हिन्द-युग्म की टीम विश्व पुस्तक मेला २००८ से मधुरतम समय निकाले तो शायद अभिनव शुक्ल से जुड़ी बातें उनमें से एक होंगी। मेले के पहले ही दिन से उनका स्टैंड पर आना, हिन्द-युग्म के वाहकों से इनके हाल-चाल लेना, नाश्ते-पानी का प्रबंध करके जाना आदि भावविभोर कर देते थे। कई कार्यकर्ता तो इसलिए हैरान थे कि उन्हें यह ही नहीं पता चल पाता था कि भला ये महानुभाव कौन हैं? अभिनव शुक्ल जी इतनी आत्मीयता से मिलते थे कि किसी की भी यह पूछने की हिम्मत नहीं होती थी कि भाईसाहब आपका नाम क्या है? अभिनव जी बहुत कम ही समय के लिए हिन्द-युग्म के स्टैंड पर आते थे मगर पूरे माहौल को खुशनुमा कर जाते थे।
मेले के समापन से एक दिन पहले स्टैंड को बंद करने के वक़्त इन्होंने वहाँ उपस्थित सभी साथियों का इंटरव्यू लिया और काव्य-पाठ रिकार्ड किया ताकि रेडियो सलाम नमस्ते के श्रोताओं को सुनवाया जा सके।
आप भी सुनिए रंजना भाटिया 'रंजू', निखिल आनंद गिरि, सुनीता 'शानू' और मनीष वंदेमातरम् की बातें और काव्यपाठ-
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अभिनव जी ने शैलेश भारतवासी के भी विचार जानें। पूरी बातचीत सुनें। यह मेरेकविमित्र से हिन्द-युग्म होने की कहानी है।
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(Interview of Ranjana Bhatia 'Ranju', Nikhil Anand Giri, Sunita Chotia 'Shanoo', Manish Vandemataram and Shailesh Bharatwasi for Radio Salaam Namaste)
मेले के समापन से एक दिन पहले स्टैंड को बंद करने के वक़्त इन्होंने वहाँ उपस्थित सभी साथियों का इंटरव्यू लिया और काव्य-पाठ रिकार्ड किया ताकि रेडियो सलाम नमस्ते के श्रोताओं को सुनवाया जा सके।
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Comments
आप सबकी आवाज़े सुनकर हमें अपनी कविता 'आवाज़' याद आ गई. आप भी पढिए...
http://meenakshi-eenu.blogspot.com/2007/09/blog-post_1220.html
सच कहूँ तो मुझे ख़ुद नहीं पता था कि मुख्य रूप से हिंद युग्म की आधार शिला रखने वाला कौन है.आज इस interview के जरिये यह मुझे और औरों को भी पता चल गया होगा.
हिंद युग्म का सफर यहाँ तक आसान नहीं था यह तो मालूम चल ही गया.साडी बात सुन कर यह समझ में आता है कि शैलेश जी की दूरदर्शिता और अच्छी managing abilities का ही कमाल है कि आज हिंद युग्म का नाम है.
हिंद युग्म के सभी वाहकों को भी बहुत बहुत बधाई कि उनकी सफलता की कहानी आज सीमाओं में बंधी नहीं है.
हिंद युग्म को शुभकामनाएं और इस प्रस्तुति को सुनाने के लिए धन्यवाद.
अभिनव शुक्ल जी को भी बहुत धन्यवाद.
^^पूजा अनिल