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अभिनय का नुक्सान, संगीत का फायदा - मीत ब्रो अनजान की तिकड़ी

नए सुर साधक (१) मनमीत, हरमीत और अनजान (बाएं से दायें) अ क्सर जब भी संगीतकार तिकड़ी की बात होती है तो जेहन में शंकर एहसान लॉय का नाम कौंधता है. मगर एक और भी संगीत तिकड़ी है जो धीरे धीरे ही सही मगर इंडस्ट्री में अपनी पहचान बना रही है, ये हैं मीत बंधू यानी हरमीत और मनमीत जिनके साथ जुड़ते हैं उनके मित्र अनजान. मीत ब्रो अनजान के नाम से मशहूर इस तिकड़ी का रचा हाल ही में प्रकाशित ' बॉस ' का शीर्षक गीत इन दिनों खूब बज रहा है.  मीत बंधू सबसे पहले छोटे परदे पर अवतरित हुए थे बतौर अभिनेता. पर कहीं न कहीं संगीत को मार्ग बना कर एक पॉप समूह बनाने का सपना भी पल रहा था. उनका पहला गीत जोगी सिंह बरनाला सिंह  बेहद कामियाब रहा और मीत बंधुओं ने अभिनय को अलविदा कह दिया. एक लाईव शो के दौरान उन्हें अनजान मिले, और तीनों को महसूस हुआ कि उनकी तिकड़ी साथ मिलकर धामल कर सकती है.  एक कोपरेट कंपनी की तरह काम करते हुए इस तिकड़ी ने अपने खुद के गीत रचने शुरू किये और अपने काम को लेकर प्रोडक्शन कंपनियों के पास आने जाने लगे. नए गीतों को अपने संकलन में जोड़ते हुए इन्हें खबर भी नहीं हुई कि कब १० बड

सूफी संतों के सदके में बिछा सूफी संगीत (सूफी संगीत ०३)

सूफी संगीत पर विशेष प्रस्तुति संज्ञा टंडन के साथ  सू फी संतों की साधना में चार मकाम बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं- शरीअत ,  तरी-कत ,  मारि-फत तथा हकीकत। शरीयत में सदाचरण  ,  कुरान शरीफ का पाठ ,  पांचों वक्त की नमाज ,  अवराद यानी मुख्य आयतों का नियमित पाठ ,  अल्लाह का नाम लेना ,  जिक्रे जली अर्थात बोलकर या जिक्रे शफी यानी मुंह बंद करके अल्लाह का नाम लिया जाता है। उस मालिक का ध्यान किया जाता है। उसी का प्रेम से नाम लिया जाता है। मुराकवा में नामोच्चार के साथ-साथ अल्लाह का ध्यान तथा मुजाहिदा में योग की भांति चित्त की वृत्तियों का निरोध किया जाता है। पांचों ज्ञानेन्दियों के लोप का अभ्यास इसी में किया जाता है। इस शरीअत के बाद पीरो मुरशद अपने मुरीद को अपनाते हैं  ,  उसे रास्ता दिखाते हैं। इसके बाद शुरू होती है तरी-कत। इस में संसार की बातों से ऊपर उठकर अहम् को तोड़ने  ,  छोड़ने का अभ्यास किया जाता है। अपनी इद्रियों को वश में रखने के लिए शांत रहते हुए एकांतवास में व्रत उपवास किया जाता है। तब जाकर मारिफत की पायदान पर आने का मौका मिलता है। इस परम स्थिति में आने के लिए भी सात मकाम तय

अभिषेक ओझा की कहानी संयोग

इस लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने गिरिजेश राव की मार्मिक कहानी " दूसरा कमरा " का पॉडकास्ट अनुराग शर्मा की आवाज़ में सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं अभिषेक ओझा की कहानी " संयोग ", अनुराग शर्मा की आवाज़ में। कहानी "संयोग" का कुल प्रसारण समय 9 मिनट 38 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। इस कथा का टेक्स्ट ओझा-उवाच पर उपलब्ध है। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। वास्तविकता तो ये है कि किसे फुर्सत है मेरे बारे में सोचने की, लेकिन ये मानव मन भी न! ~ अभिषेक ओझा हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी कहानी "जैसे लॉटरी में हर बार उसका वही नंबर लगा हो जो लगना चाहिए था। वो पीछे मुड़ कर देखे तो क्या ऐसा नहीं है कि वो इन्हीं सब के लिए ही तो बना था ! चु