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आपने जिसे चुना उन गीतों को हमने सुना मशहूर फिल्म समीक्षक अजय ब्रह्मात्मज जी के साथ - वर्ष २०१० के टॉप गीत

दोस्तों पूरे साल "ताज़ा सुर ताल" के माध्यम से हम आपका परिचय नए फिल्म संगीत से करवाते रहे. आज साल का अंतिम दिन है. ये जानने के लिए कि इन नए गीतों में से कौन से हैं जिन्होंने हमारे श्रोताओं पर जादू चलाया, हमने आवाज़ पर एक पोल लगाया इस बार. जिसके परिणाम का खुलासा हम टी एस टी के इस वर्ष के इस सबसे अंतिम एपिसोड में आज करने जा रहे हैं. इस अवसर को खास बनाने के लिए आज हमारे बीच मौजूद हैं, हिंदी सिनेमा के जाने माने समीक्षक अजय ब्रह्मात्मज जी, आईये उनसे करें कुछ बातचीत और हटाएँ इस वर्ष के आपके वोटों द्वारा चुने हुए श्रेष्ट गीतों के नामों से पर्दा. सजीव - अजय जी, हिंदी चिट्टाजगत के आप स्टार फ़िल्मी समीक्षक हैं, आज आवाज़ के इस मंच पर आपका स्वागत करते हुए हमें बेहद खुशी हो रही है. स्वागत है अजय ब्रह्मात्मज – मेरे लिए सौभाग्‍य की बात है कि इस बातचीत के जरिए मैं अधिकतम पाठकों तक पहुंच पाऊंगा। आपलोग बहुत अच्‍छा काम कर रहे हैं। सबसे बड़ी बात है कि आप सभी नियमित और स्‍तरीय हैं। सजीव - आवाज़ पर हमने जो पोल लगाया था उसके परिणाम मेरे पास हैं, जिनका खुलासा हम अभी इसी बातचीत में करेंगें. पर इ

तू मेरा जानूँ है तू मेरा हीरो है.....८० के दशक का एक और सुमधुर युगल गीत

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 560/2010/260 'ओ ल्ड इज़ गोल्ड' के दोस्तों, नमस्कार! देखिए, गुज़रे ज़माने के सुमधुर गीतों को सुनते और गुनगुनाते हुए हम आ पहुँचे हैं इस साल २०१० के 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की अंतिम कड़ी पर। आज ३० दिसंबर, यानी इस साल का आख़िरी 'ओल्ड इज़ गोल्ड'। जैसा कि इन दिनों आप इस स्तंभ में सुन और पढ़ रहे हैं फ़िल्म संगीत के सुनहरे दौर की कुछ सदाबहार युगल गीतों से सजी लघु शृंखला 'एक मैं और एक तू', आज ८० के दशक के ही एक और लैण्डमार्क डुएट के साथ हम समापन कर रहे हैं इस शृंखला का। यह वह गीत है दोस्तों जिसने लता और आशा के बाद की पीढ़ी के पार्श्वगायिकाओं का द्वार खोल दिया था। इस नयी पीढ़ी से हमारा मतलब है अनुराधा पौड़वाल, अल्का याज्ञ्निक, साधना सरगम और कविता कृष्णमूर्ती। आज हम चुन लाये हैं अनुराधा और मनहर उधास की आवाज़ों में १९८३ की फ़िल्म 'हीरो' का गीत "तू मेरा जानू है... मेरी प्रेम कहानी का तू हीरो है"। युं तो इस गीत से पहले भी अनुराधा ने कुछ गीत गाये थे, लेकिन इस गीत ने उन्हें पहली बार अपार सफलता दी जिसके बाद उन्हें पीछे मुड़कर देखने की

हम बने तुम बनें एक दूजे के लिए....और एक दूजे के लिए ही तो हैं आवाज़ और उसके संगीत प्रेमी श्रोता

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 559/2010/259 फ़ि ल्म संगीत के सुनहरे दौर के चुने हुए युगल गीतों को सुनते हुए आज हम क़दम रख रहे हैं ८० के दशक में। कल के गीत से ही आप ने अंदाज़ा लगाया होगा कि ७० के दशक के मध्य भाग के आते आते युगल गीतों का मिज़ाज किस तरह से बदलने लगा था। उससे पहले फ़िल्म के नायक नायिका की उम्र थोड़ी ज़्यादा दिखाई जाती थी, लेकिन धीरे धीरे फ़िल्मी कहानियाँ स्कूल-कालेजों में भी समाने लगी और इस तरह से कॊलेज स्टुडेण्ट्स के चरित्रों के लिए गीत लिखना ज़रूरी हो गया। नतीजा, वज़नदार शायराना अंदाज़ को छोड़ कर फ़िल्मी गीतकार ज़्यादा से ज़्यादा हल्के फुल्के और आम बोलचाल की भाषा का प्रयोग करने लगे। कुछ लोगों ने इस पर फ़िल्मी गीतों के स्तर के गिरने का आरोप भी लगाया, लेकिन क्या किया जाए, जैसा समाज, जैसा दौर, फ़िल्म और फ़िल्म संगीत भी उसी मिज़ाज के बनेंगे। ख़ैर, आज हम बात करते हैं ८० के दशक की। इस दशक के शुरुआती दो तीन सालों तक तो अच्छे गानें बनते रहे और लता और आशा सक्रीय रहीं। ८० के इस शुरुआती दौर में जो सब से चर्चित प्रेम कहानी पर बनी फ़िल्म आई, वह थी 'एक दूजे के लिए'। यह फ़िल्म तो जैसे