये क्या हो गया...   मौसम है आशिकाना...   जिंदगी प्यार का गीत है...   जीना यहाँ मरना यहाँ....

१० अप्रेल- आज का गाना

गाना: जाग दिल-ए-दीवाना रुत जागी वस्ल-ए-यार की चित्रपट: ऊंचे लोग संगीतकार: चित्रगुप्त गीतकार: मजरूह सुलतान पुरी स्वर: रफी (जाग दिल-ए-दीवाना रुत जागी वस्ल-ए-यार की बसी हुई ज़ुल्फ़ में आयी है सबा प्यार की ) - २ जाग दिल-ए-दीवाना (दो दिल के कुछ लेके पयाम आयी है चाहत के कुछ लेके सलाम आयी है ) - २ दर पे तेरे सुबह खड़ी हुई है दीदार की जाग दिल-ए-दीवाना (एक परी कुछ शाद सी नाशाद सी बैठी हुई शबनम में तेरी याद की ) - २ भीग रही होगी कहीं कली सी गुलज़ार की जाग दिल-ए-दीवाना रुत जागी वस्ल-ए-यार की बसी हुई ज़ुल्फ में आयी है सबा प्यार की जाग दिल-ए-दीवाना