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Showing posts from July, 2008

जब कभी भी सुनोगे गीत मेरे...

आवाज़ पर आज का दिन समर्पित रहा, अजीम फनकार मोहमद रफी साहब के नाम, संजय भाई ने सुबह वसंत देसाई की बात याद दिलाई थी, वे कहते थे " रफ़ी साहब कोई सामान्य इंसान नही थे...वह तो एक शापित गंधर्व था जो किसी मामूली सी ग़लती का पश्चाताप करने इस मृत्युलोक में आ गया ." बात रूपक में कही गई है लेकिन रफ़ी साहब की शख़्सियत पर एकदम फ़बती है.( पूरा पढ़ें ...) मोहम्मद रफी, ऐतिहासिक हिन्दी सिनेमा जगत का एक ऐसा स्तम्भ जो आज भी संगीत प्रेमियों के दिल पर अमिट छाप बनाये है, जिनकी सुरीली अद्वितीय आवाज हर रोज हमें दीवाना करती है और जिन्होंने करीब पैंतीस सालों में अपनी अतुलनीय आवाज में मधुर गीतों का एक बड़ा अम्बार हमारे लिये छोड़ा । रफी जी की आवाज एक ऐसी आवाज, जिसने दुःख भरे नगमों से लेकर धूम-धड़ाके वाले मस्ती भरे गीतों सभी को एक बहतरीन गायकी के साथ निभाया, यूँ तो बहुत से नये गायक कलाकारों द्वारा रफी जी की आवाज को नकल करने की कोशिश की गयी और उनको सराहा भी गया परंतु कोई भी मोहम्मद रफी के उस जादू को नही ला सका; शायद कोई कर भी न सके । पुरजोर कोशिशों के बावजूद कोई भी ऐसा गायक रफी साहब की केवल एक-आध आवाज को नकल कर

वो शुरुवाती दिन...

मो. रफी को याद कर रहे हैं, युनुस खान अट्ठाईस बरस पहले 31 जुलाई के दिन सुरसंसार का ये सुरीला पंछी, दुनिया को बेगाना मानकर उड़ गया, और तब से आज तक वो डाली कांप रही है । दरअसल मोहम्‍मद रफ़ी संगीत की दुनिया में शोर की साजिश के खि़लाफ़ एक सुरीला हस्‍तक्षेप थे। दुनिया के नक्‍शे में खोजने चलें, तो पाकिस्‍तान के दायरे में लाहौर के नज़दीक कोटला सुल्‍तान सिंह को खोज पाना, काफी मशक्‍कत का काम होगा । यहां चौबीस दिसंबर 1924 को रफ़ी साहब का जन्‍म हुआ था । बाद में रफ़ी का परिवार लाहौर चला आया । यहां उन्होंने उस्ताद बड़े गु़लाम अली ख़ां साहब और उस्ताद अब्‍दुल वहीद ख़ां साहब से संगीत की तालीम ली थी । लाहौर में कुंदन लाल सहगल का एक कंसर्ट हो रहा था, लेकिन अचानक बिजली चली गयी और आयोजन रूक गया । सहगल ने कहा कि जब तक बिजली नहीं आयेगी वो नहीं गायेंगे । तेरह बरस के मोहम्‍मद रफ़ी इस आयोजन में अपने जीजा मोहम्‍मद हमीद के साथ आये हुए थे । उन्होंने कहा कि रफ़ी गाना गाकर जनता को शांत कर सकते हैं । इस तरह रफ़ी साहब को मंच पर गाने का मौका़ मिला था । रफ़ी साहब को पहली बार गाने का मौक़ा संगीतकार श्याम सुंदर ने दिया था

कविता और संगीत से अव्वल, सुर को जिताने वाले मोहम्मद रफ़ी

अमर आवाज़ मोहम्मद रफ़ी को उनकी 28वीं बरसी पर याद कर रहे हैं संजय पटेल मेरा तो जो भी कदम है वो तेरी राह में है॰॰॰ जी हाँ, स्तम्भकार संजय पटेल ने अपने ज़िंदगी के बहुत से कदम रफ़ी की याद में बढ़ाये हैं। संयोग है कि हमारे लिये ये विशेष आलेख रचने वाले संजय भाई ने मोहम्मद रफ़ी की मृत्यु पर ही पहला लेख इन्दौर के एक प्रतिष्ठित दैनिक में लिखा था. संजय भाई रफ़ी साहब के अनन्य मुरीद हैं और इस महान गायक की पहली बरसी से आज तक 31 जुलाई के दिन रफ़ी साहब की याद में उपवास रखते हैं। प्रस्तुत संजय की श्रद्धाँजलि- रफ़ी एक ऐसी मेलोडी रचते थे कि मिश्री की मिठास शरमा जाए,सुनने वाले के कानों में मोगरे के फ़ूल झरने लगे,सुर जीत जाए और शब्द और कविता पीछे चली जाए. मेरी यह बात अतिरंजित लग सकती है आपको लेकिन रफ़ी साहब का भावलोक है ही ऐसा. आप जितना उसके पास जाएंगे आपको वह एक पाक़ साफ़ संसारी बना कर ही छोड़ेगा. मोहम्मद रफ़ी साहब को महज़ एक प्लै-बैक सिंगर कह कर हम वाक़ई एक बड़ी भूल करते हैं.दर असल वह महज़ एक आवाज़ नहीं;गायकी की पूरी रिवायत थे.सोचिये थे तो सही साठ साल से सुनी जा रही ये आवाज़ न जाने किस किस मेयार से गुज़री है. पंजाब के एक

अलविदा इश्मित...

स्टार प्लस की संगीत प्रतियोगिता वायस आफ इंडिया के विजेता और पंजाबी के प्रसिद्ध गायक इश्मित सिंह की मंगलवार को डूबने से मौत हो गई, जिसके साथ ही हमने एक उभरती हुई आवाज़ को हमेशा के लिए खो दिया है. उनके साथ बिताये लम्हों को याद कर रहे हैं, आवाज़ के लिए, लुधिआना से रिपोर्टर जगदीप सिंह ईश्वर का मीत हो गया इश्मीत नाम-इश्मीत सिंह जन्म-3 सितंबर 1989 उम्र-19 साल एजूकेशन- बीकॉम, सेकेंड इयर, सीए अधूरी छोड़ी थी। 24 नवंबर 2007 को वॉयस ऑफ इंडिया बना, इसी दिन गुरु नानक देव जी का प्रकाशोत्सव था। शौक-गायकी, कम्पयूटर इंटरनेट, स्पोट्र्स आज मैं ऊपर, आसमां नीचे... यह गाना गाने वाला इश्मीत इतनी जल्दी आसमां के पार चला जाएगा, यकीन नहीं होता। हम जितना भी इस युवा गायक के बारे में सोचते हैं, उतनी ही मीठी यादें ताजा हो जाती हैं। 19 साल का यह फरिश्तों सा गायक जो खुद पानी की तरह था, जो हर हाल में खुद को ढाल लेता था, आखिर पानी की भेंट चढ़ गया। दूसरों के छोटे से दुख से उसकी आंखें छलक आती थीं। आज वह अपने चाहने वालों की आखों में ढेरों आंसू छोड़ गया। सफर जिंदगी का धर्म को समर्पित और एक कर्मठ परिवार में जन्मा इश्मीत बचपन

तेज़ बारिश में कबड्डी खेलना अच्छा लगता है ...

दिल्ली के अनुरूप कुकरेजा हैं, आवाज़ पर इस हफ्ते का उभरता सितारा. इस बेहद प्रतिभाशाली संगीतकार की ताज़ा स्वरबद्ध ग़ज़ल " तेरे चेहरे पे " बीते शुक्रवार आवाज़ पर आयी और बहुत अधिक सराही गयी. ग़ज़लों को धुन में पिरोना इनका जनून है, और संगीत को ये अपना जीवन समर्पित करना चाहते हैं. फरीदा खानम, मुन्नी बेगम और जगजीत सिंह इन्हे बेहद पसंद हैं, अपने भाई निशांत अक्षर, जो ख़ुद एक उभरते हुए ग़ज़ल गायक हैं, के साथ मिलकर एक एल्बम भी कर चुके हैं. संगीत के आलावा अनुरूप को दोस्तों के साथ घूमना, बेड़मिन्टन, लॉन टेनिस, बास्केट बोंल और क्रिकेट खेलना अच्छा लगता है, मगर सबसे ज्यादा भाता है, तेज़ बारिश ( जो हालाँकि दिल्ली में कम ही नसीब होती है ) में कबड्डी खेलना. जिंदगी को अनुरूप कुछ इन शब्दों में बयां करते हैं - Life always creates new and BIG troubles through which i pass learning new and BIGGER things. Even A failure is a success if analyzed from the other side of it. हमने अनुरूप से गुजारिश की, कि वो हिंद युग्म के साथ उनके पहले संगीत अनुभव के बारे में, यूनि कोड का प्रयोग कर हिन्दी में लिखें, तो उन्होंने

चिड़िया रानी

मीनाक्षी धन्वंतरि की आवाज़ में सुषमा गर्ग की बाल-कविता 'गुड़िया रानी' आज कई महीनों के बाद मीनू आंटी बच्चों के लिए एक कविता पॉडकास्ट लेकर आई हैं। मीनू आंटी ने अब से नियमित पॉडकास्ट भेजने का वादा किया है। सुनकर ज़रूर बतायें कि कैसी लगी? नीचे ले प्लेयर से सुनें. (प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले' पर क्लिक करें।) यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंकों से डाऊनलोड कर लें (ऑडियो फ़ाइल तीन अलग-अलग फ़ॉरमेट में है, अपनी सुविधानुसार कोई एक फ़ॉरमेट चुनें) VBR MP3 64Kbps MP3 Ogg Vorbis सभी बाल-रचनाएँ सुनने के लिए क्लिक करें। # Baal-Kavita 'Chidiya Rani' of Shushma Garg, # Voice- Meenakshi Dhanvantri 'Meenu'

पहला सुर के गीतों को अपना कॉलर ट्यून बनायें

इंटरनेट के माध्यम से बने पहले संगीतबद्ध एल्बम 'पहला सुर' के गीतों को अपना कॉलर ट्यून बनायें यह बहुत खुशी की बात है कि हिन्द-युग्म के पहले एल्बम 'पहला सुर' के गीतों/ग़ज़लों को आप अपना कॉलर ट्यून बना सकते हैं। अभी यह सुविधा वोडाफोन के साथ है। जल्द ही यह सुविधा हम अन्य मोबाइल नेटवर्क उपभोक्ताओं को भी देंगे। हिन्दी ब्लॉगिंग के लिए भी यह एक सफलता ही है कि ब्लॉगिंग के माध्यम से एक एल्बम बना और वो इतनी जगह, इतनी बार सुना गया और सराहा गया। Friends, We are very happy to announce that the tracks of Hind-Yugm 's very first album of 'Pehla Sur' that was made through internet jamming, are uploaded at Vodafone... You can set those as your caller tune.. CODE SONG_NAME ALBUM_NAME 10600300 Baat Yeh Kya Hai Jo Pehla Sur 10600301 In Dinon Pehla Sur 10600302 Jhalak Pehla Sur 10600303 Mujhe Dard De Pehla Sur 10600304 Sammohan Pehla Sur 10600305 Subah Jeeta Hun Pehla Sur 10600306 Subah Ki Taazgi Pehla Sur 10600307 Tu Hal Dil Ke Paas Pehla Sur 10600308 Wo Narm Si Pehla Sur 1060

पॉडकास्ट कवि सम्मेलन का आमंत्रण अंक

दोस्तो, जैसाकि हमने वादा किया था कि महीने के अंतिम रविवार को पॉडकास्ट सम्मेलन का प्रसारण करेंगे। इंटरनेट की गति हर एक प्रयोक्ता के पास अलग-अलग है, इसलिए हम एक समान गुणवत्ता नहीं तो रख पाये हैं, मगर फिर भी एक सम्मिलित प्रयास किया है। आशा है आप सभी को पसंद आयेगा। नीचे के प्लेयर से सुनें। प्रतिभागी कवि रंजना भाटिया, दिव्य प्रकाश दुबे, मनुज मेहता, नरेश राणा, शोभा महेन्द्रू, शिवानी सिंह, अनिता कुमार, अभिषेक पाटनी संचालक- हरिहर झा उप-संचालक- शैलेश भारतवासी हमें हरिहर झा, ब्रह्मनाथ त्रिपाठी अंजान और पीयूष पण्डया की भी रिकॉर्डिंग प्राप्त हुई थी, लेकिन उन्हें आसानी से सुन पाना सम्भव नहीं था। इसलिए हम उनका इस्तेमाल नहीं कर सके। यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंकों से डाऊनलोड कर लें (ऑडियो फ़ाइल तीन अलग-अलग फ़ॉरमेट में है, अपनी सुविधानुसार कोई एक फ़ॉरमेट चुनें) VBR MP3 64Kbps MP3 Ogg Vorbis हम सभी कवियों से यह गुज़ारिश करते हैं कि अपनी आवाज़ में अपनी कविता/कविताएँ रिकॉर्ड करके podcast.hindyugm@gmail.com पर भेजें। आपकी ऑनलाइन न रहने की स्थिति में भी हम आपकी आवाज़ का समु

तेरे चेहरे पे, एक खामोशी नज़र आती है...

आवाज़ पर संगीत के दूसरे सत्र के, चौथे गीत का विश्व व्यापी उदघाटन आज. संगीत प्रेमियो, इस शुक्रवार, बारी है एक और नए गीत की, और एक बार फ़िर संगीत पटल पर दस्तक दे रहे हैं एक और युवा संगीतकार अनुरूप , जो अपने साथ लेकर आए हैं, ग़ज़ल-गायन में तेज़ी से अपनी उपस्थिति दर्ज कराती एक आवाज़ निशांत अक्षर . ग़ज़लकार है युग्म के छायाचित्रकार कवि मनुज मेहता . " पहला सुर " की दो ग़ज़लों के कलमकार, निखिल आनंद गिरि का आल इंडिया रेडियो पर साक्षात्कार सुनकर, अनुरूप ने युग्म से जुड़ने की इच्छा जताई और शुरू हुआ संगीत का एक नया सिलसिला. मनुज के बोल और निशांत से स्वर मिलें तो बनी, नए सत्र की यह पहली ग़ज़ल -"तेरे चेहरे पे". तो दोस्तो, आनंद लीजिये इस ताजातरीन प्रस्तुति का, और अपनी मूल्यवान टिप्पणियों से इस नई टीम का मार्गदर्शन / प्रोत्साहन करें. ग़ज़ल को सुनने के लिए नीचे के प्लेयर पर क्लिक करें - Hind Yugm, once again proudly present another, very young ( just 18 yrs old ) and talented composer, Anuroop from New Delhi, for whom composing ghazal is just natural, this ghazal here has been made keepin

सीखिए गायकी के गुर

गाना आए या न आए,गाना चाहिए...जनाब बाथरूम सिंगिंग छोडिये, और महफिलों की जान बनिए, आवाज़ पर संजय पटेल लेकर आए हैं, नए गायकारों के लिए मशहूर संगीतकार कुलदीप सिंह के सुझाये कुछ नायाब टिप्स... दोस्तो, एक संगीत प्रतियोगिता के संचालन के दौरान, मैंने बतौर निर्णायक उपस्थित, जाने माने संगीतकार कुलदीप सिंह (फ़िल्म साथ-साथ और अंकुश से मशहूर), जिन पर ग़ज़ल गायक जगजीत सिंह को पहली बार पार्श्व गायन में उतारने का श्रेय भी है, से जानना चाहा कुछ ऐसे मशवरे, जो उभरते हुए नए गायकों, विशेषकर जो सुगम संगीत (गीत, ग़ज़ल,और भजन आदि ) गा रहे हैं या फ़िर इस क्षेत्र में अपनी किस्मत आजमाना चाहते हैं. कुलदीप जी ने जो बातें बतायीं वो आपके साथ बाँट रहा हूँ, एक बार फ़िर "आवाज़" के मध्यम से, तो गायक दोस्तो, नोट कर लीजिये कुछ अनमोल टिप्स : - ज़्यादातर बाल कलाकार अपने गुरू का रटवाया हुआ गाते हैं.गुरूजनों का दायित्व है कि वे इस बात का ख़ास ख़याल रखें कि क्या जो बच्चे को सिखाया जा रहा है, वह उसकी उम्र पर फ़बता है. - कविता/शायरी की समझ सबसे बड़ी चीज़ है.जब गा रहे हैं ' रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिये आ’ तो ये जानना ज़र

" मैं निरंतर प्रयत्नशील हूँ, अभी बहुत कुछ सीखना है....", सुभोजित को है अपने संगीत पर विश्वास, आवाज़ पर इस हफ्ते का सितारा.

आवाज़ पर इस हफ्ते के हमारे सितारे हैं, मात्र १६ साल के एक बेहद प्रतिभाशाली संगीतकार - सुभोजित , जिनका पहला स्वरबद्ध किया गीत " आवारा दिल " बीते शुक्रवार आवाज़ पर ओपन हुआ और अत्याधिक सराहा गया. दमदम कैंट, कोलकत्ता के निवासी सुभोजित, ११ वीं कक्षा के छात्र हैं, और संगीत को ही अपनी जिंदगी, अपना कैरियर बनाना चाहते हैं। ९ साल की उम्र से ही सुभोजित ने पियानो से खेलना शुरू कर दिया था, तीसरी कक्षा में थे जब पहली बार सुरों को पिरोकर एक धुन बनायी, धुन तो बचकानी थी, पर जो धुन उसके बाद दिलो-दिमाग पर सवार हुई, वो कभी नही उतारी। मात्र १३ साल की उम्र थी, जब पहली "full fledge composition" बनायी, और तभी से सुभोजित ने यह जान लिया और मान लिया, कि वो संगीत ही है, जिसके लिए उनका जन्म हुआ है. तब से पढ़ाई के बाद जो भी समय उन्हें मिलता है, समर्पित कर देते हैं वो - अपने संगीत को। मोजार्ट, बीथोवन, यानी, और ऐ.आर.रहमान खूब सुनते हैं ये, और संगीत पर लिखी किताबें पढ़ने का शौक रखते हैं। शास्त्रीय संगीत को अपना आधार मानने वाले सुभोजित, पिछले दो सालों से हिन्दुस्तानी गायन में दीक्षा ले रहे हैं। माता-पि

झूमो रे, दरवेश...( भाग १ ), सूफी संगीत परम्परा पर एक विशेष श्रृंखला, अशोक पाण्डे की कलम से

सूफी संगीत यानी, स्वरलहरियों पर तैरकर जाना और ईश्वर रुपी समुंदर में विलीन हो जाना, सूफी संगीत यानी, "मै" का खो जाना और "तू" हो जाना, सदियों से रूह को सकून देते, सूफी संगीत पर "आवाज़" के संगीत विशेषज्ञ, और वरिष्ट ब्लॉगर, अशोक पाण्डे लेकर आए हैं, एक विशेष श्रृंखला, जिसका हर अंक हमें यकीं है, हमारे संगीत प्रेमियों के लिए, एक अनमोल धरोहर साबित होगा. प्रस्तुत है, इस श्रृंखला की पहली कड़ी आज, अशोक पाण्डे की कलम से..... सूफ़ीवाद के प्रवर्तकों में अग्रणी गिने जाने वाले तेरहवीं सदी के महान फ़ारसी कवि जलालुद्दीन रूमी एक जगह लिखते हैं: " मैंने चुपचाप आहें भरीं ताकि आने वाली कई सदियों तक दुनिया में मेरी 'हाय' प्रतिध्वनित होती रहे " विशेषज्ञों ने सूफ़ीवाद को परिभाषित करते हुए उसे एक ऐसा विज्ञान बताया है जिसका उद्देश्य हृदय का परिष्कार करते हुए उसे ईश्वर के अलावा हर दूसरी चीज़ से विरत करना होता है. एक दूसरी परिभाषा के अनुसार सूफ़ीवाद वह विज्ञान है जिसके माध्यम से हम सीख सकते हैं कि किस तरह ईश्वर की उपस्थिति में जीवन बिताते हुए अपने आन्तरिक व्यक्तित्व की अशुद

कोलकत्ता से उड़ता उड़ता आया " आवारा दिल " - दूसरे सत्र के, तीसरे नए गीत का, विश्व व्यापी उदघाटन आज

इस शुक्रवार आवाज़ पर हैं, १६ वर्षीय युवा संगीतकार. कोलकत्ता के सुभोजेत का, स्वरबद्ध किया गीत " आवारा दिल ", यह गीत भी बिल्कुल वैसे ही बना है, जैसे अब तक, युग्म के अधिकतर गीत बने हैं, अर्थात अलग अलग, तीन शहरों में बैठे गीतकार, संगीतकार और गायक ने, व्यक्तिगत रूप से बिना मिले, इन्टरनेट के माध्यम से टीम बना कर मुक्कमल किया है, यह गीत भी. यहाँ कोलकत्ता के सुभोजेत को साथ मिला, दिल्ली के गीतकार सजीव सारथी का, और नागपुर के गायक, सुबोध साठे का. सजीव का युग्म के लिए यह आठवां सोलो गीत है, और सुबोध ने यहाँ चौथी बार अपनी गायकी का जौहर दिखाया है. अपना पहला गीत सुभोजेत ने, उन आवारा क़दमों को समर्पित किया हैं, जो जीवन नाम के सफर में, हर पल को भरपूर जीते हैं, सुख-दुःख, धूप-छांव, हर मुकाम से हँस कर गुजरते हैं, और जहाँ जाते हैं बस खुशियाँ बाँटते हैं. तो सुनिए मस्ती भरा, यह गीत, और अपनी बेबाक समीक्षा से इस टीम का मार्गदर्शन करें. "आवारा दिल" को सुनने के लिए नीचे के प्लेयर पर क्लिक करें. This 16 years old composer, from Dumdum Cantt, Kolkatta, is the youngest of the bunch we have, Subh

"बटाटा वड़ा...ये समुन्दर...संगीत...तुम्हे इन छोटी छोटी चीज़ों में कितनी खुशी मिलती है..."

आवाज़ पर आज दिन है - Music video of the month का, हमारी टीम आपके लिए चुन कर लाएगी -एक गीत जो सुनने में तो कर्णप्रिय हो ही, साथ ही उसका विडियो भी एक शानदार प्रस्तुति हो, यानि कि ऐसा गीत जो पांचों इन्द्रियों को संतृप्त करें, हमारी टीम की पसंद आपको किस हद तक पसंद आएगी, ये तो आपकी टिप्पणियां ही हमें बतायेंगीं. आज हम जिस गीत का विडियो लेकर उपस्थित हैं, वो गीत है फ़िल्म "सत्या" का, सत्या को राम गोपाल वर्मा , एक Hard Core Realistic फ़िल्म बनाना चाहते थे, तो जाहिर है, गीत संगीत के लिए, उसमें कोई स्थान नही था, पर जब फ़िल्म बन कर तैयार हुई, तो निर्माता जिद करने लेगे फ़िल्म में गीत डाले जायें ताकि फ़िल्म की लम्बाई बढ़े और Audio प्रचार भी मिल सके, अन्तता रामू जी को अपनी जिद छोडनी पड़ी, उन दिनों माचिस के गीतों से हिट हुई जोड़ी, विशाल भारद्वाज और गुलज़ार , को चुना गया इस काम के लिए, पटकथा में परिस्थियाँ निकाली गयीं और आनन फानन में ५ गीत रिकॉर्ड हुए और फिल्माए गए, फ़िल्म बेहद कामियाब रही, और संगीत ने लोगों के दिलों में अपनी खास जगह बनाई, " सपने में मिलती है " और " गोली मार भेजे

लता मंगेशकर को अपना रोल मॉडल मानती हैं, गायिका -मानसी पिम्पले, आवाज़ पर इस हफ्ते का उभरता सितारा

आवाज़ पर इस हफ्ते की हमारी "फीचर्ड आर्टिस्ट" हैं - मानसी पिम्पले, हिंद युग्म पर अपने पहले गीत " बढ़े चलो " से चर्चा में आयीं मानसी रमेश पिम्पले , मूल रूप से महाराष्ट्र से हैं, और इन्हे हिंद युग्म से जोड़ने का श्रेय जाता है, युग्म की बेहद सक्रिय कवयित्री सुनीता यादव को. मानसी इन्हीं की शिष्या थीं कभी, और तभी से सुनीता ने इनके हुनर को परख लिया था. मानसी ने अभी-अभी ही अपनी बारहवीं की पढ़ाई पूरी की है, और अब अपने कैरियर से जुड़ी दिशा की तरफ़ अग्रसर है. संगीत को अपना जनून मानने वाली मानसी, लता जी को अपना रोल मॉडल मानती हैं, तथा आज के दौर के, श्रेया घोषाल और शान इनके सबसे पसंदीदा गायिका/गायक हैं. Zee tv के कार्यक्रम Hero Honda सा रे गा मा पा, के लिए भी मानसी का चुनाव हुआ था,जहाँ हिमेश रेशमिया भी बतौर जज़ मौजूद थे, पर नियति ने शायद पहले ही, उनकी कला को दुनिया तक पहुँचने का माध्यम, हिंद युग्म को चुन लिया था. चित्रकला और टेबल टेनिस का भी शौक रखने वाली मानसी, युग्म को एक शानदार प्लेटफोर्म मानती हैं, नए कलाकारों के लिए. जब हमने उनसे बात की तो वो अपने पहले गीत को मिली आपार सराहना

"नैना बरसे रिमझिम रिमझिम" - संजय पटेल ने ताज़ा किया एक मार्मिक संस्मरण, संगीत के महान फनकार मदन मोहन को आवाज़ की श्रद्दांजलि

Mangeshkar christened him 'The Emperor Of Ghazals'. She should know because it is in her voice that Madan Mohan created all those masterpieces that set an impossibly high standard for ghazals in films. The irony of the fact is that Madan Mohan couldn't combine class and mass appeal the way an S.D.Burman or Shanker-Jaikishan could. He composed the only way he knew to - with great respect for each of his tunes. दोस्तो, आज मदन मोहन जी की ३३ वीं पुन्यतिथि है, इस अवसर पर उन्हें याद कर रहे हैं आवाज़ के पारखी संजय पटेल , जानिए उन्हीं की जुबानी ये मार्मिक संस्मरण, जो जुडा है एक अमर गीत " नैना बरसे " से.... मदन मोहन के गीत नैना बरसे रिमझिम रिमझिम से जुड़ा एक मार्मिक संस्मरण. - संजय पटेल जब हमारे मन में संगीतकार मदन मोहन का स्मरण आता है तब स्वतः ही यह बात स्थापित हो जाती है कि हम उस सुरीले दौर की बात कर रहे हैं जब संगीत में शोर कम और माधुर्य अधिक हुआ करता था। इसका मतलब ये भी नहीं कि वैसा दौर बाद में नहीं आया लेकिन यह निर्विवाद है कि मदन मोहन की बलन का संगीतकार परिदृश्य

आज के हिंद के युवा का, नया मन्त्र है - " बढ़े चलो ", WORLD WIDE OPENING OF THE SONG # 02 "BADHE CHALO"

जुलाई माह का दूसरा शुक्रवार, और हम लेकर हाज़िर हैं सत्र का दूसरा गीत. पिछले सप्ताह आपने सुना, युग्म के साथ सबसे नए जुड़े संगीतकार निखिल वर्गीस का गीत " संगीत दिलों का उत्सव है ", और आज उसके ठीक विपरीत, हम लाये हैं युग्म के सबसे वरिष्ठ संगीतकार ऋषि एस का स्वरबद्ध किया, नया गीत, अब तक ऋषि, युग्म को अपने तीन बेहद खूबसूरत गीतों से नवाज़ चुके हैं, पर उनका यह गीत उन सब गीतों से कई मायनों में अलग है, मूड, रंग और वाद्य-संयोजन के आलावा इसमें, उन्हें पहले से कहीं अधिक लोगों की टीम के साथ काम करना पड़ा, तीन गीतकारों, और दो गायकों के साथ समन्वय बिठाने के साथ साथ उन्होंने इस गीत में बतौर गायक अपनी आवाज़ भी दी है, शायद तभी इस गीत को मुक्कमल होने में लगभग ६ महीने का समय लगा है. गीत का मूल उद्देश्य, हिंद युग्म की विस्तृत सोच को आज के युवा वर्ग से जोड़ कर उन्हें एक नया मन्त्र देने का है - "बढ़े चलो" के रूप में. गीत के दोनों अंतरे युग्म के स्थायी कवि अलोक शंकर द्वारा लिखी एक कविता, जिसे युग्म का काव्यात्मक परिचय भी माना जाता है , से लिए गए हैं. ”बढ़े चलो” का नारा कवि अवनीश गौतम ने दिया

यादों के बदल छाए, उमड़ घुमड़ घिर आए....

दोस्तो, हमें यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही है, की हिंद युग्म के संगीत-सफर के सबसे पहले गायक सुबोध साठे (नागपुर) ने अपनी वेब साईट http://www.subodhsathe.com/ पर अपनी पहली मराठी एल्बम " मेघा दातले " का भव्य विमोचन किया है, जहाँ से आप इनके गीतों को डाउनलोड कर सकते हैं, साथ ही उन्होंने इसी एल्बम के एक गीत "ती जताना" का एक विडियो भी बनाया है जिसे आप यहाँ भी देख सकते हैं - हमने की इसी बाबत सुबोध से बातचीत की, पेश है कुछ अंश - Hind Yugm - Hi Subodh, finally a full marathi album, tell us what this "megha datle" is all about, the theme behind the album ? 'पहला सुर' में सुबोध के गीत सुबह की ताज़गी वो नर्म सी झलक Subodh - Yeah, finally! After starting all my compositions in Hindi, I thought I should do something in Marathi as well and started searching for meaningful poems. I found very tallented people through orkut who penned these songs for me (some of them on demand and some were already written) Lyricists are..Tushar Joshi, Renuka Khatavkar, Arun Nan

कहाँ गए संगीत के सुर! मर गई क्या मेलोडी ? जवाब देंगे मनीष कुमार

Most of the time people Criticized today's music saying that it has nothing worth listening comparing to the music that created by the old masters in their time, while the composer of this generation claimed that they make music for the youth and deliver what they like, but seriously do we need any comparsion like that ? music can ever lost its sweetness or its melody ? Well, who better than our music expert Manish Kumar can answer this question, so guys over to manish and read what he wants to comment on this issue समय समय पर जब भी आज के संगीत परिदृश्य की बात उठती है, इस तरह के प्रश्न उठते हैं और उठते रहेंगे। पर मेरा इस बात पर अटूट विश्वास है कि भारत जैसे देश में संगीत की लय ना कभी मरी थी ना कभी मरेगी। समय के साथ साथ हमारे फिल्म संगीत में बदलाव जरूर आया है। ५० के दशक के बाद से इसमें कई अच्छे-बुरे उतार-चढ़ाव आये हैं । अक्सर लोग ये कहते हैं कि आज के संगीत में कुछ भी सुनने लायक नहीं है। आज का संगीतकारों में मेलोडी की समझ ही नहीं है। पर मुझे इस तरह के वक्तव्य न्यायोचित नहीं लगते। इससे