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Ek Mulakaat Zaroori Hai - Season 01- 50 Episodes

Show Name  Ek Mulakaat Zaroori Hai  Total Episodes 50 Season 01  Host - Sajeev Sarathie  रितु पाठक  श्रीराम अय्यर   पंकज सुबीर   रशीद खान   दिग्विजय सिंह परियार  राकेश चतुर्वेदी ओम अनवर सागर संजीवन लाल कुणाल वर्मा आदित्य शर्मा निखिल कामथ मंजीरा गांगुली रितेश शाह वरदान सिंह यतीन्द्र मिश्र विपिन पटवा श्रेया शालीन साकेत सिंह विजय अकेला अज़ीम शिराज़ी संजोय चौधरी अरविन्द तिवारी भारती विश्वनाथन अविषेक मजुमदर शुभा मुदगल अल्ताफ सय्यद अभिजित घोषाल साशा तिरुपति मोनीश रजा अमित खन्ना (पार्ट ०१) अमित खन्ना (पार्ट २) श्रध्दा भिलावे सलीम दीवान सिद्धार्थ बसरूर बबली हक आश्विन भंडारे   आर्व रोहित शर्मा अमानो मनीष मनोज यादव इब्राहीम अश्क हेमा सरदेसाई बिस्वजीत भट्टाचार्जी (बिबो) हर्षवर्धन ओझा रफीक शेख अनुराग गोडबोले रत्न नौटियाल डाक्टर सागर

राम निवास बाँयला की लघुकथा पवित्रता

लोकप्रिय स्तम्भ " बोलती कहानियाँ " के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। इस शृंखला में पिछली बार आपने अनुराग शर्मा के स्वर में प्रसिद्ध लेखक और पत्रकार युगल की लघुकथा  पेट का कछुआ का वाचन सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं  राम निवास बाँयला की लघुकथा पवित्रता जिसे स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। प्रस्तुत अंश का कुल प्रसारण समय 1 मिनट 56 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। इस लघुकथा का गद्य अंतर्राष्ट्रीय द्वैभाषिक पत्रिका सेतु पर उपलब्ध है। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। “प्रस्तुत लघुकथा के लेखक श्री राम निवास बाँयला जिला सीकर, राजस्थान निवासी हैं। उनकी दो पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। वे केंद्रीय विद्यालय में शिक्षक हैं। हर सप्ताह यहीं पर सुनें ए

सायंकालीन राग : SWARGOSHTHI – 305 : EVENING RAGAS

स्वरगोष्ठी – 305 में आज राग और गाने-बजाने का समय – 5 : रात के प्रथम प्रहर के राग राग भूपाली की बन्दिश - ‘जब से तुम संग लागली प्रीत...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर हमारी श्रृंखला- “राग और गाने-बजाने का समय” की पाँचवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। है। उत्तर भारतीय रागदारी संगीत की अनेक विशेषताओं में से एक विशेषता यह भी है कि संगीत के प्रचलित राग परम्परागत रूप से ऋतु प्रधान हैं या प्रहर प्रधान। अर्थात संगीत के प्रायः सभी राग या तो अवसर विशेष या फिर समय विशेष पर ही प्रस्तुत किये जाने की परम्परा है। बसन्त ऋतु में राग बसन्त और बहार तथा वर्षा ऋतु में मल्हार अंग के रागों के गाने-बजाने की परम्परा है। इसी प्रकार अधिकतर रागों को गाने-बजाने की एक निर्धारित समयावधि होती है। उस विशेष समय पर ही राग को सुनने पर आनन्द प्राप्त होता है। भारतीय कालगणना के सिद्धान्तों का प्रतिपादन करने वाले प्राचीन मनीषियों ने दिन और रात के चौबीस घण्टों को आठ प्रहर में बाँटा है। सूर्योदय से लेकर सू