जाँनिसार अख्तर की पोयट्री में क्लास्सिकल ब्यूटी और मॉडर्ण सेंसब्लिटी का संतुलन था - विजय अकेला की पुस्तक से
ओल्ड इज़ गोल्ड - शनिवार विशेष - 65 गीतकार विजय अकेला से बातचीत उन्हीं के द्वारा संकलित गीतकार जाँनिसार अख़्तर के गीतों की किताब 'निगाहों के साये' पर (भाग-१ ) 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार! 'शनिवार विशेषांक' के साथ मैं एक बार फिर हाज़िर हूँ। दोस्तों, आपनें इस दौर के गीतकार विजय अकेला का नाम तो सुना ही होगा। जी हाँ, वो ही विजय अकेला जिन्होंने 'कहो ना प्यार है' फ़िल्म के वो दो सुपर-डुपर हिट गीत लिखे थे, "एक पल का जीना, फिर तो है जाना" और "क्यों चलती है पवन... न तुम जानो न हम"; और फिर फ़िल्म 'क्रिश' का "दिल ना लिया, दिल ना दिया" गीत भी तो उन्होंने ही लिखा था। उन्हीं विजय अकेला नें भले ही फ़िल्मों में ज़्यादा गीत न लिखे हों, पर उन्होंने एक अन्य रूप में भी फ़िल्म-संगीत जगत को अपना अमूल्य योगदान दिया है। गीतकार आनन्द बक्शी के गीतों का संकलन प्रकाशित करने के बाद हाल ही में उन्होंने गीतकार जाँनिसार अख़्तर के गीतों का संकलन प्रकाशित किया है, जिसका शीर्षक है 'निगाहों के साये'