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१९ जनवरी- आज का गाना

गाना:  जोगिया से प्रीत किये दुःख होए चित्रपट: गरम कोट संगीतकार: अमरनाथ गीतकार:  मीरा बाई गायिका: लता मंगेशकर प्रीत किये दुःख होए, दुःख होए प्रीत किये दुःख होए जोगिया से प्रीत किये दुःख होए जोगिया से प्रीत किये दुःख होए प्रीत किये सुख, ना मोरी सजनी प्रीत किये सुख, ना मोरी सजनी जोगिया मीत ना कोए जोगिया से प्रीत किये दुःख होए जोगिया से प्रीत किये दुःख होए रैन दिवस कल नाहीं परत है रैन दिवस कल नाहीं परत है रैन दिवस कल नाहीं परत है तुम मिलिया बिन मोहे तुम मिलिया बिन मोहे ऐसी सूरत या जग माही ऐसी सूरत या जग माही फेर न देखी कोए फेर न देखी कोए जोगिया से प्रीत किये दुख होए जोगिया से प्रीत किये दुख होए मीरा के प्रभु कब रे मिलोगे मीरा के प्रभु कब रे मिलोगे कब रे मिलोगे मीरा के प्रभु कब रे मिलोगे मिलिया आनंद होए जोगिया से प्रीत किये दुख होए जोगिया से प्रीत किये दुख होए

"सैगल ब्लूज़" - सहगल साहब की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजली एक नए अंदाज़ में

कुंदनलाल सहगल को इस दुनिया से गए आज ६५ वर्ष हो चुके हैं, पर उनकी आवाज़ आज भी सर चढ़ के बोल रहा है। फ़िल्म 'डेल्ही बेली' में राम सम्पत और चेतन शशितल नें सहगल साहब को श्रद्धांजली स्वरूप जिस गीत की रचना की है, उसी की चर्चा सुजॉय चटर्जी के साथ, 'एक गीत सौ कहानियाँ' की तीसरी कड़ी में... एक गीत सौ कहानियाँ # 3 हिन्दी सिनेमा के प्रथम सिंगिंग् सुपरस्टार के रूप में कुंदनलाल सहगल के नाम से हम सभी भली-भाँति वाक़िफ़ हैं। फ़िल्म-संगीत की जब शुरुआत हुई थी, तब वह पूर्णत: शास्त्रीय, उप-शास्त्रीय और नाट्य संगीत से प्रभावित थी। कुंदनलाल सहगल और न्यु थिएटर्स के संगीतकारों नें फ़िल्म-संगीत को अपनी अलग पहचान दी, और जनसाधारण में अत्यन्त लोकप्रिय बनाया। जब भी कभी फ़िल्म-संगीत का इतिहास लिखा जाएगा, सहगल साहब का नाम सबसे उपर स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा। सहगल साहब की आवाज़ और गायकी का ३० और ४० के दशकों में कुछ ऐसा क्रेज़ था कि अगली पीढ़ी के नवोदित गायक उन्हीं की शैली को अनुकरण कर संगीत के मैदान में उतरते थे। तलत महमूद, मुकेश और किशोर कुमार तीन ऐसे बड़े नाम हैं जिन्होंने अपनी शुरुआत सहगल

१८ जनवरी- आज का गाना

गाना:  नुक्तचीन है गम-ऐ -दिल चित्रपट: यहूदी की लड़की संगीतकार: पंकज मलिक गीतकार:  मिर्ज़ा ग़ालिब गायक: के.एल. सहगल नुक्ताचीं है, ग़म-ए-दिल उसको सुनाये न बने क्या बने बात जहाँ बात बनाये न बने क्या बने बात जहाँ बात बनाये न बने मैं बुलाता तो हूँ उसको मगर ऐ जज़्बा-ए-दिल मैं बुलाता तो हूँ उसको मगर ऐ जज़्बा-ए-दिल उस पे बन जाये कुछ ऐसी उस पे बन जाये कुछ ऐसी कि बिन आये न बने उस पे बन जाये कुछ ऐसी कि बिन आये न बने नुक्ताचीं है, ग़म-ए-दिल उसको सुनाये बोझ वो सर से गिरा बोझ वोह सर से गिरा है, कि उठाये न उठे काम वो आन पड़ा है के बनाये न बने काम वो आन पड़ा है के बनाये न बने नुक्ताचीं है, ग़म-ए-दिल उसको सुनाये इश्क़ पर ज़ोर नहीं इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश ग़ालिब के लगाये न लगे के लगाये न लगे और बुझाये न बने के लगाये न लगे और बुझाये न बने नुक्ताचीं है, ग़म-ए-दिल उसको सुनाये