स्वरगोष्ठी – 391 में आज
पूर्वांग और उत्तरांग राग – 6 : राग केदार
लता मंगेशकर से फिल्म का एक गीत और एन. राजम् से वायलिन पर राग केदार सुनिए
डॉ.एन.राजम् |
लता मंगेशकर |
भक्तिरस की
अभिव्यक्ति के लिए केदार एक समर्थ राग है। कर्नाटक संगीत पद्यति में राग
हमीर कल्याणी, राग केदार के समतुल्य है। औड़व-षाड़व जाति, अर्थात आरोह में
पाँच और अवरोह में छह स्वरों का प्रयोग होने वाला यह राग कल्याण थाट के
अन्तर्गत माना जाता है। प्राचीन ग्रन्थकार राग केदार को बिलावल थाट के
अन्तर्गत मानते थे, आजकल अधिकतर गुणिजन इसे कल्याण थाट के अन्तर्गत मानते
हैं। इस राग में दोनों मध्यम का प्रयोग होता है। शुद्ध मध्यम का प्रयोग
आरोह और अवरोह दोनों में तथा तीव्र मध्यम का प्रयोग केवल अवरोह में किया
जाता है। आरोह में ऋषभ और गान्धार स्वर और अवरोह में गान्धार स्वर वर्जित
होता है। कभी-कभी अवरोह में गान्धार स्वर का अनुलगन कण का प्रयोग कर लिया
जाता है। राग का वादी स्वर मध्यम और संवादी स्वर षडज होता है। इस दृष्टि से
यह उत्तरांग प्रधान राग होगा, क्योंकि मध्यम स्वर उत्तरांग का और षडज स्वर
पूर्वांग का स्वर होता है। मध्यम स्वर का समावेश सप्तक के पूर्वांग में
नहीं हो सकता। राग का एक नियम यह भी है कि वादी-संवादी दोनों स्वर सप्तक के
एक अंग में नहीं हो सकते। इस दृष्टि से यह राग उत्तरांग प्रधान तथा दिन के
उत्तर अंग में अर्थात रात्रि 12 बजे से दिन के 12 बजे के बीच गाया-बजाया
जाना चाहिए। परन्तु राग केदार प्रचलन में इसके ठीक विपरीत रात्रि के पहले
प्रहर में ही गाया-बजाया जाता है। राग केदार उपरोक्त नियम का अपवाद है। इस
राग का गायन-वादन रात्रि के पहले प्रहर में किया जाता है। राग केदार का
अनुभव करने के लिए अब हम आपको इस राग के स्वरों से अभिसिंचित वायलिन पर एक
आकर्षक रचना सुनवाते हैं। गायकी अंग में यह रचना विश्वविख्यात
वायलिन-साधिका डॉ. एन. राजम् ने प्रस्तुत किया है। डॉ. राजम् की वायलिन पर
तीनताल में निबद्ध राग केदार की यह रचना सुनिए।
राग केदार : वायलिन पर तीनताल में निबद्ध रचना : डॉ. एन. राजम्
राग
केदार में तीव्र मध्यम आरोह में पंचम के साथ और शुद्ध मध्यम आरोह और अवरोह
दोनों में प्रयोग किया जाता है। कभी-कभी अवरोह में धैवत से मध्यम को जाते
समय मींड़ के साथ दोनों मध्यम एक साथ प्रयोग किया जाता है। यह प्रयोग रंजकता
से परिपूर्ण होता है। राग हमीर के समान राग केदार में कभी-कभी अवरोह में
मधुरता बढ़ाने के लिए कोमल निषाद विवादी स्वर के रूप में प्रयोग किया जाता
है। राग का चलन वक्र होता है, किन्तु तानों में वक्रता का नियम शिथिल हो
जाता है। राग केदार पर आधारित फिल्मी गीत के उदाहरण के लिए अब हम आपको
मुगलकाल के वैभव से युक्त फिल्म ‘मुगल-ए-आजम’ का एक गीत सुनवाते हैं। नौशाद
की संगीत प्रतिभा को शिखर पर ले जाने में 1960 की फिल्म ‘मुगल-ए-आजम’ का
बहुत बड़ा योगदान रहा है। इस फिल्म का पूरा संगीत ही अविस्मरणीय रहा है।
फिल्मों के प्रसंग के अनुसार नौशाद उस समय के दिग्गज शास्त्रीय गायकों को
आमंत्रित कर गवाने से भी नहीं चूके। 1952 की फिल्म ‘बैजू बावरा’ में उस्ताद
अमीर खाँ और पण्डित दत्तात्रेय विष्णु पलुस्कर के स्वरों में तथा 1954 की
फिल्म ‘शबाब’ में दोबारा उस्ताद अमीर खाँ के स्वर में ऐसा प्रयोग कर वे
अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर चुके थे। फिल्म ‘मुगल-ए-आज़म’ के एक प्रसंग में
अकबर के दरबारी गायक तानसेन के स्वर में जब एक गीत की आवश्यकता हुई तो
नौशाद ने उस्ताद बड़े गुलाम अली खाँ को गाने के लिए बड़ी मुश्किल से राजी
किया। उस्ताद का राग सोहनी में गाया वह गीत था- ‘प्रेम जोगन बनके...’। राग
सोहनी में निबद्ध इस ठुमरी गीत के लिए के. आसिफ ने उस्ताद को पचीस हजार
रुपये मानदेय के रूप में दिया था। यह गीत उन्हें इतना पसन्द आया कि के.
आसिफ ने उस्ताद बड़े गुलाम अली को पचीस हजार रुपये और देकर एक और गीत ‘शुभ
दिन आयो राजदुलारा...’ (राग रागेश्री) भी गवाया था। आज के इस अंक में हमने
फिल्म ‘मुगल-ए-आजम’ से एक अन्य गीत लिया है, जो राग केदार पर आधारित है।
लता मंगेशकर का गाया यह गीत है- ‘बेकस पे करम कीजिये सरकार-ए-मदीना...’,
जिसे नौशाद ने राग केदार के स्वरों का आधार लेकर दादरा ताल में निबद्ध किया
था। नौशाद का संगीतबद्ध किया फिल्म ‘मुगल-ए-आज़म’ का यह गीत राग केदार पर
आधारित गीतों की सूची में एक अच्छा उदाहरण है। आपके लिए प्रस्तुत है यह
गीत। आप यह गीत सुनिए और हमें इस कड़ी को यहीं विराम देने की अनुमति
दीजिए।
राग - केदार : ‘बेकस पे करम कीजिये...’ : लता मंगेशकर : फिल्म - मुगल-ए-आज़म
संगीत पहेली
‘स्वरगोष्ठी’
के 391वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको वर्ष 1955 में प्रदर्शित एक
फिल्म से रागबद्ध गीत का अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर आपको
दो अंक अर्जित करने के लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो प्रश्नों के
उत्तर देने आवश्यक हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा तीनों प्रश्नों
का उत्तर ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। इस वर्ष की
अन्तिम पहेली तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें वर्ष 2018 के
पाँचवें सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही पूरे वर्ष के
प्राप्तांकों की गणना के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की घोषणा की
जाएगी और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा।
1 – इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इसमें किस राग का स्पर्श है?
2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल को पहचानिए और उसका नाम बताइए।
3 – इस गीत में किस गायिका के स्वर हैं?
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com
पर ही शनिवार, 3 नवम्बर, 2018 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको यदि
उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली
प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS
में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। “फेसबुक” पर पहेली का उत्तर
स्वीकार नहीं किया जाएगा। विजेता का नाम हम उनके शहर, प्रदेश और देश के नाम
के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के 393वें अंक में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में
प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या
अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी
में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के विजेता
‘स्वरगोष्ठी’
की 389वें अंक की संगीत पहेली में हमने आपको वर्ष 1974 में प्रदर्शित
फिल्म “फ्री लव” के एक रागबद्ध गीत का अंश सुनवा कर आपसे तीन में से किसी
दो प्रश्न के उत्तर पूछा था। पहले प्रश्न का सही उत्तर है; राग – गुणकली, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – दादरा और तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – लता मंगेशकर।
“स्वरगोष्ठी”
की इस पहेली प्रतियोगिता में तीनों अथवा तीन में से दो प्रश्नो के सही
उत्तर देकर विजेता बने हैं; वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, कल्याण, महाराष्ट्र से शुभा खाण्डेकर, चेरीहिल न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी, मेरिलैण्ड, अमेरिका से विजया राजकोटिया, हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी और फीनिक्स, अमेरिका से मुकेश लाडिया।
उपरोक्त सभी प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक
बधाई। सभी प्रतिभागियों से अनुरोध है कि अपने पते के साथ कृपया अपना उत्तर
ई-मेल से ही भेजा करें। इस पहेली प्रतियोगिता में हमारे नये प्रतिभागी भी
हिस्सा ले सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आपको पहेली के तीनों प्रश्नों के
सही उत्तर ज्ञात हो। यदि आपको पहेली का कोई एक भी उत्तर ज्ञात हो तो भी आप
इसमें भाग ले सकते हैं।
अपनी बात
मित्रों,
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी हमारी
श्रृंखला “पूर्वांग और उत्तरांग राग” की छठी कड़ी में आपने राग केदार का
परिचय प्राप्त किया। इस राग में आपने विदुषी एन. राजम् का वायलिन पर
प्रस्तुत राग केदार में तीनताल की एक रचना का रसास्वादन किया। साथ ही आपने
इस राग में पिरोया संगीतकार नौशाद का संगीतबद्ध फिल्म “मुगल-ए-आजम” का गीत
लता मंगेशकर से सुना। हमें विश्वास है कि हमारे अन्य पाठक भी “स्वरगोष्ठी”
के प्रत्येक अंक का अवलोकन करते रहेंगे और अपनी प्रतिक्रिया हमें भेजते
रहेगे। “फेसबुक” पर “स्वरगोष्ठी” के विषय में हमारी एक स्थायी पाठक विजया
राजकोटिया ने एक टिप्पणी की है, जिसे Kshiti Tiwari, Krishnapal Verma, Rohit Shukla, Arun Dev, Jyoti Bailur, Janardan Murhekar और Nikhil Bhatt सहित अनेक पाठकों ने पसन्द किया है।
There is no Swargoshthi without Krishnamohan Mishra !
Shri
Krishnamohan Mishra is continuing his great work of connecting
classical music with Film songs based on classical music and giving the
understanding of music in the deeper sense by giving out wonderful
information about all terminology used to those who have no knowledge of
classical music. Thus, I think it is the great service to classical
music which is being understood by people who are interested in film
music to relate to classical music by reading the information so nicely
given by Krishnamohan ji in his weekly Swargoshthi on Facebook on
Sundays. We should show our gratitude to him for spreading the knowledge
of classical music to the people in a different way which makes it very
interesting.
आज
के अंक और श्रृंखला के बारे में यदि आपको कुछ कहना हो तो हमें अवश्य
लिखें। हमारी वर्तमान अथवा अगली श्रृंखला के लिए यदि आपका कोई सुझाव या
अनुरोध हो तो हमें swargoshthi@gmail.com
पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः 7 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के
इसी मंच पर एक बार फिर सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
राग केदार : SWARGOSHTHI – 391 : RAG KEDAR : 28 अक्तूबर, 2018
Comments
audio songs current at this website is in fact fabulous.