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इंडिया अन-टेचड - एक झकझोर देने वाली फिल्म

अक्सर शहरों में रह कर हम लोग लगभग भूल ही चुके हैं कि हमारे देश में छुआ छात, और जात पात जैसी समस्याएँ आज भी किस हद तक मुखरित है. इस सप्ताह आमिर खान द्वारा प्रस्तुत "सत्यमेव जयते" का एपिसोड कम से कम मेरे लिए एक सदमे जैसा था. लगता है जैसे इन जातिगत असमानताओं की जड़ें हमारी सोच में इस कदर पैठ बना चुकी है कि आधुनिक होने का दंभ भरने वाले पढ़े लिखे और सभ्य कहलाये जाने वाले लोग भी इन संकीर्णताओं से पूरी तरह उभर नहीं पायें हैं अब तक. फिल्म निर्देशक स्टालिन का ये वृत्त चित्र अवश्य ही हर भारतीय को देखनी चाहिए. रेडियो प्लेबैक के फीचर्ड विडियो विभाग लेकर आया है आज आपके लिए इसी वृत्त चित्र को. देखिये, सोचिये और कुछ कर गुजरिये. 

झुके हैं शाम के साये शब्दों के आसमान पे

शब्दों की चाक पर - एपिसोड 06 शब्दों की चाक पर हमारे कवि मित्रों के लिए हर हफ्ते होती है एक नयी चुनौती, रचनात्मकता को संवारने  के लिए मौजूद होती है नयी संभावनाएँ और खुद को परखने और साबित करने के लिए तैयार मिलता है एक और रण का मैदान. यहाँ श्रोताओं के लिए भी हैं कवि मन की कोमल भावनाओं उमड़ता घुमड़ता मेघ समूह जो जब आवाज़ में ढलकर बरसता है तो ह्रदय की सूक्ष्म इन्द्रियों को ठडक से भर जाता है. तो दोस्तों, इससे पहले कि  हम पिछले हफ्ते की कविताओं को आत्मसात करें, आईये जान लें इस दिलचस्प खेल के नियम -  1. कार्यक्रम की क्रिएटिव हेड रश्मि प्रभा के संचालन में शब्दों का एक दिलचस्प खेल खेला जायेगा. इसमें कवियों को कोई एक थीम शब्द या चित्र दिया जायेगा जिस पर उन्हें कविता रचनी होगी...ये सिलसिला सोमवार सुबह से शुरू होगा और गुरूवार शाम तक चलेगा, जो भी कवि इसमें हिस्सा लेना चाहें वो रश्मि जी से संपर्क कर उनके फेसबुक ग्रुप में जुड सकते हैं, रश्मि जी का प्रोफाईल  यहाँ  है. 2. सोमवार से गुरूवार तक आई कविताओं को संकलित कर हमारे पोडकास्ट टीम के हेड पिट्सबर्ग से  अनुराग शर्मा  जी अपने साथी पो

'सिने पहेली' महाविजेता बनने के नियम में किया गया है बदलाव, जुड़िये इस अनोखी प्रतियोगिता से, आज ही...

सिने-पहेली # 28 (9 जुलाई, 2012)  रेडियो प्लेबैक इण्डिया के साप्ताहिक स्तंभ 'सिने पहेली' के सभी पाठकों और प्रतियोगियों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार! दोस्तों, पिछली पहेली के जवाबों को ढूंढने में हमारे प्रतियोगी न जाने कैसे कैसे प्रयास किए हैं, क्या बताएँ! जहाँ कुछ प्रतियोगी हमसे रविवार तक का समय माँगा है, तो एक प्रतियोगी ऐसे भी हैं जो अस्पताल में भर्ती होने की वजह से सप्ताह भर जवाब नहीं दे सके, पर अस्पताल से अपने भाई के माध्यम से रविवार शाम को जवाब भिजवा दिया है। वैसे तो जवाब भेजने की समय सीमा शनिवार शाम 5 बजे तक का ही होता है, पर आप ही बताएँ कि जब आप इतनी रुचि, लगन और प्यार से हमें जवाब भेजते हैं तो भला हम अस्वीकार कैसे करें। इसलिए इस बार रविवार को भी मिलने वाले जवाबों को हमने शामिल कर लिया है। हमें यह देख कर बहुत ही अच्छा लगता है कि आप सब इस प्रतियोगिता को इतनी गंभीरता से ले रहे हैं; हम से ज़्यादा आप इसमें रुचि ले रहे हैं, और इसके लिए हम आप सभी के तहे दिल से आभारी हैं। आपसे बस यह अनुरोध है कि आप सब नियमित रूप से इस प्रतियोगिता में भाग लें और अपने मित्रों को भी इस