असरदार शब्द और वजनदार संगीत, लाजवाब गायन जाने कितने जाने अनजाने संगीत कर्मियों ने मिलकर संवारा है फिल्म संगीत का ये संसार
ओल्ड इस गोल्ड /रिवाइवल # २१ मु केश की आवाज़ में राज कपूर और माला सिन्हा अभिनीत फ़िल्म परवरिश में हसरत जयपुरी का ही लिखा और दत्ताराम का स्वरबद्ध किया हुआ यह गीत है "आँसू भरी हैं ये जीवन की राहें, कोई उनसे कह दे हमें भूल जाए" । संगीतकार दत्ताराम शंकर जयकिशन के सहायक हुआ करते थे। कहा जाता है कि शंकर से जयकिशन को पहली बार मिलवाने में दत्तारामजी का ही हाथ था। १९४९ से लेकर १९५७ तक इस अज़ीम संगीतकार जोड़ी के साथ काम करने के बाद सन १९५७ में दत्ताराम बने स्वतंत्र संगीतकार, फ़िल्म थी 'अब दिल्ली दूर नहीं'। पहली फ़िल्म के संगीत में ही इन्होने चौका मार दिया और इसके अगले साल १९५८ में अपनी दूसरी फ़िल्म 'परवरिश' में सीधा छक्का। ख़ासकर राग कल्याण पर आधारित मुकेश का गाया हुआ यह गाना तो सीधे लोगों के ज़ुबां पर चढ़ गया। मुकेश नाम दर्द भरी आवाज़ का पर्याय है। अनिल बिश्वास के संगीत निर्देशन में अपने पहले गाने से ही मुकेश दर्दीले गीतों के राजा बन गये थे। यह गीत था फ़िल्म 'पहली नज़र' से "दिल जलता है तो जलने दे, आँसू ना बहा फ़रयाद ना कर"। इस गीत को उन्होने अपने गुर