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एक मूलकात जरूरी है || एपिसोड 12 || अमरत्या बोबो राहुत

कोलकत्ता से आए अमरत्या बोबो राहुत ने मुंबई में शुरुआत की बतौर संगीतकार विज्ञापनों से, और एक के बाद एक 2500 विज्ञापन कर डाले, इसी दौरान ओम द फ्यूज़न बैंड और रीवाइन्ड जैसी एल्बमस पर भी काम किया, फिल्मी दुनिया में भी ड्राइव, तुम्हारी सुलू, औरगज़ेब, दरबान और तू है मेरा संडे जैसी ढेरों फिल्मों में संगीत दे चुके और सफर अब भी जारी है। सुनिए बोबो के साथ, सजीव सारथी की इस बातचीत को और जानिए उनके अब तक के संगीत सफर की दिलचस्प दास्तान। तकनीकी सहायता प्रदान की है इस एपिसोड के लिए संज्ञा टंडन ने  

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सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली

सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे

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