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८ मार्च - आज का गाना

गाना:  होली आयी रे कन्हाई, होली आयी रे चित्रपट: मदर इंडिया संगीतकार: नौशाद अली गीतकार: शकील बदायूंनी गायिका: शमशाद बेगम और साथी श : होली आयी रे कन्हाई, होली आयी रे       होली आयी रे कन्हाई       रंग छलके सुना दे ज़रा बांसरी को (स्त्री) : होली आयी रे कन्हाई              रंग छलके सुना दे ज़रा बांसरी को (पु) : होली आयी रे, आयी रे, होली आयी रे श : बरसे गुलाल रंग मोरे आंगनवा       अपने ही रंग में रंग दे मोहे सजनवा को (पु) : हो देखो नाचे मोरा मनवा को (स्त्री) : बरसे गुलाल रंग मोरे आंगनवा, जी मोरे आंगनवा              अपने ही रंग में रंग दे मोहे सजनवा श : तोरे कारन घरसे आई, तोरे कारन हो       तोरे कारन घरसे आई       हूँ निकलके सुना दे ज़रा बांसरी को (स्त्री) : होली आयी रे कन्हाई              रंग छलके सुना दे ज़रा बांसरी को (पु) : होली आयी रे, आयी रे, होली आयी रे श : छुटे ना रंग ऐसी रंग दे चुनरिया       धोबन ये धोये चाहे सारी उमरिया को (पु) : हो मन को रंग देगा साँवरिया को (स्त्री) : छुटे ना रंग ऐसी रंग दे चुनरिया, जी              रंग दे चुनरिया            

"नीले गगन के तले धरती का प्यार पले" - कैसे न बनती साहिर और रवि की सुरीली जोड़ी जब दोनों की राशी एक है!!

मशहूर गीतकार - संगीतकार जोड़ियों में साहिर लुधियानवी और रवि की जोड़ी ने भी फ़िल्म-संगीत के ख़ज़ाने को बेशकीमती रत्नों से समृद्ध किया है। कैसे न बनती यह अनमोल जोड़ी जब दोनों की जन्मतिथि लगभग साथ-साथ हैं? ३ मार्च को रवि और ८ मार्च को साहिर के जन्मदिवस को ध्यान में रखते हुए आज 'एक गीत सौ कहानियाँ' की दसवीं कड़ी में चर्चा इस जोड़ी की एक कलजयी रचना की, सुजॉय चटर्जी के साथ... एक गीत सौ कहानियाँ # 10 फ़िल्म जगत में गीतकार-संगीतकार की जोड़ियाँ शुरुआती दौर से ही बनती चली आई हैं। उस ज़माने में भले स्टुडियो कॉनसेप्ट की वजह से यह परम्परा शुरु हुई हो, पर स्टुडियो सिस्टम समाप्त होने के बाद भी यह परम्परा जारी रही और शक़ील-नौशाद, शलेन्द्र-हसरत-शंकर-जयकिशन, मजरूह-नय्यर, मजरूह-सचिन देव बर्मन, साहिर-सचिन देव बर्मन, साहिर-रवि, गुलज़ार-पंचम, समीर-नदीन-श्रवण, स्वानन्द-शान्तनु जैसी कामयाब गीतकार-संगीतकार जोड़ियाँ हमें मिली। इस लेख में आज चर्चा साहिर-रवि के जोड़ी की। कहा जाता है कि जिन लोगों की राशी एक होती हैं, उनके स्वभाव में, चरित्र में, कई समानतायें पायी जाती हैं और एक राशी के दो लोगों मे

७ मार्च- आज का गाना

गाना: आये हैं दूर से, मिलने हज़ूर से चित्रपट: तुमसा नहीं देखा संगीतकार: ओ. पी. नय्यर गीतकार: मजरूह सुलतान पुरी स्वर: रफ़ी, आशा आशा: आए हैं दूर से, मिलने हज़ूर से ऐसे भी चुप न रहिये, कहिये जी कुछ तो कहिये दिन है के रात है रफ़ी: हाय ... तुमसे मेहमान क्या, मुझपे अहसान क्या लाखों ही ज़ुल्फ़ों वाले, आती हैं घेरा डाले मेरी क्या बात है आशा: आये हैं दूर से ... उठ के तो देखिये, कैसी फ़िज़ा है शरमाना छोड़िये, ये क्या अदा है रफ़ी: तौबा ये क्या फ़रमाया मैं तो यूँ ही शरमाया मेरी क्या बात है आशा: आये हैं दूर से ... रफ़ी: ओ ओ ओ ... तुमसे मेहमान का ... दिखती है रोज़ ही, ऐसी फ़िज़ाएं मुखड़े के सामने, काली घटाएं आशा: कोई चल जाए जादू, फिर हम पूछेंगे बाबू दिन है के रात है ... रफ़ी: ओ ओ ओ ... तुमसे मेहमान का ... आशा: आ आ आ ... आये हैं दूर से ...

मिलिए सागर से जिन्हें लायीं है रश्मि जी ब्लोग्गेर्स चोईस में

सागर को जानना हो तो उसकी लहरों से पूछो, हिम्मत हो तो उसकी गहराई में जाओ - असली सीप असली मोती वहीँ मिलते हैं. चलिए यह जब होगा तब होगा ..... मैंने सागर से उसकी पसंद के ५ गाने मांगे.... सागर ने ४ दिए और कहा - एक पसंद आपकी शामिल हो तो एक सीप और पूर्ण हो.' क्योंकि सागर को ऐतबार है मेरी पसंद पर ('जी' लगाने से सागर की लहरें खो जातीं तो सागर ही लिखा है) तो ४ गाने सागर के, यह कहते हुए कि - 'सुनो और जानो इसमें क्या है !', और साथ में एक गीत मेरी पसंद का. तो सुना जाए - १. दिल ढूंढ़ता है फिर वही फुर्सत के रात दिन - दिल्ली में मशीन बना रहता हूँ, सर पर सलीब लटकती रहती है और ख्यालों को खेत में छोड़ आया हूँ इसलिए... २. तेरे खुशबू में बसे ख़त मैं जलाता कैसे - गंगा, पुल, प्रेम और कोहरे में स्पष्ट दीखता धुंधला सा चेहरा... ३. माई री मैं का से कहूँ पीर अपने जिया की - इसके कुछ शब्द बेहद मौलिक और आत्मीय लगते हैं. ४. वहां कौन है तेरा मुसाफिर जाएगा कहाँ - एस. डी. बर्मन की भटियाली आवाज़... जैसे खाई में कूद जाने का मन होता है. ५. अंत में एक जो आपको सबसे ज्यादा पसंद ह

६ मार्च- आज का गाना

गाना: अंधे जहान के अंधे रास्ते चित्रपट: पतिता संगीतकार: शंकर - जयकिशन गीतकार: शैलेन्द्र स्वर: तलत महमूद अंधे जहान के अंधे रास्ते, जाएं तो जाएं कहाँ दुनिया तो दुनिया, तू भी पराया, हम यहाँ ना वहाँ जीने की चाहत नहीं, मर के भी राहत नहीं इस पार आँसू, उस पार आहें, दिल मेरा बेज़ुबां अंधे जहान के ... हम को न कोई बुलाए, ना कोई पलकें बिछाए ऐ ग़म के मारों, मंज़िल वहीं है, दम ये टूटे जहाँ अंधे जहान के ... आग़ाज़ के दिन तेरा अंजाम तय हो चुका जलते रहें हैं, जलते रहेंगे, ये ज़मीं आसमां अंधे जहान के ...

सिने-पहेली # 10

जाँचिए अपना फिल्म संगीत ज्ञान   रे डियो प्लेबैक इण्डिया के सभी श्रोता-पाठकों को कृष्णमोहन मिश्र का रंगोत्सव के शुभ पर्व पर शत-शत बधाई। दोस्तों, 'सिने-पहेली' की दसवीं कड़ी लेकर आज मैं उपस्थित हूँ। आपको अवगत करा दूँ कि हम सबके प्रिय सुजॉय जी अगले दो सप्ताह तक अवकाश पर होंगे, इसलिए इस अवधि में मैं ही आपके सम्मुख प्रश्न-चिह्न उपस्थित करूँगा। आप यह भी जानते हैं कि सिने-पहेली की यह 10वीं कड़ी है और इस कड़ी का परिणाम ही पहले सेगमेण्ट के विजेता का निर्धारण करेगा। पहेली आरम्भ करने से पहले, आइए पिछले अंक तक शीर्ष चार प्रतियोगियों के नाम और उनके द्वारा अर्जित अंकों पर नज़र दौड़ा ली जाए। प्रकाश गोविन्द, लखनऊ – 35 अंक  पंकज मुकेश, बेंगलुरु – 30 अंक  क्षिति तिवारी, इन्दौर – 25 अंक  रीतेश खरे, मुंबई  --- 24 अंक अब देर किस बात की, आप सब जुट जाइए इन पाँच प्रश्नो को हल करने में और मैं भी पूरी एकाग्रता से आपके उत्तरों की प्रतीक्षा में बैठ जाता हूँ। विजेता की प्रतीक्षा में मेरी भी धड़कनें अब बढ़ने लगीं है। तो आइए अब देर किस बात की, आरम्भ करता हूँ, आज की पहेली के प्रश्नों का सिलसिला- *****

५ मार्च- आज का गाना

गाना: प्यार कर ले नहीं तो फांसी चढ़ जाएगा चित्रपट: जिस देश में गंगा बहती है संगीतकार: शंकर जयकिशन गीतकार: शैलेन्द्र स्वर: मुकेश ( प्यार कर ले ) -२ नहीं तो फांसी चढ़ जाएगा प्यार कर ले नहीं तो फांसी चढ़ जाएगा -३ ( यार कर ले ) -२ नहीं तो यूँ ही मर जाएगा प्यार कर ले ... जीते हारे सैकड़ों तीर से तलवार से -२ मेरे साथ मुस्करा दिल तो जीत प्यार से विचार कर ले नहीं तो पीछे पछताएगा प्यार कर ले ... चोरी करी चोर बना रोज़ कोई घात है आज तेरी ज़िन्दगी जैसे काली रात है -२ प्यार कर ले नहीं तो चक्कर पड़ जाएगा प्यार कर ले ...