ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 418/2010/118 अ भी कल यानी १४ तारीख़ को पुण्यतिथि थी इस गायिका की. ५ साल पहले, आज ही के दिन, सन् २००६ को पंजाब की कोकिला सुरिंदर कौर की आवाज़ हमेशा के लिए ख़ामोश हो गई थी। गायिका सुरिंदर कौर के गाए अनगिनत पंजाबी लोक गीतों को पंजाबी संगीत प्रेमी आज भी बड़े चाव से सुनते हैं और उनको याद करते हैं। सन् १९४७-४८ से लेकर १९५२-५३ के मध्य उन्होने हिंदी फ़िल्मों में पार्श्व गायन करके काफ़ी ख्याति प्राप्त की थी। ४० के दशक का वह ज़माना पंजाबी गायिकाओं का ज़माना था। ज़ोहराबाई, नूरजहाँ, शम्शाद बेग़म जैसी वज़नदार आवाज़ों के बीच सुरिंदर कौर ने भी अपनी पारी शुरु की। लेकिन जल्द ही पतली आवाज़ वाली गायिकाओं का दौर शुरु हो गया और ५० के दशक के शुरुआती सालों से ही इन वज़नदार और नैज़ल गायिकाएँ पीछे होती चली गईं। आज 'दुर्लभ दस' शृंखला के अंतर्गत हम लेकर आए हैं सुरिंदर कौर की आवाज़ में १९४८ की फ़िल्म 'नदिया के पार' का गीत "अखियाँ मिलाके अखियाँ"। यह 'आवाज़' की तरफ़ से इस सुरीली गायिका को श्रद्धांजली है उनके स्मृति दिवस पर। दोस्तों, इस आलेख के लिए खोज बीन कर