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रमेश बत्तरा की लघुकथा "नौकरी"

'बोलती कहानियाँ' स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने   अर्चना चावजी ,  अनुभव प्रिय  और  सलिल वर्मा  की आवाज़ में  प्राख्यात अमेरिकी कथाकार  ओ हेनरी  की अंग्रेज़ी कहानी "A service of love" के हिन्दी अनुवाद " इबादत " का पॉडकास्ट सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं रमेश बत्रा की लघुकथा " नौकरी ", जिसका वाचन किया है  अनुराग शर्मा  ने। इस लघुकथा का गद्य भारतीय साहित्य संग्रह पर उपलब्ध है। इसका कुल प्रसारण समय 2 मिनट 39 सेकंड है। आप भी सुनें और अपने मित्रों और परिचितों को भी सुनाएँ  और हमें यह भी बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।  यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। रमेश बत्तरा हिन्दी लघुकथा के सबसे महत्वपूर्ण हस्ताक्षरों में से एक हैं। हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी कहानी ‘‘बॉस अहमक है, गलतियाँ

मर्डर ३ में फिर ले आया दिल प्रीतम और सैयद को एक साथ.

प्लेबैक वाणी -34 - संगीत समीक्षा - मर्डर ३ भट्ट कैम्प की फिल्मों के बारे में हम पहले भी ये कह चुके हैं कि ये एक ऐसा बैनर है जो कहानी की जरुरत के हिसाब से एल्बम में गीतों को सजाता है, जबरदस्ती का कोई आईटम नहीं, कोई गैर जरूरी ताम झाम नहीं. ये एक ऐसा बैनर है जहाँ आज भी मेलोडी और शाब्दिक सौन्दर्य को ही तरजीह दी जाती है.  आईये इस बैनर की नई पेशकश ‘मर्डर ३’ के संगीत के बारे में जानें. ‘मर्डर’ के पहले दो संस्करणों का संगीत बेहद सफल और मधुर रहा हैं, विशेषकर अनु मालिक का रचे पहले संस्करण के गीतों को श्रोता अब तक नहीं भूले हैं. ‘मर्डर ३’ के संगीतकार हैं प्रीतम और गीतकार हैं सैयद कादरी. रोक्सेन बैंड के मुस्तफा जाहिद की आवाज़ में है “हम जी लेंगें”. मुस्तफा की आवाज़ अन्य रोक् गायकों से कुछ अलग नहीं है, पर शब्दों से सैयद ने गीत को दिलचस्प बनाये रखा है – ‘किसको मिला संग उम्र भर का यहाँ, वो हो रुलाये दिल चाहे जिसको सदा...’, गीत युवा दिलों को ख़ासा आकर्षित करेगा क्योंकि प्रेम और दिल टूटने के अनुभव से गुजर चुके सभी दिल इस गीत से खुद को जोड़ पायेंगें. ज

छठें प्रहर के कुछ आकर्षक राग

स्वरगोष्ठी-108 में आज   राग और प्रहर – 6 ‘तेरे सुर और मेरे गीत...’ : रात्रि के अन्धकार को प्रकाशित करते राग   ‘स्वरगोष्ठी’ के 108वें अंक में, मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों का इस मंच पर हार्दिक स्वागत करता हूँ। मित्रों, इन दिनों ‘स्वरगोष्ठी’ में विभिन्न आठ प्रहरों के रागों पर चर्चा जारी है। पिछ ले अंक में हमने पाँचवें प्रहर के कुछ राग प्रस्तुत किये थे। आज हम आपके सम्मुख छठें प्रहर के कुछ आकर्षक राग लेकर उपस्थित हुए हैं। छठाँ प्रहर अर्थात रात्रि का दूसरा प्रहर, रात्रि 9 बजे से लेकर मध्यरात्रि तक की अवधि को माना जाता है। हमारे देश में अधिकतर संगीत सभाएँ पाँचवें और छठें प्रहर में आयोजित होती हैं, इसलिए इस प्रहर के राग संगीत-प्रेमियों के बीच अधिक लोकप्रिय हैं। छठें प्रहर के रागों में आज हम आपके लिए राग बिहाग, गोरख कल्याण, बागेश्री और मालकौंस की कुछ चुनी हुई रचनाएँ प्रस्तुत करेंगे। छ ठाँ प्रहर अर्थात रात्रि के दूसरे प्रहर में निखरने वाला एक राग है, गोरख कल्याण। इस राग के गायन-वादन से कुछ ऐसी अनुभूति होने लगती है मानो श्रृंगार र