Skip to main content

Posts

Showing posts with the label Ashwini Bhide Deshpandey

राग वृन्दावनी सारंग : SWARGOSHTHI – 468 : RAG VRINDAVANI SARANG

स्वरगोष्ठी – 468 में आज काफी थाट के राग – 12 : राग वृन्दावनी सारंग विदुषी अश्विनी भिड़े से वृन्दावनी सारंग की एक बन्दिश और आशा भोसले व मुहम्मद रफी से फिल्मी गीत सुनिए अश्विनी भिड़े देशपाण्डे आशा  भोसले और मुहम्मद रफी “रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला “काफी थाट के राग” की बारहवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। भारतीय संगीत के अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट व्यवस्था है। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र अर्थात कुल बारह स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए इन बारह स्वरों में से कम से कम पाँच का होना आवश्यक होता है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के बारह में से मुख्य सात स्वरों के क्रमानुसार उस समुदाय को थाट कहते हैं, जिससे राग उत्पन्न होते हों। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 था

राग आभोगी कान्हड़ा : SWARGOSHTHI – 465 : RAG ABHOGI KANHADA

स्वरगोष्ठी – 465 में आज काफी थाट के राग – 9 : राग आभोगी कान्हड़ा विदुषी अश्विनी भिड़े से आभोगी कान्हड़ा की बन्दिश और आशा भोसले से फिल्म का एक गीत सुनिए आशा भोसले  अश्विनि भिड़े देशपांडे  “रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला “काफी थाट के राग” की नौवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। भारतीय संगीत के अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट व्यवस्था है। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र अर्थात कुल बारह स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए इन बारह स्वरों में से कम से कम पाँच का होना आवश्यक होता है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के बारह में से मुख्य सात स्वरों के क्रमानुसार उस समुदाय को थाट कहते हैं, जिससे राग उत्पन्न होते हों। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रचलन पण्डित

राग गारा : SWARGOSHTHI – 449 : RAG GARA

स्वरगोष्ठी – 449 में आज नौशाद की जन्मशती पर उनके राग – 5 : राग गारा लच्छू महाराज की अनूठी नृत्य-संरचना देखिए, गारा में पिरोया गीत; “मोहे पनघट पे नन्दलाल छेड़ गयो...” लता मंगेशकर नौशाद ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर हमारी श्रृंखला – “नौशाद की जन्मशती पर उनके राग” की पाँचवीं और समापन कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करता हूँ। इस श्रृंखला में हम भारतीय फिल्म संगीत के शिखर पर विराजमान रहे नौशाद अली के व्यक्तित्व और उनके कृतित्व पर चर्चा करेंगे। श्रृंखला की विभिन्न कड़ियों में हम आपको फिल्म संगीत के माध्यम से रागों की सुगन्ध बिखेरने वाले अप्रतिम संगीतकार नौशाद अली के कुछ राग-आधारित गीत प्रस्तुत करेंगे। 25 दिसम्बर, 1919 को सांगीतिक परम्परा से समृद्ध शहर लखनऊ के कन्धारी बाज़ार में एक साधारण परिवार में नौशाद अली का जन्म हुआ था। इस तिथि के अनुसार बीते 25 दिसम्बर, 2019 को नौशाद का एक सौवाँ जन्मदिन सम्पन्न हुआ है। इस उपलक्ष्य में हम “स्वरगोष्ठी” के दिसम्बर मास के प्रत्येक अंक में नौशाद के कु

राग शुद्ध कल्याण : SWARGOSHTHI – 411 : RAG SUDDHA KALYAN

स्वरगोष्ठी – 411 में आज कल्याण थाट के राग – 9 : राग शुद्धकल्याण विदुषी अश्विनी भिड़े से राग शुद्ध कल्याण का खयाल और इस राग में पिरोया गीत लता मंगेशकर से सुनिए अश्विनी भिड़े देशपाण्डे लता मंगेशकर “रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी लघु श्रृंखला “कल्याण थाट के राग” के नौवें अंक में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। भारतीय संगीत के अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट-व्यवस्था है। भारतीय संगीत में 7 शुद्ध, 4 कोमल और 1 तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 स्वरों में से कम से कम 5 स्वरों का होना आवश्यक है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार 7 मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते हैं। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रचलन पण्डित विष्णु नाराय

राग वृन्दावनी सारंग : SWARGOSHTHI – 397 : RAG VRINDAVANI SARANG

स्वरगोष्ठी – 397 में आज पूर्वांग और उत्तरांग राग – 12 : राग वृन्दावनी सारंग आशा भोसले और रफी से फिल्मी गीत और विदुषी अश्विनी भिड़े से राग वृन्दावनी सारंग सुनिए अश्विनी भिड़े देशपाण्डे आशा भोसले और मोहम्मद रफी ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला “पूर्वांग और उत्तरांग राग” की बारहवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। रागों को पूर्वांग और उत्तरांग में विभाजित करने के लिए सप्तक के सात स्वरों के साथ तार सप्तक के षडज स्वर को मिला कर आठ स्वरों के संयोजन को दो भागों में बाँट दिया जाता है। प्रथम भाग षडज से मध्यम तक पूर्वांग और दूसरे भाग पंचम से तार षडज तक उत्तरांग कहा जाता है। इसी प्रकार जो राग दिन के पहले भाग (पूर्वार्द्ध) अर्थात दिन के 12 बजे से रात्रि के 12 बजे के बीच में गाया-बजाया जाता हो उन्हें पूर्व राग और जो राग दिन के दूसरे भाग (उत्तरार्द्ध) अर्थात रात्रि 12 बजे से दिन के 12 बजे के बीच गाया-बजाया जाता हो उन्हें उत्तर राग कहा जाता है। भारतीय संगीत