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'सिने पहेली' प्रतियोगिता के महाविजेता बने हैं....

और 'सिने पहेली' प्रतियोगिता के महाविजेता हैं... वाह! क्या काँटे की टक्कर रही इस महामुकाबले में प्रकाश गोविन्द और विजय कुमार व्यास के बीच!  दूसरे और तीसरे स्थान पर पंकज मुकेश और चन्द्रकान्त दीक्षित रहे।  क्षिति तिवारी ने महामुकाबले में भाग नहीं लिया। आप सभी विजेताओं को हज़ारों शुभकामायें! आइये अब आपको बतायें कि महामुकाबले के सवालों के सही जवाब क्या हैं। महामुक़ाबले के सवालों का हल उत्‍तर 1. गीत - श्‍याम सुन्‍दर मदन मोहन, कुंबरी संग बात कीनो........ (फिल्‍म - ट्रैप्‍ड, 1931) *इस गीत के मुखडे में संगीतकार 'श्‍याम सुन्‍दर' तथा संगीतकार 'मदन मोहन' के नाम आते हैं अर्थात गीत के मुखडे के प्रारम्‍भ में दो संगीतकारों के नाम मौजूद हैं । उत्‍तर 2. फिल्‍म का नाम -  तमाशा (1952) उत्‍तर 3. चित्र में दिखाई गई चीजों के नाम फिल्‍म 'हम आपके हैं कौन' के गीत 'दीदी तेरा देवर दीवाना'  के अन्‍तरों में आती हैं और इस गाने की धुन नुसरत फ़तेह अली ख़ान की कव्‍वाली 'सारे नबियां दां नबी तूं इमाम सोणिया' से प्रे

सरहदों की दूरियां संगीत से पाटते अली ज़फर और अमित त्रिवेदी

ताज़ा सुर ताल - 09 -2014 ताज़ा सुर ताल के एक और नए एपिसोड में आप सब का स्वागत है. आज हम आपको मिलवा रहे हैं सरहद पार से आये एक जबरदस्त फनकार से जो बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं. पाकिस्तान के पॉप संशेशन अली ज़फर न सिर्फ एक बहतरीन गायक हैं बल्कि एक अच्छे अभिनेता, संगीतकार, और गीतकार भी हैं. आने वाली फिल्म टोटल सयापा  में अली इन सभी भूमिकाओं में नज़र आयेगें. बतौर गीतकार इस फिल्म में उन्होंने आशा  नाम का गीत लिखा है, फिल्म का काम पूरी तरह खत्म होने के बाद फिल्म के अपने साथी किरदार को जेहन में रख कर लिखा गया ये गीत, फिल्म का हिस्सा नहीं है पर एल्बम में अवश्य शामिल है. वैसे इस एल्बम में जिसे पूरी तरह से अली का ही एल्बम कहा जायेगा, मात्र एक ही युगल गीत है, जिसे आज हमने चुना है आपके लिए. अकील रूबी का लिखा ये गीत सदा लुभावन अरेबिक मिजाज़ का है, जिसमें रुबाब का सुन्दर इस्तेमाल हुआ है. फरिहा परवेज हैं अली के साथ इस गीत में. नहीं मालूम  निश्चित ही एक ऐसा गीत है जिसे आप बार बार सुनना चाहेगें.  आज के एपिसोड का दूसरा गीत है, मेरे बेहद पसंदीदा संगीतकार अमित त्रिवेदी का. दोस्तों अक्सर हम लोगों

सेंस्बल दुनिया के कुछ अन्सेंसेबल किरदार - हाईवे

फिल्म चर्चा - हाईवे   सालों पहले निर्देशक इम्तियाज़ अली ने छोटे परदे के लिए एक टेलीफिल्म बनायीं थी, जिसकी कहानी उनके दिलो दिमाग को रह रह कर झकझोरती रही, और अततः जब वी मेट, लव आजकल  जैसी सफल व्यावसायिक फ़िल्में बनाने के बाद आखिरकार वो साहस जुटा पाए अपनी उस कहानी को बिना लाग लपेट के परदे पर साकार करने का. फिल्म में इम्तियाज़ के साथ जुड़े देश के सबसे अव्वल छायाकार अशोक मेहता, ओस्कर विजेता ध्वनि संयोजक रसूल पुकुट्टी, संगीत गुरु ए आर रहमान, और संवेदनशील गीतकार इरशाद कामिल. यकीन मानिये हाइवे इम्तियाज़ की एक बहतरीन पेशकश है.  धुर्विया फासलों और एकदम विपरीत परिस्थियों से निकले दो किरदारों को हालात एक सफर में बाँध देता हैं, अपने अतीत के आघातों से मुहँ छुपाते, रूह के जख्मों को कहीं गहरे तहखानों में छुपाये ये किरदार इसी सफर के दौरान एक दूसरे को समझने की कोशिश में कहीं न कहीं खुद से ही आँख मिलाने के काबिल हो जाते हैं. वीरा के किरदार में अलिया अपनी पहली फिल्म ( स्टूडेंट ऑफ द ईयर ) की सामान्य भूमिका और 'प्लास्टिक फेस इमेज' से कहीं अधिक परिपक्व और बेहतर नज़र आई है, तो वहीँ महाबीर की भ