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Showing posts from October, 2020

राग भैरवी : SWARGOSHTHI – 485 : RAG BHAIRAVI

स्वरगोष्ठी – 485 में आज   राज कपूर के विस्मृत संगीतकार - 1 : संगीतकार राम गांगुली राज कपूर के पहले संगीतकार राम गांगुली ने इस गीत में राग भैरवी का आधार लिया राज कपूर  राम गांगुली  “रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर आज से आरम्भ हो रही हमारी नई श्रृंखला “राज कपूर के विस्मृत संगीतकार" की पहली कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। इस श्रृंखला में हम फिल्म निर्माता, निर्देशक और अभिनेता राज कपूर के फिल्मी जीवन के पहले दशक के कुछ विस्मृत संगीतकारों की और उनकी कृतियों पर चर्चा कर रहे हैं। इन फिल्मों में से कुछ का उन्होने निर्माण, कुछ का निर्देशन और कुछ फिल्मों में केवल अभिनय किया था। आरम्भ के पहले दशक अर्थात 1948 में प्रदर्शित फिल्म "आग" से लेकर 1958 में प्रदर्शित फिल्म "फिर सुबह होगी" की चर्चा इस श्रृंखला में की जाएगी। आम तौर पर राज कपूर की फिल्मों के अधिकतर संगीतकार शंकर जयकिशन ही रहे हैं। उन्होने राज कपूर की कुल 20 फिल्मों का संगीत निर्देशन किया है। हैं। इसके अलावा बाद की कुछ फिल्मों में लक्ष्...

राग गान्धारी : SWARGOSHTHI – 484 : RAG GANDHARI

स्वरगोष्ठी – 484 में आज   आसावरी थाट के राग – 6 : राग - गान्धारी   प्रोफेसर बी.आर. देवधर से गान्धारी में रागदारी संगीत की रचना और के.एल. सहगल से गैरफिल्मी गीत सुनिए  प्रोफेसर बी.आर. देवधर  कुन्दनलाल सहगल  “रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला “आसावरी थाट के राग” की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। भारतीय संगीत के अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट व्यवस्था है। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र अर्थात कुल बारह स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए इन बारह स्वरों में से कम से कम पाँच स्वरों का होना आवश्यक होता है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के बारह में से मुख्य सात स्वरों के क्रमानुसार समुदाय को थाट कहते हैं, जिससे राग उत्पन्न होते हों। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रचलन प...

राग देसी : SWARGOSHTHI – 483 : RAG DESI

स्वरगोष्ठी – 483 में आज   आसावरी थाट के राग – 5 : राग देसी अथवा देसी तोड़ी   उस्ताद फ़ैयाज़ खाँ से राग देसी में ध्रुपद अंग का आलाप और उस्ताद अमीर खाँ व पण्डित डी.वी. पलुस्कर से फिल्मी गीत सुनिए  उस्ताद फ़ैयाज़ खाँ  पं. डी.वी. पलुस्कर और उस्ताद अमीर खाँ  “रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला “आसावरी थाट के राग” की पाँचवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। भारतीय संगीत के अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट व्यवस्था है। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र अर्थात कुल बारह स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए इन बारह स्वरों में से कम से कम पाँच स्वरों का होना आवश्यक होता है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के बारह में से मुख्य सात स्वरों के क्रमानुसार समुदाय को थाट कहते हैं, जिससे राग उत्पन्न होते हों। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति ...

राग दरबारी : SWARGOSHTHI – 482 : RAG DARABARI

स्वरगोष्ठी – 482 में आज   आसावरी थाट के राग – 4 : राग दरबारी अथवा दरबारी कान्हड़ा   पण्डित जसराज से राग दरबारी में भक्ति रचना और मन्ना डे से फिल्मी गीत सुनिए  पण्डित जसराज  मन्ना डे  “रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला “आसावरी थाट के राग” की चौथी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। भारतीय संगीत के अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट व्यवस्था है। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र अर्थात कुल बारह स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए इन बारह स्वरों में से कम से कम पाँच स्वरों का होना आवश्यक होता है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के बारह में से मुख्य सात स्वरों के क्रमानुसार समुदाय को थाट कहते हैं, जिससे राग उत्पन्न होते हों। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रचलन पण्डित विष्णु नारायण भा...

फ़िल्मी प्रसंग - 2: "सपने ख़ुशी के सजाता चल..." - अलविदा अभिलाष जी!

   फ़िल्मी प्रसंग - 2 अलविदा अभिलाष जी! "सपने ख़ुशी के सजाता चल..."   रेडियो प्लेबैक इंडिया’ के नए साप्ताहिक स्तंभ ’फ़िल्मी प्रसंग’ में आप सभी का स्वागत है।   फ़िल्म एवम् फ़िल्म-संगीत निर्माण प्रक्रिया के दौरान घटने वाली रोचक घटनाओं व अन्य पहलुओं से सम्बन्धित दिलचस्प प्रसंग जिनके बारे में जान कर आश्चर्य भी होता है और रोमांच भी।  फ़िल्म इतिहासकारों, रेडियो व टेलीविज़न कार्यक्रमों, कलाकारों व कलाकारों के परिवारजनों के सोशल मीडिया पोस्ट्स व उनसे साक्षात्कारों, विभिन्न फ़िल्मी पत्र-पत्रिकाओं जैसे विश्वसनीय माध्यमों से संकलित जानकारियों से सुसज्जित प्रसंग -  फ़िल्मी प्रसंग! 28 सितम्बर 2020 को गीतकार अभिलाष का निधन हो गया। उनके गुज़र जाने के बाद लोगों ने सोशल मीडिया पर उन्हें जितना याद किया, काश उनके जीवित रहते समय किया होता तो शायद वे इस दुनिया को थोड़े सुकून के साथ छोड़ पाते! गीतकार विजय अकेला ने अपनी दिल की भड़ास निकालते हुए अपने फ़ेसबूक पृष्ठ पर लिखा, "शायरी से दुनिया को जितनी महब्बत होती है, शायरों से उतनी ही चिढ़! दुनिया शायरों को सहानुभूति तो देती है, उनका हक़ ...