दाने दाने पे लिखा है खाने वाले का नाम...क्या खूब प्रयोग किया राजेन्द्र कृष्ण साहब ने इस मुहावरे का गीत में
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 562/2010/262 'कि तना हसीं है मौसम' - चितलकर रामचन्द्र के स्वरबद्ध और गाये गीतों की इस लघु शृंखला की दूसरी कड़ी में आप सभी का स्वागत है। सी. रामचन्द्र का जन्म महाराष्ट्र के अहमदनगर के पुणेताम्बे में १२ जून १९१५ को हुआ था। उनके पिता रेल्वे में सहायक स्टेशन मास्टर की नौकरी किया करते थे। अपने बेटे की संगीत के प्रति लगाव और रुझान को देख कर उन्हें नागपुर के एक संगीत विद्यालय में भर्ती करवा दिया। फिर उन्होंने पुणे में विनायकबुआ पटवर्धन से गंधर्व महाविद्यालय म्युज़िक स्कूल में संगीत की शिक्षा प्राप्त की। उन दिनों मूक फ़िल्मों का दौड़ था, वे कोल्हापुर आ गये और कई फ़िल्मों में अभिनय किया। पर उनकी क़िस्मत में तो लिखा था संगीतकार बनकर चमकना। कोल्हापुर से बम्बई में आने के बाद सी. रामचन्द्र सोहराब मोदी की मशहूर मिनर्वा मूवीटोन में शामिल हो गए जहाँ पर उन्हें उस दौर के नामचीन संगीतकारों, जैसे कि हबीब ख़ान, हूगन और मीरसाहब के सहायक बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। हूगन से उन्होंने पाश्चात्य संगीत सीखा जो बाद में उनके संगीत में नज़र आने लगा, और शायद उनका यही वेस्टर्ण स्टाइल उ