श्रोताओं की सलाहों पर ध्यान देते हुए, बच्चो, इस बार मीनू आंटी ने बिलकुल नये अंदाज़ में सीमा सचदेव की कविता 'परियों की शहज़ादी' को रिकार्ड किया है। अब वो कितनी सफल हुई हैं, यह तो आपलोग ही बतायेंगे।
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Comments
sarvpratham to Dhanayvaad ,meri kavita lene ke liye ,aur sach me jo kalpana maine ki thi use aapne apni aavaaz dekar poora insaaf kiya hai .kavita ka jo lay ,haav-bhaav aur shabdo ki komlata aur utaar-chaadav bas ek jagah ko chod kar bahut sahi nibhaaya hai ,aur haa jis thahraav se aapne kavita parstut ki ,usase bachcho ko samajhane aur sunane me maja aata hai....seema
करत करत अभ्यास के , मोहक होय आवाज़.. यही सोचकर बच्चों की कविताएँ पढ़ रही हूँ कि धीरे धीरे कविता पाठ में सुर और स्वर सध ही जाएँगे. शैलेश जी ने बच्चों से प्यार देखकर उनके मोहपाश में बाँध दिया है तो पीछे हटने का सोच भी नहीं सकते.
सीमा जी व मीनू जी को एक बार पुनः बहुत बहुत बधाई
पहले से तो बहुत बेहतर हो गया है। मुझे कहीं भी तेज़ी नहीं मिली। और हर एक शब्द सही सुनाई दिया। एक बात और हो सकती है यदि आपको सही लगे तो। यदि कुछ पंक्तियाँ दोहराई जायें तो बच्चों को याद भी हो जायेंगी। ऐसा नहीं कि हर लाइन दोहराई जाये क्योंकि उससे कविता खींची हुई सी लग सकती है। किन्तु कुछ में तो ऐसा किया ही जा सकता है।
आप बहुत अच्छा कार्य कर रहीं हैं। कृपया ऐसे ही करते रहिये ताकि भविष्य के लिये बच्चों की कविताओं का सागर तैयार हो सके।
धन्यवाद
आलोक सिंह "साहील"
badhayee.