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"पन्द्रह अगस्त की पुण्य तिथि फिर धूम-धाम से आई..." विवादास्पद बोल की वजह से किशोर कुमार का गाया यह गीत कभी जारी नहीं हो सका

कहकशाँ - 16 किशोर कुमार का गाया  दुर्लभ देशभक्ति गीत     "पन्द्रह अगस्त की पुण्य तिथि फिर धूम-धाम से आई..." ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के सभी दोस्तों को हमारा सलाम! दोस्तों, शेर-ओ-शायरी, नज़्मों, नगमों, ग़ज़लों, क़व्वालियों की रवायत सदियों की है। हर दौर में शायरों ने, गुलुकारों ने, क़व्वालों ने इस अदबी रवायत को बरकरार रखने की पूरी कोशिशें की हैं। और यही वजह है कि आज हमारे पास एक बेश-कीमती ख़ज़ाना है इन सुरीले फ़नकारों के फ़न का। यह वह कहकशाँ है जिसके सितारों की चमक कभी फ़ीकी नहीं पड़ती और ता-उम्र इनकी रोशनी इस दुनिया के लोगों के दिल-ओ-दिमाग़ को सुकून पहुँचाती चली आ रही है। पर वक्त की रफ़्तार के साथ बहुत से ऐसे नगीने मिट्टी-तले दब जाते हैं। बेशक़ उनका हक़ बनता है कि हम उन्हें जानें, पहचानें और हमारा भी हक़ बनता है कि हम उन नगीनों से नावाकिफ़ नहीं रहें। बस इसी फ़ायदे के लिए इस ख़ज़ाने में से हम चुन कर लाएँगे आपके लिए कुछ कीमती नगीने हर हफ़्ते और बताएँगे कुछ दिलचस्प बातें इन फ़नकारों के बारे में। तो पेश-ए-ख़िदमत है नगमों, नज़्मों, ग़ज़लों और क़व्वालियों

11 बार जीतने के बाद 'ज़ी सारेगामापा' छोड़ने का निर्णय मेरा व्यक्तिगत था - अभिजित घोषाल :एक मुलाकात ज़रूरी है

एक मुलाकात ज़रूरी है (23) जी सा रे गा मा पा में इतिहास रचने के बाद शंकर एहसान लॉय की तिकड़ी के साथ फ़िल्मी पार्श्वगायन की शुरुआत करने वाले गायक अभिजित घोषाल,अपने खुद के संगीत समूह के साथ मिलकर लगातार कुछ अर्थपूर्ण सार्थक गीतों को रचने में सक्रिय हैं, अभी हाल ही में उन्होंने "मेरी प्यारी गुडिया" गीत के साथ "बेटी बचाओ बेटी पढाओ" अभियान का समर्थन करने की सुन्दर कोशिश की है, मिलिए आज के एपिसोड में इस नायाब गायक से, और जानिए उनके संगीत सफ़र से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से... एक मुलाकात ज़रूरी है इस एपिसोड को आप  यहाँ  से डाउनलोड करके भी सुन सकते हैं, लिंक पर राईट क्लीक करें और सेव एस का विकल्प चुनें 

"घुंघट की आढ़ से दिलबर का...", क्यों दिल के क़रीब है यह गीत अलका याज्ञनिक के

एक गीत सौ कहानियाँ - 88   'घुंघट की आढ़ से दिलबर का...'   रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। दोस्तों, हम रोज़ाना रेडियो पर, टीवी पर, कम्प्यूटर पर, और न जाने कहाँ-कहाँ, जाने कितने ही गीत सुनते हैं, और गुनगुनाते हैं। ये फ़िल्मी नग़में हमारे साथी हैं सुख-दुख के, त्योहारों के, शादी और अन्य अवसरों के, जो हमारे जीवन से कुछ ऐसे जुड़े हैं कि इनके बिना हमारी ज़िन्दगी बड़ी ही सूनी और बेरंग होती। पर ऐसे कितने गीत होंगे जिनके बनने की कहानियों से, उनसे जुड़े दिलचस्प क़िस्सों से आप अवगत होंगे? बहुत कम, है न? कुछ जाने-पहचाने, और कुछ कमसुने फ़िल्मी गीतों की रचना प्रक्रिया, उनसे जुड़ी दिलचस्प बातें, और कभी-कभी तो आश्चर्य में डाल देने वाले तथ्यों की जानकारियों को समेटता है 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' का यह स्तम्भ 'एक गीत सौ कहानियाँ'।  इसकी 88-वीं कड़ी में आज जानिए 1993 की फ़िल्म ’हम हैं राही प्यार के’ के मशहूर गीत "घुंघट की आढ़ से दिलबर का..." के बारे