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४ मई- आज का गाना

गाना:  अचरा में फुलवा लई के चित्रपट:  दुल्हन वही जो पिया मन भाये संगीतकार: रवीन्द्र जेन गीतकार: रवीन्द्र जेन स्वर:  रवीन्द्र जेन अचरा में फुलवा लई के आये रे हम तोहरे द्वार अरे हो हमरी अरजी न सुन ले अरजी पे कर ले ना बिचार हमसे रूठ ले बिधाता हमार काहे रूठ ले बिधाता हमार बड़े ही जतन से हम ने पूजा का थाल सजाया प्रीत की बाती जोड़ी मनवा का दियरा जलाया हमरे मन मोहन को पर नहीं भाया अरे हो रह गैइ पूजा अधूरी मन्दिर से दिया रे निकाल हमसे रूठ ले बिधाता हमार ... सोने की कलम से हमरी क़िसमत लिखी जो होती मोल लगा के लेते हम भी मन चाहा मोती एक प्रेम दीवानी हाय ऐसे तो न रोती अरे हो इतना दुःख तो न होता पानी में जो देते हमें डार हमसे रूठ ले बिधाता हमार ...

बिग ब्रेक सॉंग्स - पहला खण्ड

दोस्तों, गायन के क्षेत्र में हजारों प्रतिभाएँ मंच और मौके मिलने के बावजूद सिर्फ इसलिए अनसुनी अनगुनी रह जाती हैं क्योंकि उन्हें वो "बिग ब्रेक सोंग" नहीं मिल पाता जो उन्हें इंडस्ट्री में स्थापित कर दे. बिग ब्रेक सोंग्स यानी वो गीत, जिसके बाद किसी गायक को फिर अपनी क़ाबलियत साबित करने की आवश्यकता नहीं पड़े, बिग ब्रेक सोंग्स यानी वो गीत जो किसी गायक को घर घर का जाना माना नाम बना दें. बिग ब्रेक सोंग्स के इस पहले सेगमेंट हम चर्चा कर रहे हैं कुमार सानु, उदित नारायण, अलका याग्निक, कविता कृष्णमूर्ति, सोनू निगम, शान, अलीशा चिनॉय, शंकर महादेवन और हरिहरण के करियर में आये बिग ब्रेक सोंग्स की -

३ मई- आज का गाना

गाना:  नज़र लागे राजा तोरे बंगले पर चित्रपट:  काला पानी संगीतकार: सचिन देव बर्मन गीतकार: मजरूह सुलतान पुरी स्वर:  आशा भोसले नज़र लागे राजा तोरे बंगले पर जो मैं होती राजा बन की कोयलिया कुहुकु रहती राजा तोरे बंगले पर जो मैं होती राजा कारी बदरिया बरस रहती राजा तोरे बंगले पर जो मैं होती राजा बेला चमेलिआ लिपट रहती राजा तोरे बंगले पर जो मैं होती राजा तेरी दुल्हनिया मटक रहती राजा तोरे बंगले पर

"क़स्मे, वादे, प्यार, वफ़ा, सब बातें हैं..." - जितना यादगार यह गीत है, उतनी ही दिलचस्प है इसके बनने की कहानी

यह बिलकुल ज़रूरी नहीं कि एक अच्छा गीत लिखने के लिए गीतकार को किसी पहाड़ पर या समुंदर किनारे जा कर अकेले में बैठना पड़े। फ़िल्म-संगीत का इतिहास गवाह है कि बहुत से कालजयी गीत यूंही बातों बातों में बन गए हैं। एक ऐसी ही कालजयी रचना है "क़स्मे, वादे, प्यार, वफ़ा, सब बातें हैं बातों का क्या"। रोंगटे खड़े कर देने वाला है यह गीत कैसे बना था, आज उसी विषय पर चर्चा 'एक गीत सौ कहानियाँ' की 18-वीं कड़ी में सुजॉय चटर्जी के साथ... एक गीत सौ कहानियाँ # 18 1967 की मशहूर फ़िल्म 'उपकार' के गीतों की समीक्षा पंकज राग ने अपनी किताब 'धुनों की यात्रा' में कुछ इस तरह से की है - "'उपकार' का सबसे हिट गाना महेन्द्र कपूर की आवाज़ में सदाबहार देशभक्ति गीत "मेरे देश की धरती सोना उगले" बनकर गुलशन बावरा की कलम से निकला, पर गुलशन के इस गीत और "हर ख़ुशी हो वहाँ तू जहाँ भी रहे" तथा क़मर जलालाबादी के लिखे और विशेष तौर पर मुकेश के गले के लिए आसावरी थाट पर सृजित "दीवानों से ये मत पूछो दीवानों पे क्या गुज़री है" की अपार लोकप्रियता के ब

२ मई- आज का गाना

गाना:  जिन रातों की भोर नहीं हैं, आज ऐसी ही रात आई चित्रपट:  दूर गगन की छाँव में संगीतकार: किशोर कुमार गीतकार: शैलेन्द्र स्वर:  किशोर कुमार जिन रातों की भोर नहीं है आज ऐसी ही रात आई जो जिस ग़म में डूब गया है सागर की है गहराई रात के तारों तुम ही बताओ मेरी वो मंज़िल है कहाँ पागल बनकर जिसके लिये मैं खो बैठा हूँ दोनो जहाँ जिन रातों ... राह किसी की हुई ना रोशन जलना मेरा बेकार गया लूट गई तक़दीर मुझे मैं जीत के बाज़ी हार गया जिन रातों की भोर नहीं है ...

दर्शन कौर धनोय लायीं हैं रश्मि जी की महफ़िल में कुछ लाजवाब गीत

आज का दिन दर्शन कौर धनोय जी के नाम , जिसमें हैं उनकी पसंद के गीत हमारे बीच . चलिए देखते हैं वे क्या कहती हैं - रश्मि जी नमस्कार ,  मेरे पसंद के गीतों का तो समुंदर भरा पड़ा हैं --इनमें से  5 नायाब मोती निकलना बड़ा मुश्किल काम हैं  --- ये गीत मेरे जीवन की अनमोल पूंजी हैं -- मेरी सांसो में बसे हैं ये गीत -- १. तुम्हे याद करते -करते जाएगी उम्र सारी --तुम ले गए हो अपने संग नींद भी हमारी "--फिल्म -- आम्रपाली ! "यह गीत मुझे उस व्यक्ति की याद दिलाता हैं जिसे मैनें खो दिया हैं --और जो मुझे इस जनम में कभी नहीं मिल सकता  ! उसके जाने से जो स्थान रिक्त हैं उसे कोई नहीं भर सकता !" २. "आपकी नजरों ने समझा --प्यार के काबिल मुझे --दिल की ये धडकन संभल जा मिल गई मंजिल मुझे --फिल्म --- अनपढ़   ! "यह गीत मुझे बेहद पसंद हैं --इसका संगीत,धुन,बोल, और लताजी की आवाज का जादू  --सब मिलाकर जादुई असर करते हैं --जब भी सुनती हूँ तो आँखें नम हो जाती हैं !" ३. " लग जा गले के फिर ये हंसी रात हो न हो

१ मई- आज का गाना

गाना:  साथी हाथ बढ़ना साथी हाथ बढ़ना चित्रपट:  नया दौर संगीतकार: ओ. पी. नय्यर गीतकार: साहिर स्वर:  रफ़ी, आशा साथी हाथ बढ़ाना, साथी हाथ बढ़ाना एक अकेला थक जायेगा मिल कर बोझ उठाना साथी हाथ बढ़ाना ... हम मेहनतवालों ने जब भी मिलकर कदम बढ़ाया सागर ने रस्ता छोड़ा परबत ने शीश झुकाया फ़ौलादी हैं सीने अपने फ़ौलादी हैं बाहें हम चाहें तो पैदा करदें, चट्टानों में राहें, साथी ... मेहनत अपनी लेख की रखना मेहनत से क्या डरना कल गैरों की खातिर की अब अपनी खातिर करना अपना दुख भी एक है साथी अपना सुख भी एक अपनी मंजिल सच की मंजिल अपना रस्ता नेक, साथी ... एक से एक मिले तो कतरा बन जाता है दरिया एक से एक मिले तो ज़र्रा बन जाता है सेहरा एक से एक मिले तो राई बन सकती है परबत एक से एक मिले तो इन्सान बस में कर ले किस्मत, साथी ... माटी से हम लाल निकालें मोती लाएं जल से जो कुछ इस दुनिया में बना है बना हमारे बल से कब तक मेहनत के पैरों में ये दौलत की ज़ंज़ीरें हाथ बढ़ाकर छीन लो अपने सपनों की तस्वीरें, साथी ...