स्वरगोष्ठी – 471 में आज
काफी थाट के राग – 15 : राग गौड़ मल्हार
विदुषी मालिनी राजुरकर से राग गौड़ मल्हार की एक रचना और लता मंगेशकर से फिल्म का गीत सुनिए
विदुषी मालिनी राजुरकर |
लता मंगेशकर |
राग गौड़ मल्हार में गौड़ और मल्हार अंग का अत्यन्त आकर्षक मेल होता है। वक्र सम्पूर्ण जाति के इस राग में दोनों निषाद स्वरों का प्रयोग किया जाता है। अन्य सभी स्वर शुद्ध होते हैं। इस राग में गान्धार स्वर का अत्यन्त विशिष्ट प्रयोग किया जाता है। राग गौड़ मल्हार को कुछ गायक-वादक खमाज थाट के अन्तर्गत, तो अधिकतर इसे काफी थाट के अन्तर्गत प्रयोग करते हैं। सुप्रसिद्ध संगीतज्ञ पण्डित रामाश्रय झा इस राग को विलावल थाट के अन्तर्गत प्रयोग करते थे। राग गौड़ मल्हार की कुछ विशेषताओं की चर्चा करते हुए संगीत-शिक्षक और संगीत विषयक कई पुस्तकों के लेखक पण्डित मिलन देवनाथ जी ने बताया कि इस राग के आरोह में शुद्ध गान्धार के साथ शुद्ध निषाद और अवरोह में कोमल निषाद का प्रयोग किया जाता है। जो गायक-वादक कोमल गान्धार का प्रयोग करते हैं वे इस राग को काफी थाट के अन्तर्गत प्रयोग करते हैं। श्री देवनाथ ने बताया कि इस राग में मध्यम पर न्यास करना और ऋषभ-पंचम की संगति आवश्यक होती है। यह प्रयोग मल्हार अंग का परिचायक होता है। उन्होने बताया कि गौड़ मल्हार में पण्डित विद्याधर व्यास और विदुषी किशोरी अमोनकर ने नि(कोमल),ध,नि,सा (मियाँ मल्हार) का जैसा मोहक परम्परागत प्रयोग किया है, वह सुनने योग्य है। आइए अब हम आपको राग गौड़ मल्हार की एक बन्दिश सुप्रसिद्ध गायिका मालिनी राजुरकर के स्वरों में सुनवाते हैं। उन्होने द्रुत तीनताल में इसे एक अलग ही रस-रंग में प्रस्तुत किया है।
राग गौड़ मल्हार : "गरजत बरसत भीजत आई लो..." : विदुषी मालिनी राजुरकर
मल्हार अंग के रागों की श्रृंखला में पिछले दो अंकों में आपने मेघ मल्हार और मियाँ मल्हार रागों की स्वर-वर्षा का आनन्द प्राप्त किया। इस श्रृंखला में आज हम आपके लिए लेकर आए है, राग गौड़ मल्हार। पावस ऋतु का यह एक ऐसा राग है जिसके गायन-वादन से सावन मास की प्रकृति का सजीव चित्रण तो किया ही जा सकता है, साथ ही ऐसे परिवेश में उपजने वाली मानवीय संवेदनाओं की सार्थक अभिव्यक्ति भी इस राग के माध्यम से की जा सकती है। आकाश पर कभी मेघ छा जाते हैं तो कभी आकाश मेघरहित हो जाता है। इस राग के स्वरसमूह उल्लास, प्रसन्नता, शान्ति और मिलन की लालसा का भाव जागृत करते हैं। मिलन की आतुरता को उत्प्रेरित करने में यह राग समर्थ होता है। फिल्मों में राग गौड़ मल्हार का प्रयोग भरपूर किया गया है। रोशन और बसन्त देसाई, दो ऐसे फिल्म संगीतकार हुए हैं, जिन्होने इस राग का बेहतर इस्तेमाल अपनी फिल्मों में किया है। पार्श्वगायक मुकेश ने 1951 में फिल्म "मल्हार" का निर्माण किया था। इस फिल्म के संगीतकार रोशन थे। फिल्म के शीर्षक संगीत के रूप में रोशन ने राग गौड़ मल्हार की एक परम्परागत बन्दिश का चुनाव किया। लता मंगेशकर ने फिल्म में शामिल इस बन्दिश को स्वर दिया था। अच्छे संगीत के बावजूद फिल्म ‘मल्हार’ व्यावसायिक रूप से असफल रही और गीत भी अनसुने रह गए। लगभग एक दशक बाद रोशन ने इसी धुन का 1960 की फिल्म "बरसात की रात" में थोड़े शाब्दिक फेरबदल के साथ दोबारा प्रयोग किया। फिल्म "मल्हार" और "बरसात की रात" में शामिल राग गौड़ मल्हार के स्वरों में पिरोये दोनों गीतों का प्रयोग फिल्मों के शीर्षक संगीत के रूप में किया गया था। आइए अब हम आपको हम फिल्म "मल्हार" का गीत लता मंगेशकर के स्वरों में सुनवाते हैं, जिसमें रोशन ने राग गौड़ मल्हार के स्वरों का प्रयोग कर गीत को मूल बन्दिश के निकट ला दिया। आप यह गीत सुनिए और मुझे आज के इस अंक को विराम देने की अनुमति दीजिए।
राग गौड़ मल्हार : "गरजत बरसत भीजत आई लो..." : फिल्म - मल्हार
संगीत पहेली
"स्वरगोष्ठी" के 471वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको वर्ष 1967 में प्रदर्शित एक फिल्म के राग आधारित गीत का अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर आपको दो अंक अर्जित करने के लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो प्रश्नों के सही उत्तर देना आवश्यक हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा तीनों प्रश्नों का उत्तर ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। श्रृंखला के तीसरे सत्र अर्थात 480वें अंक की पहेली का उत्तर प्राप्त होने के बाद तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे उन्हें वर्ष के तृतीय सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही पूरे वर्ष के प्राप्तांकों की गणना के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की घोषणा की जाएगी और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा।
1 - इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इसमें किस राग की छाया है?
2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल को पहचानिए और उसका नाम बताइए।
3 – इस गीत में किस विख्यात पार्श्वगायिका के स्वर है?
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia9@gmail.com पर ही शनिवार 25 जुलाई, 2020 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको यदि उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। फेसबुक पर पहेली का उत्तर स्वीकार नहीं किया जाएगा। विजेताओं के नाम हम उनके शहर/ग्राम, प्रदेश और देश के नाम के साथ “स्वरगोष्ठी” के अंक संख्या 473 में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रस्तुत गीत, संगीत या कलाकार के बारे में यदि आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia9@gmail.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के सही उत्तर और विजेता
“स्वरगोष्ठी” के 469वें अंक में हमने आपको 1981 में प्रदर्शित फिल्म "गुड्डी" के एक गीत का अंश सुनवा कर आपसे तीन में से कम से कम दो सही उत्तरों की अपेक्षा की थी। पहेली के पहले प्रश्न का सही उत्तर है; राग - मियाँ की मल्हार दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – कहरवा तथा तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – वाणी जयराम।
‘स्वरगोष्ठी’ की इस पहेली का सही उत्तर देने वाले हमारे विजेता हैं; चेरीहिल, न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी, अहमदाबाद, गुजरात से मुकेश लाडिया, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी और वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया। उपरोक्त सभी प्रतिभागियों में से प्रत्येक को दो-दो अंक मिलते हैं। ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से आप सभी को हार्दिक बधाई। सभी प्रतिभागियों से अनुरोध है कि अपने पते के साथ कृपया अपना उत्तर ईमेल से ही भेजा करें। इस पहेली प्रतियोगिता में हमारे नए प्रतिभागी भी हिस्सा ले सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आपको पहेली के तीनों प्रश्नों के सही उत्तर ज्ञात हो। यदि आपको पहेली का कोई एक उत्तर भी ज्ञात हो तो भी आप इसमें भाग ले सकते हैं।
संवाद
मित्रों, इन दिनों हम सब भारतवासी, प्रत्येक नागरिक को कोरोना वायरस से मुक्त करने के लिए प्रयत्नशील हैं। अब हम काफी हद तक हम सफल भी हुए हैं। परन्तु अभी भी हमें पर्याप्त सतर्कता बरतनी है। विश्वास कीजिए, हमारे इस सतर्कता अभियान से कोरोना वायरस पराजित होगा। आप सब से अनुरोध है कि प्रत्येक स्थिति में चिकित्सकीय और शासकीय निर्देशों का पालन करें और अपने घर में सुरक्षित रहें। इस बीच शास्त्रीय संगीत का श्रवण करें और अनेक प्रकार के मानसिक और शारीरिक व्याधियों से स्वयं को मुक्त रखें। विद्वानों ने इसे “नाद योग पद्धति” कहा है। “स्वरगोष्ठी” की नई-पुरानी श्रृंखलाएँ सुने और पढ़ें। साथ ही अपनी प्रतिक्रिया से हमें अवगत भी कराएँ।
अपनी बात
मित्रों, ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी हमारी नई श्रृंखला “काफी थाट के राग” की पन्द्रहवीं कड़ी में आज आपने काफी थाट के जन्य राग गौड़ मल्हार का परिचय प्राप्त किया। राग के शास्त्रीय स्वरूप को समझने के लिए सुविख्यात गायिका विदुषी मालिनी राजुरकर के स्वरों में राग गौड़ मल्हार की एक रचना के माध्यम से राग के शास्त्रीय स्वरूप का दर्शन कराया। इसके साथ ही “स्वरगोष्ठी” की परम्परा के अनुसार आज की कड़ी में हमने आपको 1951 में प्रदर्शित फिल्म "मल्हार" से रोशन का स्वरबद्ध किया एक परम्परागत खयाल "गरजत बरसत भीजत आई लो..." फिल्मी गीत के रूप में प्रयोग किया गया है। गीत के स्वर लता मंगेशकर के हैं। कुछ तकनीकी समस्या के कारण हम अपने फेसबुक के मित्र समूह पर “स्वरगोष्ठी” का लिंक साझा नहीं कर पा रहे हैं। सभी संगीत अनुरागियों से अनुरोध है कि हमारी वेबसाइट http://radioplaybackindia.com अथवा http://radioplaybackindia.blogspot.com पर क्लिक करके हमारे सभी साप्ताहिक स्तम्भों का अवलोकन करते रहें। “स्वरगोष्ठी” के वेब पेज के दाहिनी ओर निर्धारित स्थान पर अपना ई-मेल आईडी अंकित कर आप हमारे सभी पोस्ट को नियमित रूप से अपने ई-मेल पर प्राप्त कर सकते है। “स्वरगोष्ठी” की पिछली कड़ियों के बारे में हमें अनेक पाठकों की प्रतिक्रिया लगातार मिल रही है। हमें विश्वास है कि हमारे अन्य पाठक भी “स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का अवलोकन करते रहेंगे और अपनी प्रतिक्रिया हमें भेजते रहेंगे। आज के इस अंक अथवा श्रृंखला के बारे में यदि आपको कुछ कहना हो तो हमें अवश्य लिखें। यदि आपका कोई सुझाव या अनुरोध हो तो हमें swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia9@gmail.com पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः सात बजे “स्वरगोष्ठी” के इसी मंच पर हम एक बार फिर संगीत के सभी अनुरागियों का स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
राग गौड़ मल्हार : SWARGOSHTHI – 471 : RAG GAUDA MALHAR : 19 जुलाई, 2020
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