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ज़िंदगी का फलसफा समझा कर माधोलाल कीप वाकिंग की जोरदार एवं असरदार अपील की है नायब राजा ने

ताज़ा सुर ताल ३५/२०१० सुजॊय - सभी दोस्तों को हमारा नमस्कार! दोस्तों, आज हम एक ऐसी फ़िल्म के गीतों की चर्चा करने जा रहे हैं जो पैरलेल सिनेमा की श्रेणी में आता है। कुछ फ़िल्में ऐसी होती हैं जो व्यावसायिक लाभों से परे होती हैं, जिनका उद्देश्य होता है क्रीएटिव सैटिस्फ़ैक्शन। ये फ़िल्में भले ही सिनेमाघरों में ज़्यादा देखने को ना मिले, लेकिन अच्छे फ़िल्मों के दर्शक इन्हें अपने दिलों में जगह देते हैं और एक लम्बे समय तक इन्हें याद रखते हैं। विश्व दीपक - लेकिन यह अफ़सोस की भी बात है कि आज फ़िल्मों का हिट होना उसकी मारकेटिंग पर बहुत ज़्यादा निर्भर हो गया है। पैसे वाले प्रोड्युसर हर टीवी चैनल पर अपनी नई फ़िल्म का प्रोमो बार बार लगातार दिखा दिखा कर लोगों के दिमाग़ पर उसे बिठा देते हैं और एक समय के बाद लोगों को भी लगने लगता है कि वह हिट है। गीतों को भी इसी तरह से आजकल हिट करार दिया जाता है। लेकिन जिन प्रोड्युसरों के पास पैसे कम है, वो इस तरह के प्रोमोशन नहीं कर पाते, जिस वजह से उनकी फ़िल्म सही तरीक़े से लोगों तक नहीं पहुँच पाती। जब लोगों को मालूम ही नहीं चल पाता कि ऐसी भी कोई फ़िल्म बनी है, तो उन

दिल खोल के लेट्स रॉक....करण जौहर लाये हैं एक बार फिर "फैमिली" में शंकर एहसान लॉय के संगीत का तड़का

ताज़ा सुर ताल ३२/२०१० सुजॊय - नमस्कार! आप सभी को रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनएँ और विश्व दीपक जी, आपको भी। विश्व दीपक - सभी श्रोताओं व पाठकों और सुजॉय, तुम्हे भी मेरी ओर से ढेरों शुभकमानाएँ! सुजॉय, रक्षाबंधन भाई बहन के प्यार का पर्व है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधते हुए उसके सुरक्षा की कामना करती है और भाई भी अपनी बहन को ख़ुश रखने और उसकी रक्षा करने का प्रण लेता है। कुल मिलाकर पारिवारिक सौहार्द का यह त्योहार है। सुजॉय - जी हाँ, यह एक पारिवारिक त्योहार है और आपने परिवार, यानी फ़ैमिली का ज़िक्र छेड़ा तो मुझे याद आया कि पिछले हफ़्ते हमने वादा किया था कि इस हफ़्ते हम 'टी.एस.टी' में 'वी आर फ़ैमिली' के गानें सुनवाएँगे। तो लीजिए, रक्षाबंधन पर आप सभी अपने फ़मिली के साथ आनंद लीजिए इसी फ़िल्म के गानों का। आज छुट्टी का दिन है, आप सब के फ़ैमिली मेम्बर्स घर पर ही मौजूद होंगे, तो राखी पर्व की ख़ुशियाँ मनाइए 'वी आर फैमिली' के गीतों को सुनते हुए। विश्व दीपक - इससे पहले की फ़िल्म का पहला गाना सुनें, मैं यह बता दूँ कि यह धर्मा प्रोडक्शन्स यानी कि करण जोहर की निर्

सलीम-सुलेमान की आशाएँ ढल गई हैं धीमी गति के प्रेरक गीतों में.. साथ हैं प्रीतम और शिराज़ भी

ताज़ा सुर ताल ३०/२०१० सुजॊय - 'ताज़ा सुर ताल' के सभी श्रोताओं व पाठकों को हमारा प्यार भरा नमस्कार! दोस्तों, इसे इत्तेफ़ाक़ ही कहिए या कुछ और, हमारी फ़िल्म इंडस्ट्री में कुछ नायक ऐसे हुए हैं जिनकी फ़िल्मों के गानें हमेशा ही सुपरहिट हुआ करते हैं। जैसे कि राजेश खन्ना की शायद ही कोई फ़िल्म ऐसी होगी जिसके गानें चले ना हों। नए दौर में सलमान ख़ान ऐसे नायक बनें जिनकी फ़िल्मों के गानें बेहद लोकप्रिय होते आए हैं और आज भी होते हैं। ऐसे ही एक और अभिनेता हैं जॊन एब्राहम जिनकी फ़िल्मों का संगीत भी चलता आया है, फिर चाहे फ़िल्म चले या ना चले। विश्व दीपक - 'जिस्म', 'साया', 'धूम', 'सलाम-ए-इश्क़', 'काल', 'गरम मसाला', 'दोस्ताना', 'गोल', 'न्यू यार्क', 'पाप', 'टैक्सी नंबर ९ २ ११', ये सारी जॉन की फ़िल्में संगीत के लिहाज़ से सफल ही मानी जाएंगी। आज हम जॉन की नई फ़िल्म 'आशाएँ' के गानें लेकर उपस्थित हुए हैं, और इन गीतों को सुनने के बाद हमें और आपको मिलकर यह निर्णय लेना है कि क्या जॉन की पिछली सारी फ़िल्मों क

मुंबई है एक बार फिर फिल्म का विषय, और गैंगस्टरों की मारधाड के बीच भी है संगीत में मधुरता

ताज़ा सुर ताल २५/२०१० सुजॊय - सजीव, बहुत दिनों के बाद आप से इस 'टी.एस.टी' के स्तंभ में मुलाक़ात हो रही है। और बताइए, हाल में आपने कौन कौन सी नई फ़िल्में देखीं और आपके क्या विचार हैं उनके बारे में? सजीव - सुजॉय मैंने "काईट्स", "रावण" और "राजनीति" देखी. रावण और राजनीति मुझे पैसा वसूल लगी तो काईट्स उबाऊ. रावण बेशक चली नहीं पर जहाँ तक मेरा सवाल है मैं फिल्मों को सिर्फ कहानी के लिए नहीं देखता हूँ, मैं जिस मणि का कायल हूँ निर्देशन के लिए वही मणि "युवा" और "दिल से" के बाद मुझे यहाँ दिखे....जबरदस्त संगीत और छायाकारी है फिल्म की. राजनीति भी रणबीर और कंपनी के शानदार अभिनय के लिए देखी जा सकती है, बस मुझे कर्ण के पास कुंती के जाने वाला एपिसोड निरर्थक लगा, नाना पाटेकर हमेशा की तरह....सोलिड....खैर छोडो ये सब....आज का मेनू बताओ... सुजॊय - जैसे कि इस साल का सातवाँ महीना शुरु हो गया है, तो ऐसे में अगर हम पिछले ६ महीनों की तरफ़ अपनी नज़र घुमाएँ, तो आपको क्या लगता है कौन कौन से गीत उपरी पायदानों पर चल रहे हैं इस साल? मेरे सीलेक्शन कुछ इस तरह के

प्रीतम लाए हैं बदमाश कम्पनी वाली अय्याशी तो शंकर एहसान लॊय के साथ है धन्नो की हाउसफुल महफ़िल

ताज़ा सुर ताल १८/२०१० सुजॊय - विश्व दीपक जी, साल २०१० के चार महीने बीत चुके हैं, लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि वह एक गीत अभी तक नहीं आ सका है जिसे इस साल का 'सॊंग ऒफ़ दि ईयर' कहा जा सकता हो। मेरे हिसाब से तो इस साल का संगीत कुछ ठंडा ठंडा सा चल रहा है। आपके क्या विचार हैं? विश्व दीपक - सुजॊय जी, मैं आपकी बात से एक हद तक सहमत हूँ। फिर भी मुझे न जाने क्यों "रावण" के "रांझा-रांझा" से ढेर सारी उम्मीदें हैं। अभी तक जितने भी गाने इस साल आए हैं, यह गाना मुझे सबसे ज्यादा पसंद है। आगे क्या होगा, यह कहा तो नहीं जा सकता, लेकिन बस चार महीने में 'सॊंग ऒफ़ दि ईयर' का निर्णय कर देना तो जल्दीबाजी हीं होगी। इसलिए धैर्य रखिए.... मुझे पूरा विश्वास है कि बाकी के आठ महीनों में कुछ न कुछ कमाल तो ज़रूर हीं होगा, नहीं तो रावण है हीं। खैर ये बताईये कि आज हम किस फिल्म या फिर किन फ़िल्मों के गानों की चर्चा करने जा रहे हैं। सुजॊय - आज हमने इस स्तंभ के लिए दो ऐसी फ़िल्मों के तीन-तीन गीत चुने हैं जो फ़िल्में हाल ही में प्रदर्शित हो चुकी हैं। ये दो फ़िल्में हैं 'बदमाश कंपनी' और

राजेश रोशन के सुरों की डोर पर संगीत का आसमां छूती "काईट्स"

ताज़ा सुर ताल १५/२०१० सुजॊय - सजीव, कुछ निर्देशक और अभिनेता ऐसे हैं जिनकी फ़िल्मों का लोग बेसबरी से इंतज़ार करते हैं। ये कलाकार ना केवल बहुत कम फ़िल्में बनाते हैं, बल्कि हर फ़िल्म में कुछ नया इस फ़िल्म जगत को देते हैं। राकेश रोशन और उनके सुपुत्र हृतिक रोशन के फ़िल्मों का जो कारवाँ 'कहो ना प्यार है' की ज़बरदस्त कामयाबी से शुरु हुआ था, वह कारवाँ उसी कामयाबी की राह पर आगे बढ़ता हुआ, 'कोई मिल गया' और 'क्रिश' जैसी ब्लॊकबस्टर फ़िल्मों के पड़ाव से गुज़र कर अब एक और महत्वपूर्ण पड़ाव की ओर अग्रसर हो रहा है, जिस पड़ाव का नाम है 'काइट्स'। सजीव - 'काइट्स' की चर्चा काफ़ी समय से हो रही है और इस फ़िल्म से लोगों को बहुत सी उम्मीदें हैं। लेकिन इस फ़िल्म को राकेश रोशन ने ज़रूर प्रोड्युस किया है, लेकिन इस बार निर्देशन की बगडोर उन्होने अपने हाथ में नहीं लिया, बल्कि यह भार सौंपा गया 'लाइफ़ इन अ मेट्रो' और 'गैंगस्टर' जैसी सफल फ़िल्मों के निर्देशक अनुराग बासु को। सुजॊय - संगीत की बात करें तो अनुराग बासु की फ़िल्मों में अक्सर प्रीतम का ही संगीत होता है।

पी से पाठशाला और पी से प्रिंस....दो युवा संगीतकारों ने धाक जमाई इन बड़ी फिल्मों से

ताज़ा सुर ताल १४/२०१० सुजॊय - सजीव, साल २०१० का एक चौथाई पूरा हो चुका है, यानी कि तीन महीने। इन तीन महीनों में हमने जिन जिन फ़िल्मों के संगीत की चर्चा यहाँ की, अपने नए साथियों के लिए बता दें उन फ़िल्मों के नाम। सजीव - बिल्कुल बताओ, इससे इस बरस अब तक बनी फ़िल्मों का एक छोटा सा रीकैप भी हो जाएगा। सुजॊय - ये फ़िल्में हैं दुल्हा मिल गया, वीर, रण, इश्क़िया, माइ नेम इज़ ख़ान, स्टाइकर, रोड टू संगम, लाहौर, सदियाँ, एल.एस.डी, शिवाजी दि बॊस, कार्तिक कॊलिंग् कार्तिक, वेल डन अब्बा। सजीव - और हमने दो ग़ैर फ़िल्मी ऐल्बम्स की भी चर्चा की - अमन की आशा, और अपना होम प्रोडक्शन काव्यनाद। तो अब हम आगे बढ़ते हैं और आज हम लेकर आए हैं दो फ़िल्मों के गानें। पहली फ़िल्म है 'पाठशाला'। इस फ़िल्म की चर्चा और प्रचार काफ़ी पहले से शुरु हो गई थी, लेकिन फ़िल्म के बनने में बहुत लम्बा समय लग गया। सुजॊय - लेकिन इस फ़िल्म का संगीत बिल्कुल फ़्रेश है। फ़िल्म में गीत संगीत हनीफ़ शेख़ का है। फ़िल्म के गीतों को गाया है लकी अली, कैलाश खेर, विशाल दादलानी, तुलसी कुमार और सलीम मरचेंट ने। गीतों में विविधता है, मेलोडी भी है औ

विंटेज रहमान, ठन्डे शंकर, और सक्रिय शांतनु हैं आज के टी एस टी मेनू में

ताज़ा सुर ताल १३/२०१० सजीव - 'ताज़ा सुर ताल' में आज एक नहीं बल्कि तीन तीन फ़िल्मो के गीत गूंजेंगे जो हाल ही में प्रदर्शित हुईं हैं। ये तीनों फ़िल्में एक दूसरे से बिल्कुल अलग है, एक दूजे से बिल्कुल जुदा है। सुजॊय, तुम्हे याद है एक दौर ऐसा था जब ए. आर. रहमान नए नए हिंदी फ़िल्मी दुनिया में आए थे और उस दौर में दक्षिण के कई फ़िल्मों को हिंदी में डब किया जा रहा था जिनमें रहमान का संगीत था। सुजॊय - हाँ, जैसे कि 'हम से है मुक़ाबला', 'दुनिया दिलवालों की', 'रोजा' और बहुत सी ऐसी फ़िल्में जिन्हे हिंदी में डब किया गया था। इन फ़िल्मों के गानें ऒर्जिनली तमिल होने की वजह से इन्ही धुनों पर हिंदी के बोल लिखना भी एक चैलेंज हुआ करता था। सजीव - हाँ, और यह काम उन दिनों भली भाँती कर लिया करते थे गीतकार पी.के. मिश्रा। ख़ैर, वह दौर तो गुज़र चुका है, लेकिन हाल में रहमान की धुनों वाली एक और मशहूर तमिल फ़िल्म को हिंदी में डब किया गया है। यह फ़िल्म है 'शिवाजी दि बॊस'। सुजॊय - सजीव, मुझे याद है २००७ के जून महीने में मैं अपने काम के सिलसिले में चेन्नई गया हुआ था, उन दिनों यह