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Showing posts from July, 2018

ऑडियो: कुत्सा (मुंशी प्रेमचंद)

इस लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम आपको सुनवाते रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछली बार आपने  अनुराग शर्मा  के स्वर में उन्हीं की लघुकथा ' हल ' सुनी थी। आज, मुंशी प्रेमचंद के जन्मदिन के अवसर पर, हम आपकी सेवा में उन्हीं की एक कथा  कुत्सा   प्रस्तुत कर रहे हैं, जिसे स्वर दिया है  अनुराग शर्मा  ने। एक शताब्दी से हिन्दी (एवं उर्दू) साहित्य जगत में मुंशी प्रेमचंद का नाम एक सूर्य की तरह चमक रहा है। विशेषकर, ज़मीन से जुड़े एक कथाकार के रूप में उनकी अलग ही पहचान है। उनके पात्रों और कथाओं का क्षेत्र काफी विस्तृत है फिर भी उनकी अनेक कथाएँ भारत के ग्रामीण मानस का चित्रण करती हैं। उनका वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। वे उर्दू में नवाब राय और हिन्दी में प्रेमचंद के नाम से लिखते रहे। आम आदमी की बेबसी हो या हृदयहीनों की अय्याशी, बचपन का आनंद हो या बुढ़ापे की जरावस्था, उनकी कहानियों में सभी अवस्थाएँ मिलेंगी और सभी भाव भी। उनकी कहानियों पर फिल्में भी बनी हैं और अनेक रेडियो व टीवी कार्यक्रम भी। उनकी पहली हिन्दी कहानी सरस्वती पत्रिका के दिसंबर 1915 के अंक में "

राग रागेश्वरी : SWARGOSHTHI – 378 : RAG RAGESHWARI

स्वरगोष्ठी – 378 में आज राग से रोगोपचार – 7 : रात्रि के दूसरे प्रहर का राग रागेश्वरी सकारात्मक ठहराव लाने और अनिद्रा के उपचार में सहायक है राग रागेश्वरी परवीन सुल्ताना लता मंगेशकर ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला “राग से रोगोपचार” की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, इस श्रृंखला के लेखक, संगीतज्ञ और इसराज तथा मयूरवीणा के सुविख्यात वादक पण्डित श्रीकुमार मिश्र के साथ आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। मानव का शरीर प्रकृति की अनुपम देन है। बाहरी वातावरण के प्रतिकूल प्रभाव से मानव के तन और मन में प्रायः कुछ विकृतियाँ उत्पन्न हो जाती हैं। इन विकृतियों को दूर करने के लिए हम विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों की शरण में जाते हैं। पूरे विश्व में रोगोपचार की अनेक पद्धतियाँ प्रचलित है। भारत में हजारों वर्षों से योग से रोगोपचार की परम्परा जारी है। प्राणायाम का तो पूरा आधार ही श्वसन क्रिया पर केन्द्रित होता है। संगीत में स्वरोच्चार भी श्वसन क्रिया पर केन्द्रित होते हैं। भारतीय संग

राग बागेश्री : SWARGOSHTHI – 377 : RAG BAGESHRI

स्वरगोष्ठी – 377 में आज राग से रोगोपचार – 6 : रात्रि के दूसरे प्रहर का राग बागेश्री असामान्य मनःस्थितियों को दूर भगाता है राग बागेश्री विदुषी मालिनी राजुरकर मन्ना डे ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला “राग से रोगोपचार” की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, इस श्रृंखला के लेखक, संगीतज्ञ और इसराज तथा मयूरवीणा के सुविख्यात वादक पण्डित श्रीकुमार मिश्र के साथ आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। मानव का शरीर प्रकृति की अनुपम देन है। बाहरी वातावरण के प्रतिकूल प्रभाव से मानव के तन और मन में प्रायः कुछ विकृतियाँ उत्पन्न हो जाती हैं। इन विकृतियों को दूर करने के लिए हम विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों की शरण में जाते हैं। पूरे विश्व में रोगोपचार की अनेक पद्धतियाँ प्रचलित है। भारत में हजारों वर्षों से योग से रोगोपचार की परम्परा जारी है। प्राणायाम का तो पूरा आधार ही श्वसन क्रिया पर केन्द्रित होता है। संगीत में स्वरोच्चार भी श्वसन क्रिया पर केन्द्रित होते हैं। भारतीय संगीत में 7 शुद्ध, 4 कोमल

ऑडियो: अनुराग शर्मा की लघुकथा "हल"

'बोलती कहानियाँ' स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको नई-पुरानी, प्रसिद्ध-अल्पज्ञात, मौलिक-अनूदित, हर प्रकार की हिंदी कहानियाँ सुनवाते रहे हैं। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में प्राण शर्मा की लघुकथा " जननायक " का पॉडकास्ट सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं अनुराग शर्मा की लघुकथा " हल ", उन्हीं के स्वर में। इस बालकथा का टेक्स्ट अनुराग शर्मा के ब्लॉग बर्ग वार्ता पर उपलब्ध है। इस कथा का कुल प्रसारण समय 2 मिनट 53 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिकों, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। संजो के रक्खो इसे हाथ से न जाने दो बात निकलेगी तो बेकार चली जायेगी  ~ अनुराग शर्मा हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी हिन्दी कहानी "प्लास्टिक और पॉलीथीन के खिलाफ़ आंदोलन इतना तेज़ हुआ कि प्रशासन को यह समस्या हल करने के लिये आपातकालीन सभा बुला

प्राण शर्मा की लघुकथा 'जननायक'

बोलती कहानियाँ स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में स्नेहलता गोस्वामी की लघुकथा " सलाह " का पॉडकास्ट सुना था। आज हम लेकर आये हैं प्राण शर्मा की लघुकथा जननायक , जिसको स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। लघुकथा का कुल प्रसारण समय 2 मिनट 53 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। इस लघुकथा का गद्य सेतु पत्रिका पर उपलब्ध है। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिकों, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। प्राण शर्मा 13 जून 1937 - 25 अप्रैल 2018 हिंदी के वरिष्ठ लेखक और शायर प्रकाशित काव्य संग्रह: सुराही, ग़ज़ल कहता हूँ रचनाएँ विभिन्न पत्र पत्रिकाओं समाचार पत्रों में प्रकाशित हर सप्ताह सुनिए एक नयी कहानी जनसभा में आकर समाजसेवक श्री गुणेन्द्र प्रसाद को 'जननायक' बनाइये। ( प्राण शर्मा की लघुकथा "जननायक" से एक अंश ) नीचे के प्लेय

ऑडियो: स्नेहलता गोस्वामी की लघुकथा सलाह

बोलती कहानियाँ स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने  अनुराग शर्मा  की आवाज़ में  सीमा सिंह  की  सेतु लघुकथा प्रतियोगिता  में प्रथम पुरस्कार से सम्मानित लघुकथा " मन का उजाला " का पॉडकास्ट सुना था। आज हम लेकर आये हैं स्नेहलता गोस्वामी की लघुकथा सलाह , जिसको स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। लघुकथा का कुल प्रसारण समय 2 मिनट 27 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। इस लघुकथा का गद्य सेतु पत्रिका पर उपलब्ध है। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। स्नेहलता गोस्वामी जन्म: फरीदकोट पंजाब शिक्षा: एमए और एमएड सम्प्रति: केन्द्रीय विद्यालय संगठन में हिंदी शिक्षण रचनाएँ विभिन्न पत्र पत्रिकाओं समाचार पत्रों में प्रकाशित हर सप्ताह सुनिए एक नयी कहानी कहीं अच्छी नौकरी मिल जायेगी। फिर सारी जिन्दगी ऐश करना। ( स्नेहलता गोस्वामी की "सलाह&

राग मारूविहाग : SWARGOSHTHI – 376 : RAG MARUVIHAG

स्वरगोष्ठी – 376 में आज राग से रोगोपचार – 5 : रात्रि के पहले प्रहर का राग मारूविहाग सामान्य चिन्ता को दूर भगाया जा सकता है, राग मारूविहाग के स्वरों से मोहम्मद रफी और लता मंगेशकर उस्ताद फ़ैयाज़ खाँ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला “राग से रोगोपचार” की पाँचवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, इस श्रृंखला के लेखक, संगीतज्ञ और इसराज तथा मयूरवीणा के सुविख्यात वादक पण्डित श्रीकुमार मिश्र के साथ आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। मानव का शरीर प्रकृति की अनुपम देन है। बाहरी वातावरण के प्रतिकूल प्रभाव से मानव के तन और मन में प्रायः कुछ विकृतियाँ उत्पन्न हो जाती हैं। इन विकृतियों को दूर करने के लिए हम विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों की शरण में जाते हैं। पूरे विश्व में रोगोपचार की अनेक पद्धतियाँ प्रचलित है। भारत में हजारों वर्षों से योग से रोगोपचार की परम्परा जारी है। प्राणायाम का तो पूरा आधार ही श्वसन क्रिया पर केन्द्रित होता है। संगीत में स्वरोच्चार भी श्वसन क्रिया पर केन्द्रित होते हैं