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ऑडियो: बर्थ नम्बर तीन (गौतम राजर्षि)

रेडियो प्लेबैक इंडिया के साप्ताहिक स्तम्भ 'बोलती कहानियाँ' के अंतर्गत हम आपको सुनवाते हैं हिन्दी की नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। पिछली बार आपने शीतल माहेश्वरी  की आवाज़ में शिवम खरे की लघुकथा " गरीबी रेखा का कार्ड " का पॉडकास्ट सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं कर्नल गौतम राजर्षि की मर्मस्पर्शी कहानी " बर्थ नम्बर तीन ", शीतल माहेश्वरी  के स्वर में। " बर्थ नम्बर तीन " का कुल प्रसारण समय 11 मिनट 25 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। इस लघुकथा का टेक्स्ट पाल ले इक रोग नादाँ पर उपलब्ध है। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिकों, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। हवा जब किसी की कहानी कहे है नये मौसमों की जुबानी कहे है फ़साना लहर का जुड़ा है ज़मीं से समुन्दर मगर आसमानी कहे है ~  गौतम राजर्षि हर सप्ताह यहीं पर सु

राग मेघ मल्हार : SWARGOSHTHI – 427 : RAG MEGH MALHAR

स्वरगोष्ठी – 427 में आज वर्षा ऋतु के राग – 1 : मेघ मल्हार पण्डित अजय चक्रवर्ती से इस राग में खयाल और खुर्शीद बेगम से फिल्मी गीत सुनिए पण्डित अजय चक्रवर्ती खुर्शीद  बानो "रेडियो प्लेबैक इण्डिया" के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर आज से हमारी नई श्रृंखला – “वर्षा ऋतु के राग” आरम्भ हो रही है। श्रृंखला की पहली कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सभी संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। आपको स्वरों के माध्यम से बादलों की उमड़-घुमड़, बिजली की कड़क और रिमझिम फुहारों में भींगने के लिए आमंत्रित करता हूँ। यह श्रृंखला, वर्षा ऋतु के रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत पर केन्द्रित है। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं पर चर्चा करेंगे। इसके साथ ही सम्बन्धित राग के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी प्रस्तुत करेंगे। भारतीय संगीत के अन्तर्गत मल्हार अंग के सभी राग पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में समर्थ हैं। आम तौर पर इन रागों का गायन-वादन वर्षा ऋतु में अधिक किया ज

राग तिलक कामोद : SWARGOSHTHI – 426 : RAG TILAK KAMOD

स्वरगोष्ठी – 426 में आज खमाज थाट के राग – 7 : राग तिलक कामोद पण्डित पलुस्कर से राग तिलक कामोद में एक खयाल और प्रीति सागर से फिल्मी गीत सुनिए पण्डित  दत्तात्रेय विष्णु पलूस्कर प्रीति  सागर “रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला “खमाज थाट के राग” की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। भारतीय संगीत के अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट-व्यवस्था है। भारतीय संगीत में 7 शुद्ध, 4 कोमल और 1 तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 स्वरों में से कम से कम 5 स्वरों का होना आवश्यक है। संगीत में थाट, रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार 7 मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते हैं। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रचलन पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे