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"तू मेरा कौन लागे?" क्या सम्बन्ध है इस गीत का किशोर कुमार से?

एक गीत सौ कहानियाँ - 85   ' तू मेरा कौन लागे... '   रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। दोस्तों, हम रोज़ाना रेडियो पर, टीवी पर, कम्प्यूटर पर, और न जाने कहाँ-कहाँ, जाने कितने ही गीत सुनते हैं, और गुनगुनाते हैं। ये फ़िल्मी नग़में हमारे साथी हैं सुख-दुख के, त्योहारों के, शादी और अन्य अवसरों के, जो हमारे जीवन से कुछ ऐसे जुड़े हैं कि इनके बिना हमारी ज़िन्दगी बड़ी ही सूनी और बेरंग होती। पर ऐसे कितने गीत होंगे जिनके बनने की कहानियों से, उनसे जुड़े दिलचस्प क़िस्सों से आप अवगत होंगे? बहुत कम, है न? कुछ जाने-पहचाने, और कुछ कमसुने फ़िल्मी गीतों की रचना प्रक्रिया, उनसे जुड़ी दिलचस्प बातें, और कभी-कभी तो आश्चर्य में डाल देने वाले तथ्यों की जानकारियों को समेटता है 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' का यह स्तम्भ 'एक गीत सौ कहानियाँ'। इसकी 85-वीं कड़ी में आज जानिए 1989 की फ़िल्म ’बटवारा’ के लोकप्रिय गीत "तू मेरा कौन लागे..." के बारे में जिस

मेरे जीवन साथी, प्यार किये जा.....एक अनूठा गीत जिसे लिखना वाकई बेहद मुश्किल रहा होगा आनंद बख्शी साहब के लिए भी

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 658/2011/98 लि फ़्ट के अंदर का सीन है। नायक और नायिका अंदर हैं। बीच राह पर ही नायक लिफ़्ट की बटन दबा कर लिफ़्ट रोक देता है। नायिका कहती है कि उसे हिंदी की कक्षा में जाना है, हिंदी की क्लास है। लेकिन नायक कहता है कि हिंदी की क्लास वो ख़ुद लेगा और वो ही उसे हिंदी सिखायेगा। लेकिन मज़े की बात तो यह है कि नायक दक्षिण भारतीय है जिसे हिंदी बिल्कुल भी नहीं आती। तो साहब यह था सीन और इसमे एक गीत लिखना था गीतकार आनंद बख्शी साहब को। अब आप ही बताइए कि इस सिचुएशन पर किस तरह का गीत लिखे कोई? नायक को हिंदी नही आती और उसे हिंदी में ही गीत गाना है। इस मज़ेदार सिचुएशन पर बख्शी साहब नें एक कमाल का गाना लिखा है जिसे सुनते हुए आप भी मुस्कुरा उठेंगे, और गीत में नायिका तो हँस हँस कर लोट पोट हो रही हैं। 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के दोस्तों, आज 'गान और मुस्कान' की आठवीं कड़ी में प्रस्तुत है कमाल हासन और रति अग्निहोत्री पर फ़िल्माये १९८१ की फ़िल्म 'एक दूजे के लिए' से एस. पी. बालसुब्रह्मण्यम और अनुराधा पौडवाल का गाया "मेरे जीवन साथी प्यार किये जा"। जी हाँ, बक्शी साहब नें केव

भूली बिसरी एक कहानी....इच्छाधारी नागिन का बदला भी बना संगीत से सना

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 580/2010/280 न मस्कार! दोस्तों, आज हम आ पहुँचे हैं 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की इन दिनों चल रही लघु शृंखला 'मानो या ना मानो' की अंतिम कड़ी पर। अब तक इस शृंखला में हमने भूत-प्रेत, आत्मा और पुनर्जनम की बातें की, जो थोड़े सीरियस भी थे, थोड़े मज़ाकिया भी, थोड़े वैज्ञानिक भी थे, और थोड़े बकवास भी। आज का अंक हम समर्पित करते हैं एक और रहस्यमय विषय पर, जिसे विज्ञान में 'Cryptozoology' कहा जाता है, यानी कि ऐसा जीव विज्ञान जो ऐसे जीवों पर शोध करता है जिनके वजूद को लेकर भी संशय है। 'क्रिप्टिड' उस जीव को कहते हैं जिसका अस्तित्व अभी प्रमाणित नहीं हुआ है। सदियों से बहुत सारे क्रिप्टिड्स के देखे जाने की कहानियाँ मशहूर है, जिनकी अभी तक वैज्ञानिक प्रामाणिकता नहीं मिल पायी है। तीन जो सब से प्रचलित क्रिप्टिड्स हैं, उनके नाम हैं बिगफ़ूट (Bigfoot), लोचनेस मॊन्स्टर (Lochness Monster), और वीयरवूल्व्स (Werewolves)। बिगफ़ूट को पहली बार १९-वीं शताब्दी में देखे जाने की बात सुनी जाती है। इस जीव की उच्चता और चौड़ाई ८ फ़ीट की होती है और पूरे शरीर पर मिट्टी के रंग वाले

तू मेरा जानूँ है तू मेरा हीरो है.....८० के दशक का एक और सुमधुर युगल गीत

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 560/2010/260 'ओ ल्ड इज़ गोल्ड' के दोस्तों, नमस्कार! देखिए, गुज़रे ज़माने के सुमधुर गीतों को सुनते और गुनगुनाते हुए हम आ पहुँचे हैं इस साल २०१० के 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की अंतिम कड़ी पर। आज ३० दिसंबर, यानी इस साल का आख़िरी 'ओल्ड इज़ गोल्ड'। जैसा कि इन दिनों आप इस स्तंभ में सुन और पढ़ रहे हैं फ़िल्म संगीत के सुनहरे दौर की कुछ सदाबहार युगल गीतों से सजी लघु शृंखला 'एक मैं और एक तू', आज ८० के दशक के ही एक और लैण्डमार्क डुएट के साथ हम समापन कर रहे हैं इस शृंखला का। यह वह गीत है दोस्तों जिसने लता और आशा के बाद की पीढ़ी के पार्श्वगायिकाओं का द्वार खोल दिया था। इस नयी पीढ़ी से हमारा मतलब है अनुराधा पौड़वाल, अल्का याज्ञ्निक, साधना सरगम और कविता कृष्णमूर्ती। आज हम चुन लाये हैं अनुराधा और मनहर उधास की आवाज़ों में १९८३ की फ़िल्म 'हीरो' का गीत "तू मेरा जानू है... मेरी प्रेम कहानी का तू हीरो है"। युं तो इस गीत से पहले भी अनुराधा ने कुछ गीत गाये थे, लेकिन इस गीत ने उन्हें पहली बार अपार सफलता दी जिसके बाद उन्हें पीछे मुड़कर देखने की

ज़िंदगी मेरे घर आना...फ़ाकिर के बोलों पर सुर मिला रहे हैं भूपिन्दर और अनुराधा..संगीत है जयदेव का

महफ़िल-ए-ग़ज़ल #६३ आ ज की महफ़िल में हम हाज़िर हैं शामिख जी की पसंद की अंतिम नज़्म लेकर। इस नज़्म को जिन दो फ़नकारों ने अपनी आवाज़ से मुकम्मल किया है उनमें से एक के बारे में महफ़िल-ए-गज़ल पर अच्छी खासी सामग्री मौजूद है, इसलिए आज हम उनकी बात नहीं करेंगे। हम ज़िक्र करेंगे उस दूसरे फ़नकार या यूँ कहिए फ़नकारा और इस नज़्म के नगमानिगार का, जिनकी बातें अभी तक कम हीं हुई हैं। यह अलग बात है कि हम आज की महफ़िल इन दोनों के सुपूर्द करने जा रहे हैं, लेकिन पहले फ़नकार का नाम बता देना हमारा फ़र्ज़ और जान लेना आपका अधिकार बनता है। तो हाँ, इस नज़्म में जिसने अपनी आवाज़ की मिश्री घोली है, उस फ़नकार का नाम है "भूपिन्दर सिंह"। "आवाज़" पर इनकी आवाज़ न जाने कितनी बार गूँजी है। अब हम बात करते हैं उस फ़नकारा की, जिसने अपनी गायिकी की शुरूआत फिल्म "अभिमान" से की थी जया बच्चन के लिए एक श्लोक गाकर। आगे चलकर १९७६ में उन्हें फिल्म कालिचरण के लिए गाने का मौका मिला। पहला एकल उन्होंने "लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल" के लिए "आपबीती" में गाया। फिर राजेश रोशन के लिए "देश-परद

केरवा जे फरेला घवद से : सुनिए छठ के अवसर पर ये लोक गीत

आज छठ पर्व है। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक श्रृद्धालु डूबते सूरज को अर्घ्य दे चुके होंगे और कल भोर में दूसरा अर्घ्य उगते सूरज को दिया जाएगा। छठ का नाम बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के सबसे पावन पर्वों में शुमार होता है। विश्व में जहाँ कहीं भी इन प्रदेशों के लोग गए हैं वो अपने साथ इसकी परंपराओं को ले कर गए हैं। छठ जिस धार्मिक उत्साह और श्रृद्धा से मनाया जाता है इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि जब तीन चौथाई पुलिसवालों के छुट्टी पर रहते हुए भी बिहार जैसे राज्य में इस दौरान आपराधिक गतिविधियाँ सबसे कम हो जाती हैं। अब छठ की बात हो और छठ के गीतों का जिक्र ना आए ये कैसे हो सकता है। बचपन से मुझे इन गीतों की लय ने खासा प्रभावित किया था। इन गीतों से जुड़ी एक रोचक बात ये है कि ये एक ही लए में गाए जाते हैं और सालों साल जब भी ये दिन आता है मुझे इस लय में छठ के गीतों को गुनगुनाने में बेहद आनंद आता है। यूँ तो शारदा सिन्हा ने छठ के तमाम गीत गा कर काफी प्रसिद्धि प्राप्त की है पर आज जिस छठ गीत की मैं चर्चा कर रहा हूँ उसे मैंने टीवी पर भोजपुरी लोक गीतों की गायिका देवी की आवाज में सुना था और इतने

छठ पर्व और शारदा सिंहा, कविता पौडवाल, अनुराधा पौडवाल, सुनील छैला बिहारी आदि के गाये गीत

भारत पर्व प्रधान देश है। बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में इन दिनों छठ पूजा की धूम है। इस अवसर हम आपके लिए गीत-संगीत से सजा आलेख लेकर आये हैं। छठ गीत की पारम्परिक धुन इतनी मधुर है कि जिसे भोजपुरी बोली समझ में न भी आती हो तो भी गीत सुंदर लगता है। यही कारण है कि इस पारम्परिक धुन का इस्तेमाल सैकड़ों गीतों में हुआ है, जिसपर लिखे बोलों को बहुत से गायक और गायिकाओं ने अपनी आवाज़ दी है। आलेख की शुरूआत पहले हम इसी पारम्परिक धुन पर पद्मश्री शारदा सिंहा द्वारा गाये एक गीत 'ओ दीनानाथ' को सुना कर करना चाहेंगे। पद्मश्री शारदा सिंहा को बिहार की कोकिला भी कहा जाता है। यह मशहूर लोकगायिका विंध्यवासिनी देवी की शिष्या थीं। सुख-समृद्धि और और सूर्य उपासना का पर्व है 'छठ' सूर्य नमन इस वर्ष ४ नवम्बर को मनाई जा रही सूर्य षष्ठी गायत्री साधको के लिए अनुदानों का अक्षय कोष है। गायत्री महामंत्र के अधिष्ठाता भगवन सूर्य प्रत्यक्ष देव हैं। सूर्य देव की आराधना एवं उपासना से शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक शान्ति एवं अध्यात्मिक अनुदान-वरदान की उपलब्धि होती है। सूर्योपासना के लिए निर्धारित तिथि को