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पंकज सुबीर के कहानी-संग्रह 'ईस्ट इंडिया कम्पनी' का विमोचन कीजिए

दोस्तो, आज सुबह-सुबह आपने भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा नवलेखन पुरस्कार से सम्मानित कथा-संग्रह 'डर' का विमोचन किया और इस संग्रह से एक कहानी भी सुनी । अब बारी है लोकप्रिय ब्लॉगर, ग़ज़ल प्रशिक्षक पंकज सुबीर के पहले कहानी-संग्रह 'ईस्ट इंडिया कम्पनी' के विमोचन की। गौरतलब है कि इस पुस्तक के साथ-साथ १२ अन्य हिन्दी साहित्यिक कृतियों के विमोचन का कार्यक्रम आज ही हिन्दी भवन सभागार, आईटीओ, नई दिल्ली में चल रहा है। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता २००६ के भारतीय ज्ञानपीठ सम्मान से सम्मानित कवि कुँवर नारायण कर रहे हैं। सभी पुस्तकों का विमोचन दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के हाथों होना है। लेकिन घबराइए नहीं। हम आपको ऑनलाइन और पॉडकास्ट विमोचन का नायाब अवसर दे रहे हैं, जिसके तहत आप इस कहानी-संग्रह का विमोचन अपने हाथों कर सकेंगे, वह भी शीला दीक्षित से पहले। साथ ही साथ हम इस कहानी संग्रह की शीर्षक कहानी भी सुनवायेंगे। तो कर दीजिए लोकार्पण अनुराग शर्मा की आवाज़ में इस संग्रह की शीर्षक कहानी 'ईस्ट इंडिया कम्पनी' नीचे के प्लेयर से सुनें: - यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रह

अपने हाथों कीजिए कहानी-संग्रह 'डर' (नवलेखन पुरस्कार से सम्मानित) का विमोचन

जैसाकि आपने १२ मार्च को ख़बरों में पढ़ा था कि १४ मार्च २००९ को सुबह ११ बजे हिन्दी भवन, आईटीवो, नई दिल्ली में दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के हाथों १३ नई साहित्यिक कृतियों का विमोचन होगा। इन १३ पुस्तकों में हिन्द-युग्म के कहानीकार विमल चंद्र पाण्डेय का प्रथम कहानी-संग्रह 'डर' भी शामिल है। उल्लेखनीय है भारत की सर्वोच्च साहित्यिक संस्था भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा हर वर्ष दो लेखकों की कृतियों (एक गद्य तथा दूसरा पद्य में) को नवलेखन पुरस्कार दिया जाता है, जिसमें रु २५,००० ना नग़द इनाम और उस संग्रह का प्रकाशन शामिल है। वर्ष २००८ के गद्य का नवलेखन पुरस्कार विमल चंद्र पाण्डेय को उनके पहले कहानी-संग्रह 'डर' के लिए दिया गया है। आज सुबह ११ बजे इस पुस्तक का विमोचन भी होगा, इसी कार्यक्रम में विमल चंद्र पाण्डेय का कथापाठ भी होगा। अभी कुछ महीने पहले से हमने राकेश खण्डेलवाल के पहले कविता (गीत)-संग्रह 'अंधेरी रात का सूरज' का पॉडकास्ट और ऑनलाइन विमोचन कर हिन्दी पुस्तकों के विमोचन करने की परम्परा को नया रूप दिया है। अनुराग शर्मा तथा अन्य ५ कवियों के पहले कविता-संग्रह '

जो हमने दास्तां अपनी सुनाई आप क्यों रोये...

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 22 "मे रे लिए न अश्क बहा मैं नहीं तो क्या, है तेरे साथ मेरी वफ़ा मैं नहीं तो क्या, ज़िंदा रहेगा प्यार मेरा मैं नहीं तो क्या". दोस्तों, मदन मोहन द्वारा स्वरबद्ध इस गीत का एक एक शब्द जैसे उन्हीं के लिए लिखा गया हो. आज भले ही वो हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका अमर संगीत युगों युगों तक सुननेवालों के दिलों पर राज करता रहेगा. आज की शाम मदन मोहन, लता मंगेशकर और राजा महेंदी अली ख़ान के नाम. सन् 1964 में बनी फिल्म "वो कौन थी" अपने गीत संगीत की वजह से कालजयी बन गयी. आज 45 साल बाद भी जब हम इस फिल्म के गीतों को सुनते हैं तो इनमें वही ताज़गी, वही असर पाते हैं. शायद यही ख़ासीयत थी फिल्म संगीत के उस सुनहरे दौर की. दोस्तों, आशा भोंसले की आवाज़ में "वो कौन थी" फिल्म का एक गीत हमने कुछ दिन पहले आपको सुनवाया है. आज सुनिए इसी फिल्म से लता मंगेशकर की आवाज़ में एक दर्द भरा नग्मा . 1958 की फिल्म "अदालत" में भी लताजी और मदन मोहन साहब ने एक इसी तरह का गीत बनाया था "यूँ हसरतों के दाग़ मोहब्बत में धो लिए". कुछ ऐसा ही ग़मज़दा अंदाज़ "व