ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 321/2010/21 'ओ ल्ड इज़ गोल्ड' पर आज से एक बार फिर से छा रहा है फ़रमाइशी रंग। शरद तैलंग, स्वप्न मंजूषा शैल 'अदा', पूर्वी, और पराग सांकला के बाद 'ओल्ड इज़ गोल्ड पहेली प्रतियोगिता' की विजेयता बनीं हैं हमारी इंदु जी। इसलिए आज से अगले पाँच दिनों तक हम सुनने जा रहे हैं इंदु जी की पसंद के पाँच गानें बिल्कुल बैक टू बैक। यकीन मानिए दोस्तों, कि इंदु जी ने ऐसे ऐसे नायाब गानें चुन कर हमें भेजे हैं कि इन्हे सुनवाते हुए हम जितना आनंद महसूस कर रहे हैं उतना ही मज़ा हमें आया इन गीतों पर आलेख लिखते हुए। तो शुरुआत करते हैं लता मंगेशकर के गाए फ़िल्म 'आओ प्यार करें' के एक बड़े ही ख़ूबसूरत गाने से, जिसके बोल हैं "मेरी दास्ताँ मुझे ही मेरा दिल सुना के रोये"। गीतकार राजेन्द्र कृष्ण के बोल और संगीतकार उषा खन्ना की तर्ज़। उषा जी के स्वरबद्ध किए उत्कृष्ट रचनाओं में से एक है आज का प्रस्तुत गीत। इस फ़िल्म के बारे में हम अभी बात करेंगे, लेकिन उससे पहले इंदु जी के चार शब्द भी जान लें कि इस गीत की उन्होने फ़रमाइश क्यों की हैं। इंदु जी लिखती हैं कि &qu