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तू गन्दी अच्छी लगती है....दिबाकर, स्नेह खनवलकर और कैलाश खेर का त्रिकोणीय समीकरण

ताज़ा सुर ताल १२/२०१० सजीव - 'ताज़ा सुर ताल' में आज हम एक ऐसी फ़िल्म के संगीत की चर्चा करने जा रहे हैं, जिसके शीर्षक को सुन कर शायद आप लोगों के दिल में इस फ़िल्म के बारे में ग़लत धारणा पैदा हो जाए। अगर फ़िल्म के शीर्षक से आप यह समझ बैठे कि यह एक सी-ग्रेड अश्लील फ़िल्म है, तो आपकी धारणा ग़लत होगी। जिस फ़िल्म की हम आज बात कर रहे हैं, वह है 'लव, सेक्स और धोखा', जिसे 'एल.एस.डी' भी कहा जा रहा है। सुजॊय - सजीव, मुझे याद है जब मैं स्कूल में पढ़ता था, उस वक़्त भी एक फ़िल्म आई थी 'एल.एस.डी', जिसका पूरा नाम था 'लव, सेक्स ऐण्ड ड्रग्स', लेकिन वह एक सी-ग्रेड फ़िल्म ही थी। लेकिन क्योंकि 'लव, सेक्स ऐण्ड धोखा' उस निर्देशक की फ़िल्म है जिन्होने 'खोसला का घोंसला' और 'ओए लकी लकी ओए' जैसी अवार्ड विनिंग् फ़िल्में बनाई हैं, तो ज़ाहिर सी बात है कि हमें इस फ़िल्म से बहुत कुछ उम्मीदें लगानी ही चाहिए। सजीव - सच कहा, दिबाकर बनर्जी हैं इस फ़िल्म के निर्देशक। क्योंकि मुख्य धारा से हट कर यह एक ऒफ़बीट फ़िल्म है, तो फ़िल्म के कलाकार भी ऒफ़बीट हैं, जैसे

कुछ नया नहीं है "सदियाँ" के संगीत में, अदनान सामी और समीर ने किया निराश

ताज़ा सुर ताल ११/२०१० सजीव - सुजॊय, तुम्हे याद होगा, २००५ में एक फ़िल्म आई थी 'लकी', जिसमें सलमान ख़ान थे। याद है ना उस फ़िल्म का संगीत? सुजॊय - बिल्कुल याद है, उसमें अदनान सामी का संगीत था और उसके गानें ख़ूब चले थे। लेकिन आज अचानक उस फ़िल्म का ज़िक्र क्यों? सजीव - क्योंकि आज हम 'ताज़ा सुर ताल' में जिस फ़िल्म के गीतों की चर्चा करने जा रहे हैं, उस फ़िल्म का संगीत ही ना केवल अदनान सामी ने तैयार किया है, बल्कि गीतों के रीदम और धुनें भी काफ़ी हद तक 'लकी' के गीतों से मिलती जुलती है। आज 'ताज़ा सुर ताल' में ज़िक्र आने वाली फ़िल्म 'सदियाँ' के संगीत की। सुजॊय - यह बात तो सही है कि अदनान सामी का रीदम उनके गीतों की पहचान है। जैसे हम गीत सुन कर बता सकते हैं कि गीत लक्ष्मीकांत प्यारेलाल का है या कल्याणजी आनंदजी का या फिर राहुल देव बर्मन का, ठीक वैसे ही अदनान साहब का जो बेसिक रीदम है, वह झट से पहचाना जा सकता है। हम किस रीदम की तरफ़ इशारा कर रहे हैं, हमारे श्रोता इस फ़िल्म के गीतों को सुनते हुए ज़रूर महसूस कर लेंगे। सजीव - इससे पहले कि गीतों का सिलसिला शुर

एम एम क्रीम लौटे हैं एक बार फिर अपने अलग अंदाज़ के संगीत के साथ "लाहौर" में

ताज़ा सुर ताल १०/२०१० सजीव - सभी को वेरी गुड मॊरनिंग् और 'ताज़ा सुर ताल' के एक और अंक में हम सभी का स्वागत करते हैं। सुजॊय, पिछले दो हफ़्तों में हमने ग़ैर फ़िल्म संगीत का रुख़ किया था, आज हम वापस आ रहे हैं एक आनेवाली फ़िल्म के गीतों और उनसे जुड़ी कुछ बातों को लेकर। सुजॊय - सजीव, इससे पहले कि आप आज की फ़िल्म का नाम बताएँ, जैसे कि इस साल के दो महीने गुज़र चुके हैं, तो 'माइ नेम इज़ ख़ान' के अलावा किसी भी फ़िल्म ने बॊक्स ऒफ़िस पर कोई जादू नहीं चला पायी है। आलम ऐसा है कि जनवरी के महीने में रिलीज़ होने बाद 'चांस पे डांस' सिनेमाघरों से उतरकर इतनी जल्दी ही टीवी के पर्दे पर आ रही है। देखना है कि 'अतिथि तुम कब जाओगे' और 'रोड मूवी' क्या कमाल दिखाती है इस हफ़्ते! वैसे इन फ़िल्मों के संगीत में ज़्यादा कुछ नया नहीं है, शायद इसीलिए 'टी. एस. टी' में इन्हे जगह न मिली हो! सजीव - बिल्कुल! तो चलो अब बात करें आज की फ़िल्म 'लाहौर' की। यह एक ऐसी फ़िल्म है जो हमारे यहाँ तो अगले हफ़्ते रिलीज़ होगी, लेकिन पिछले साल इस फ़िल्म को इटली के 'सालेण्टो इंटर

"अमन की आशा" है संगीत का माधुर्य, होली पर झूमिए इन सूफी धुनों पर

ताज़ा सुर ताल ०९/२०१० सुजॊय - सभी पाठकों को होली पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएँ और सजीव, आप को भी! सजीव - मेरी तरफ़ से भी 'आवाज़' के सभी रसिकों को होली की शुभकामनाएँ और सुजॊय, तुम्हे भी। सुजॊय - होली का त्योहार रंगों का त्योहार है, ख़ुशियों का त्योहार है, भाइचारे का त्योहार है। गिले शिकवे भूलकर दुश्मन भी गले मिल जाते हैं, चारों तरफ़ ख़ुशी की लहर दौड़ जाती है। सजीव - सुजॊय, तुमने भाइचारे की बात की, तो मैं समझता हूँ कि यह भाइचारा केवल अपने सगे संबंधियों और आस-पड़ोस तक ही सीमित ना रख कर, अगर हम इसे एक अंतर्राष्ट्रीय रूप दें, तो यह पूरी की पूरी पृथ्वी ही स्वर्ग का रूप ले सकती है। सुजॊय - जी बिल्कुल! आज कल जिस तरह से अंतर्राष्ट्रीय उग्रवाद बढ़ता जा रहा है, विनाश और दहशत के बादल इस पूरी धरा पर मंदला रहे हैं। ऐसे में अगर कोई संस्था अगर अमन और शांति का दूत बन कर, और सीमाओं को लांघ कर दो देशों को और ज़्यादा क़रीब लाने का प्रयास करें, तो हमें खुले दिल से उसकी स्वागत करनी चाहिए। सजीव - हाँ, और ऐसी ही दो संस्थाओं ने मिल कर अभी हाल में एक परियोजना बनाई है भारत और पाक़िस्तान के रिश्तों को

कविता और संगीत का अनूठा मेल है "काव्यनाद"

ताज़ा सुर ताल ०८/२०१० सुजॉय - सजीव आज आपके चेहरे पर एक अजीब सी खुशी है, इसकी वजह... सजीव - हाँ सुजॉय मैं हिंद युग्म के अपने प्रोडक्ट "काव्यनाद" को विश्व पुस्तक मेले में मिली आपार सफलता और वाह वाही से बहुत खुश हूँ. सुजॉय - हाँ सजीव मैंने भी यह अल्बम सुनी, और सच कहूँ तो ये मेरी अपेक्षाओं से कहीं बेहतर निकली, इतनी पुरानी कविताओं पर इतनी मधुर धुनें बन सकती है, यकीं नहीं होता. सजीव - बिलकुल सुजॉय, ये इतना आसान हरगिज़ नहीं था, पर जैसा कि मैंने हमेश विश्वास जताया है युग्म के सभी संगीतकार बेहद प्रतिभाशाली हैं, ये सब कुछ संभव कर सकते हैं. सुजॉय - तो इसका अर्थ है सजीव कि आज हम इसी अनूठी अल्बम को ताज़ा सुर ताल में पेश करने जा रहे हैं ? सजीव - जी सुजॉय, काव्यनाद प्रसाद, निराला, दिनकर, महादेवी, पन्त, और गुप्त जैसे हिंदी के प्रतीक कवियों की ६ कविताओं का संगीतबद्ध संकलन है, ६ कविताओं को संगीत के अलग अलग अंदाज़ में प्रस्तुत किया गया है, कुल १४ गीत हैं, और सबसे अच्छी बात ये हैं कि सभी एक दूसरे से बेहद अलग ध्वनि देते हैं. सुजॉय - सबसे पहले मैं इसमें से उस गीत को सुनवाना चाहूँगा जो मुझे व्यक्ति

उन सगीत प्रेमियों के लिए जिन्हें आज का संगीत शोर शराबा लगता है उनके लिए है "रोड टू संगम" का संगीत

ताज़ा सुर ताल ०७/ 2010 सुजॊय - सजीव, बहुत ही अफ़सोस की यह बात है कि आजकल कला को लेकर भी हमरे देश में राजनीति और साम्प्रदायिक मनमुटाव हो रही है। मेरा इशारा मुंबई में 'माइ नेम इज़ ख़ान' के प्रदर्शन के ख़िलाफ़ हो रहे विरोध की तरफ़ है। क्या आपको नहीं लगता कि फ़िल्म निर्माण एक कला है और किसी भी कला को इस तरफ़ की चीज़ों से दूर रखी जानी चाहिए? सजीव - बिल्कुल! अगर किसी को किसी के ख़िलाफ़ जाना हो तो न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया जा सकता है, ना कि उसके फ़िल्म के प्रदर्शन को रोक कर अपनी शक्ति का परिचय देनी चाहिए। ख़ैर, यह सब तो चलता ही रहेगा। अच्छा सुजॊय, हम अफ़सोस की बात कर रहे हैं तो एक अफ़सोस यह भी रहा है कि बहुत सी फ़िल्में हैं जो बेहद उत्कृष्ट होते हुए भी आम जनता तक सही रूप से नहीं पहुँच पाती है, क्योंकि फ़िल्म के निर्माता के पास उतना आर्थिक ज़ोर नहीं होता है कि अपनी फ़िल्म का ढोल पीट पीट कर प्रचार करें। कई फ़िल्में तो किसी थिएटर पर भी नहीं लगती, बल्कि सिर्फ़ फ़िल्म महोत्सवों में ही दिखाई जाती है। ऐसे में फ़िल्म लोगों तक नहीं पहुँचती है और उनका संगीत भी गुमनामी के अंधेरे में खो जाता

अमन का सन्देश भी है "खान" के सूफियाना संगीत में...

ताज़ा सुर ताल 05/ 2010 सजीव - सुजॊय, वेल्कम बैक! उम्मीद है छुट्टियों का तुमने भरपूर आनंद उठाया होगा! सुजॊय - बिल्कुल! और सब से पहले तो मैं विश्व दीपक तन्हा जी का शुक्रिया अदा करता हूँ जिन्होने मेरी अनुपस्थिति में 'ताज़ा सुर ताल' की परंपरा को बरक़रार रखने में हमारा सहयोग किया। सजीव - निस्सन्देह! अच्छा सुजॊय, आज फरवरी का दूसरा दिन है, यानी कि साल २०१० का एक महीना पूरा हो चुका है, लेकिन अब तक एक भी फ़िल्म इस साल की बॊक्स ऒफ़िस पर अपना सिक्का नहीं जमा पाया है। पिछले हफ़्ते 'वीर' रिलीज़ हुई थी, और इस शुक्रवार को 'रण' और 'इश्क़िया' एक साथ प्रदर्शित हुई हैं। 'वीर' ने अभी तक रफ़्तार नहीं पकड़ी है, देखते हैं 'रण' और 'इश्क़िया' का क्या हश्र होता है। 'चांस पे डांस', 'प्यार इम्पॊसिबल', और 'दुल्हा मिल गया' भी पिट चुकी है। सुजॊय - मैंने सुना है कि 'इश्क़िया' के संवदों में बहुत ज़्यादा अश्लीलता है। विशाल भारद्वाज ने 'ओम्कारा' की तरह इस फ़िल्म के संवादों में भी काफ़ी गाली गलोच और अश्लील शब्द डाले हैं। ऐ

रण में उलझे रामू संगीत के साथ समझौता कर गए....

ताज़ा सुर ताल 04/ 2010 ताज़ा सुर ताल के मंच पर मुझे देखकर आपको हैरानी ज़रूर हो रही होगी... हो भी क्यों न, जब मुझे हीं हैरानी हो रही है तो आपका हैरान होना तो लाजिमी है। बात दर-असल यह है कि सुजोय जी अभी कुछ दिनों तक कुछ ज्यादा हीं व्यस्त रहने वाले हैं.. कुछ व्यक्तिगत कारण हैं शायद... तो इसलिए सजीव जी ने यह काम मुझे सौंपा है.... अरे डरिये मत, मैं इस मंच पर बस इस हफ़्ते हीं नज़र आऊँगा, अगले हफ़्ते से सुजोय जी वापस कमान संभाल लेंगे। तो आज के इस अंक में मुझे झेलने के लिए कमर कस लीजिए...वैसे परसो तो मैं आने हीं वाला हूँ महफ़िल-ए-गज़ल की नई कड़ी के साथ, तब आप भाग नहीं पाईयेगा। अब चूँकि सुजोय जी नहीं, इसलिए उनका वह अंदाज़ भी नहीं। आज की संगीत-समीक्षा एक सीधी-सादी समीक्षा होगी, बिना किसी लाग-लपेट के, बिना किसी वाद-विवाद के... और न हीं अपने विचार रखने के लिए सजीव जी दूरभाष (टेलीफोन...शुद्ध हिन्दी में इसलिए लिखा क्योंकि पिछली कड़ी में एक मित्र ने आंग्ल भाषा से बचने की सलाह दी थी) के सहारे हाज़िर होंगे। तो खोलते हैं पिटारी और देखते हैं कि भानूमति की इस पिटारी में आज किस चलचित्र के गानों की किस्मत