ओल्ड इस गोल्ड /रिवाइवल # ०७ ज हाँ तक 'बंदिनी' फ़िल्म के गीत संगीत का सवाल है, इस फ़िल्म का कोई भी गीत ऐसा नहीं जो प्रचलित न हुआ हो। सचिन दा और शैलेन्द्र की टीम तो थी ही, साथ ही नये उभरते गीतकार गुलज़ार ने भी एक गीत इस फ़िल्म में लिखा था " मोरा गोरा अंग लइ ले "। लता जी की आवाज़ में इस गीत के अलावा एक दूसरा गीत था "जोगी जब से तू आया मेरे द्वारे"। मुकेश की आवाज़ में " ओ जानेवाले हो सके तो लौट के आना ", मन्ना डे की आवाज़ में "मत रो माता लाल तेरे बहूतेरे", बर्मन दादा की आवाज़ में "मेरे साजन हैं उस पार", तथा आशा भोसले की आवाज़ में "ओ पंछी प्यारे" और आज का यह प्रस्तुत गीत "अब के बरस भेज भइया को बाबुल" , ये सारे गानें आज सदाबहार नग़मों की फ़ेहरिस्त में दर्ज है। दोस्तों, अभी कुछ महीने पहले मैं विविध भारती पर ग़ैर फ़िल्मी गीतों का कार्यक्रम 'गुल्दस्ता' सुन रहा था। अचानक एक गीत बज उठा सुधा मल्होत्रा का गाया हुआ और संगीतकार का नाम बताया गया शिवराम कृष्ण। गीत कुछ ऐसा था "निम्बुआ तले डोला रख दे मुसाफ़िर, आय