अंक - 8
2017 के प्रथम दो महीनों की फ़िल्मों का संगीत
“साजन आयो रे, सावन लायो रे...”
देखते ही देखते वर्ष 2017 के दो महीने बीत चुके हैं। फ़िल्म-संगीत की धारा, जो 1931 में शुरु हुई थी, निरन्तर बहती चली जा रही है, और इस वर्ष भी यह सुरीली धारा रसिकों के दिलों से गुज़रती हुई, उथल-पुथल करती हुई बहे जा रही है। आइए आज ’चित्रकथा’ में आज चर्चा करें इन दो महीनों, यानी जनवरी और फ़रवरी 2017, में प्रदर्शित हुई फ़िल्मों के गीत-संगीत की। आज ’चित्रकथा’ में प्रस्तुत है यह संगीत समीक्षा।
लाभ जंजुआ |
13 जनवरी को प्रदर्शित हुई ’ओके जानु’। आदित्य रॉय कपूर और श्रद्धा कपूर के अन्तरंग केमिस्ट्री की
ए. आर. रहमान |
13 जनवरी को एक और फ़िल्म प्रदर्शित हुई थी - ’हरामखोर’। श्लोक शर्मा निर्देशित और नवाज़ुद्दीन
अनु मलिक |
गणतंत्र दिवस के सप्ताह दो महत्वपूर्ण फ़िल्में प्रदर्शित हुईं। एक राकेश रोशन की ’काबिल’ और दूसरा
राजेश रोशन |
शाहरुख़ ख़ान की महत्वाकांक्षी फ़िल्म ’रईस’ के गीत-संगीत की अब बात की जाए। ऐल्बम शुरु होता है
जावेद अख़्तर |
जनवरी के बाद अब हम आ पहुँचे हैं फ़रवरी में। 10 फ़रवरी को ’जॉली एल एल बी 2’ प्रदर्शित हुई। 2013
सुखविन्दर सिंह |
17 फ़रवरी को कुल चार फ़िल्में प्रद्रशित हुईं, लेकिन एक भी बॉक ऑफ़िस पर टिक नहीं सकी। पहली
बप्पी लाहिड़ी |
17 फ़रवरी की दूसरी फ़िल्म थी ’दि ग़ाज़ी अटैक’, पर इस फ़िल्म में कोई गीत नहीं था। तीसरी फ़िल्म थी
सुरेश वाडकर, साधना सरगम |
फ़रवरी के अन्तिम सप्ताह तीन फ़िल्में रिलीज़ हुईं - ’वेडिंग् ऐनिवर्सरी’, ’मोना डारलिंग्’ और ’रंगून’।
राशिद ख़ाँ |
फ़रवरी के अन्तिम सप्ताह, 24 तारीख को प्रदर्शित हुई विशाल भारद्वाज की ’रंगून’। जब जब गुलज़ार
गुलज़ार, विशाल भारद्वाज |
आपकी बात
’चित्रकथा’ के पिछले अंक में हमने आपको गुज़रे ज़माने की अभिनेत्री आशालता बिस्वास पर उनकी पुत्री शिखा वोहरा से की गई बातचीत पेश की थी। इसके संदर्भ में हमारे पाठक श्रीदास गुरजर ने हमसे पूछा कि "हमीनस्तु" और "हमीनस्तो" में क्या अन्तर है और अगर अन्तर है तो इन दोनों शब्दों का क्या मतलब है। श्रीदास जी, सबसे पहले तो हम आपको यह बता दें कि "हमीनस्तो" और "हमीनस्तु" का एक ही अर्थ है। और यही नहीं इसे "हमीं अस्तु", "हमीं अस्तो", "हमीं अस्त" और "हमीनस्त" भी कहा जाता है। यह दरसल फ़ारसी (परशियन) शब्दावली है जिसका अर्थ है "यहीं है"। इसे लोकप्रियता मिली अमीर ख़ुसरौ के मशहूर शेर "गर फ़िरदौस बर रुए ज़मीं अस्त, हमीं अस्त, हमीं अस्त, हमीं अस्त" से जो उन्होंने कशमीर के लिए कही थी। इसका अर्थ यह है कि अगर ज़मीं पर स्वर्ग कहीं है, तो वह यहीं है, यहीं है, यहीं है।
आख़िरी बात
’चित्रकथा’ स्तंभ का आज का अंक आपको कैसा लगा, हमें ज़रूर बताएँ नीचे टिप्पणी में या soojoi_india@yahoo.co.in के ईमेल पते पर पत्र लिख कर। इस स्तंभ में आप किस तरह के लेख पढ़ना चाहते हैं, यह हम आपसे जानना चाहेंगे। आप अपने विचार, सुझाव और शिकायतें हमें निस्संकोच लिख भेज सकते हैं। साथ ही अगर आप अपना लेख इस स्तंभ में प्रकाशित करवाना चाहें तो इसी ईमेल पते पर हमसे सम्पर्क कर सकते हैं। सिनेमा और सिनेमा-संगीत से जुड़े किसी भी विषय पर लेख हम प्रकाशित करेंगे। आज बस इतना ही, अगले सप्ताह एक नए अंक के साथ इसी मंच पर आपकी और मेरी मुलाक़ात होगी। तब तक के लिए अपने इस दोस्त सुजॉय चटर्जी को अनुमति दीजिए, नमस्कार, आपका आज का दिन और आने वाला सप्ताह शुभ हो!
शोध,आलेख व प्रस्तुति : सुजॉय चटर्जी
प्रस्तुति सहयोग : कृष्णमोहन मिश्र
रेडियो प्लेबैक इण्डिया
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