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एक चुराई हुई धुन के मोहताज़ हुए ज़रदोज़ी लम्हें

ताज़ा सुर ताल - ज़रदोज़ी लम्हें 

अक्सर हमारे संगीतकार विदेशी धुनों की चोरी करते हुए पकडे जाते हैं, पर आज जिक्र एक ऐसे नए गीत का जो लगभग २० साल पहले बना एक खूबसूरत मगर कमचर्चित गीत हिंदी गीत की ही हूबहू नक़ल है. 1996 में बाली सागू जो भारत में रेमिक्सिंग के गुरु माने जाते हैं, ने अपनी पहली मूल गीतों की एल्बम 'रायिसिंग फ्रॉम द ईस्ट' लेकर आये. संगीत प्रेमियों ने इस एल्बम को हाथों हाथ लिया, तुझ बिन जिया उदास, दिल चीज़ है क्या  और नच मलंगा  जैसे हिट गीतों के बीच उदित नारायण का गाया बन में आती थी एक लड़की  शायद कुछ कम सुना ही रह गया था, और इसी बात का फायदा उठाया आज के संगीतकार संजीव श्रीवास्तव ने और फिल्म रोवोल्वर रानी  में इसी तर्ज पर बना डाला ज़रदोज़ी लम्हें . लीजिये पहले सुनिए बाली सागू का बन में आती थी एक लड़की 



और अब सुनिए ये बेशर्म नक़ल, वैसे फिल्म रेवोल्वर रानी  में कुछ बेहद अच्छे गीत भी हैं, जिनकी चर्चा फिर कभी...
    

Comments

Unknown said…
Hello Sir!...both songs are same....zardozi lamhein!
Sajeev said…
corrected
Sajeev said…
दोस्तों एक अपडेट और देना चाहूँगा...इस पोस्ट को सुजोय ने फिल्म "रेवोल्वर रानी" से संगीतकार संजीव श्रीवास्तव के साथ शेयर किया और उन्होंने इस बात को स्वीकार करते हुए बताया कि २० साल पहले "बन में आती थी" भी उन्होंने ही स्वरबद्ध किया था, पर बाली सागू ने उन्हें क्रेडिट नहीं दिया और गीत को अपने नाम से एल्बम में इस्तेमाल किया... उन्होंने अपने दावे की पुष्ठी के लिए उदित नारायण से भी संपर्क करने की सलाह दी, अगर संजीव जी की ये बात सत्य है तो हम इस पोस्ट के लिए उनसे माफ़ी चाहेगें, बहरहाल...बाकी सब हम अपने श्रोताओं पर ही छोड़ते है....

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