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लव जिहाद उर्फ़ उदास आँखों वाला लड़का

बोलती कहानियां : एक नया अनुभव - 01  बो लती कहानियां के नए संस्करण में आज प्रस्तुत है पंकज सुबीर की कालजयी रचना "लव जिहाद उर्फ़ उदास आँखों वाला लड़का". प्रमुख स्वर है अनुज श्रीवास्तव का, और संयोजन है संज्ञा टंडन का. सुनिए और महसूस कीजिये इस कहानी के मर्म को, जो बहुत हद तक आज के राजनितिक माहौल की सच्चाई को दर्शाता है. " लड़का बहुत कुछ भूल चुका है। बहुत कुछ। उसके मोबाइल में अब कोई गाने नहीं हैं। न सज्जाद अली, न रामलीला, न आशिक़ी 2। जाने क्या क्या सुनता रहता है अब वो। दिन भर दुकान पर बैठा रहता है। मोटर साइकिल अक्सर दिन दिन भर धूल खाती है। कहीं नहीं जाता। आप जब भी उधर से निकलोगे तो उसे दुकान पर ही बैठा देखोगे। अब उसके गले में काले सफेद चौखाने का गमछा परमानेंट डला रहता है और सिर पर गोल जालीदार टोपी भी। दाढ़ी बढ़ गई है। बढ़ी ही रहती है। " - इसी कहानी से लेखक का परिचय पंकज सुबीर उपन्यास ये वो सहर तो नहीं को भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा वर्ष 2009 का ज्ञानपीठ नवलेखन पुरस्कार । उपन्यास ये वो सहर तो नहीं को इंडिपेंडेंट मीडिया सोसायटी (पाखी पत्रिका) द्वारा वर्ष 2011 क

"रंग वो जिस में रंगी थी राधा, रंगी थी जिसमें मीरा...", होली में आज सराबोर हो जाइए प्रेम-रंग में

कहकशाँ - 5 मन्ना डे, योगेश, श्याम सागर की एक रंगरेज़ रचना "रंग वो जिस में रंगी थी राधा, रंगी थी जिसमें मीरा..." ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के सभी दोस्तों को हमारा सलाम! दोस्तों, शेर-ओ-शायरी, नज़्मों, नगमों, ग़ज़लों, क़व्वालियों की रवायत सदियों की है। हर दौर में शायरों ने, गुलुकारों ने, क़व्वालों ने इस अदबी रवायत को बरकरार रखने की पूरी कोशिशें की हैं। और यही वजह है कि आज हमारे पास एक बेश-कीमती ख़ज़ाना है इन सुरीले फ़नकारों के फ़न का। यह वह कहकशाँ है जिसके सितारों की चमक कभी फ़ीकी नहीं पड़ती और ता-उम्र इनकी रोशनी इस दुनिया के लोगों के दिल-ओ-दिमाग़ को सुकून पहुँचाती चली आ रही है। पर वक्त की रफ़्तार के साथ बहुत से ऐसे नगीने मिट्टी-तले दब जाते हैं। बेशक़ उनका हक़ बनता है कि हम उन्हें जानें, पहचानें और हमारा भी हक़ बनता है कि हम उन नगीनों से नावाकिफ़ नहीं रहें। बस इसी फ़ायदे के लिए इस ख़ज़ाने में से हम चुन कर लाएँगे आपके लिए कुछ कीमती नगीने हर हफ़्ते और बताएँगे कुछ दिलचस्प बातें इन फ़नकारों के बारे में। तो पेश-ए-ख़िदमत है नगमों, नज़्मों, ग़ज़लों और क़व्वाल

होली के रंग रंगा राग काफी

रेडियो प्लेबैक की पूरी टीम अपने पाठकों और श्रोताओं को संप्रेषित कर रही है होली की ढेर सारी मंगल कामनाएँ...रंगों भरे इस त्यौहार में आपके जीवन में भी खुशियों के नए रंग आये यही हमारी प्रार्थना है. हिंदी फिल्मों में राग काफी पर आधारित बहुत से होली गीत बने हैं, आईये आज सुनें हमारे स्तंभकार कृष्णमोहन मिश्रा और आवाज़ की धनी संज्ञा टंडन के साथ इसी राग पर एक चर्चा, जिसमें जाहिर है शामिल है एक गीत होली का भी